JPSC MAINS PAPER 4 NOTES and Syllabus

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JPSC MAINS PAPER 4 NOTES

200 Marks/3 Hr 

भारतीय संविधान, राजनीति, लोक प्रशासन और सुशासन

भाग A 

भारतीय सविधान और राजव्यवस्था 

Total 5 Questions

  • Que 1 – 10Q Compulsary 

(10*2=20 marks)

  • (Que 2 ,Que 3 ,Que 4,Que 5 ) – attemt 2 Only Out of 4 Que 

( 2*40 = 80 Marks )

100 Marks

भाग B

लोकप्रशासन और शासन व्यवस्था

  • Que 1 – 10Q Compulsary 

(10*2 = 20 marks)

  • (Que 2 ,Que 3 ,Que 4,Que 5 ) – attemt 2 Only Out of 4 Que 

( 2*40 = 80 Marks )

100 Marks

भाग B – लोक प्रशासन और शासन व्यवस्था 

1.लोक प्रशासन प्रस्तावना , अर्थ , विस्तार और महत्त्व ।

2.सार्वजनिक और निजी प्रशासन

3.संघीय प्रशासनः 

4.राज्य प्रशासन

5.जिला प्रशासन : 

  • जिला मजिस्ट्रेट और जिलाधीश के कार्यालय का उद्भव और विकास 

  • जिला कलेक्टर की परिवर्तित होती भूमिका 

  • न्यायपालिका के पृथक्करण का जिला प्रशासन पर प्रभाव । 

6.निजी प्रशासन :

  • सिविल सेवकों की नियुक्तियाँ : संघ लोक सेवा आयोग 

  • राज्य लोक सेवा आयोग 

  • सिविल सेवकों का प्रशिक्षण ; नेतृत्व और इनके गुण  

  • कर्मचारियों का नैतिक स्तर और उत्पादकता ।

7.प्राधिकरण का प्रत्यायोजन , केंद्रीकरण तथा विकेंद्रीकरण 

8.नौकरशाही

  • उद्भव ; इसके लाभ और हानियाँ 

  • नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में नौकरशाही की भूमिका  

  • नौकरशाही और राजनीतिक कार्यपालिका के मध्य संबंध , सामान्य बनाम विशेषज्ञ

9.विकासात्मक प्रशासन 

10.आपदा प्रबंधन

11.सुशासन : 

  • अच्छी तथा उत्तरदायी शासन व्यवस्था का अर्थ तथा अवधारणा 

  • सुशासन की मुख्य विशेषताएँ : जवाबदेहिता , पारदर्शिता , ईमानदारी और जल्द प्रतिपादन ; नागरिक समाज की भूमिका और सुशासन में लोगों की सहभागिता , शिकायतों में सुधार की प्रक्रिया 

  • लोकपाल  

  • लोकायुक्त 

  • केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त , नागरिक चार्टर : उद्देश्य सेवा का अधिकार अधिनियम 

  • सूचना का अधिकार अधिनियम  

  • शिक्षा का अधिकार अधिनियम 

  • उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 

  • महिलाओं के विरुद्ध हिंसा पर रोक अधिनियम

  • वृद्धावस्था अधिनियम 

12.मानव अधिकारः 

  • अवधारणा और अर्थ 

  • मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग 

  • राज्य मानवाधिकार आयोग 

  • मानवाधिकार और सामाजिक मुद्दे 

  • मानवाधिकार और आतंकवाद