JPSC MAINS PAPER 3 SYLLABUS And Notes

      प्रश्न पत्र – तृतीय : सामाजिक विज्ञान ( इतिहास और भूगोल )

      समय: 3 घंटे , कुल अंक: 200

      सामाजिक विज्ञान के प्रश्न पत्र में दो भिन्न खंड होंगे। जिनमें से एक इतिहास तथा दूसरा भूगोल का होगा। प्रत्येक खंड 100 अंकों का होगा। अभ्यर्थियों के लिये यह अनिवार्य है कि वे प्रत्येक खंड से एक अनिवार्य तथा दो वैकल्पिक प्रश्नों का उत्तर दें। सम्पूर्ण प्रश्न पत्र में कुल छह प्रश्न होंगे। प्रत्येक खंड के अनिवार्य प्रश्न में 10 बहुविकल्पीय प्रश्न होंगे जिनमें से प्रत्येक दो अंकों का होगा (कुल 20 अंक)। इसके अतिरिक्त इतिहास तथा भूगोल के प्रत्येक खण्ड में चार वैकल्पिक प्रश्न भी होंगे। चूँकि इतिहास तथा भूगोल दोनों में चार भिन्न उपखंड हैं अतः प्रत्येक उपखंड में से एक प्रश्न किया जा सकता है जिससे इतिहास तथा भूगोल के दो भिन्न खण्डों से कुल चार प्रश्न हल किये जा सकें। इनमें से अभ्यर्थी को केवल दो प्रश्नों के उत्तर देने हैं (प्रत्येक 40 अंक) । वैकल्पिक प्रश्न को परम्परागत तरीके (विवरणानात्मक, दीर्घ उत्तरीय) से ही लिखना होगा।

      Questions Marks Attempt
      20 MCQ 40 Marks (20 *2) All 20 MCQ
      8 Descriptive 160 Marks (40 *4) Only 4 Out 0f 8
      Sec A इतिहास
      10 MCQ 10*2 = 20 marks All 10 MCQ
      4 Descriptive 80 Marks (40 *2) Only 2 Out 0f 4
      Sec A : भूगोल
      10 MCQ 10*2 = 20 marks All 10 MCQ
      4 Descriptive 80 Marks (40 *2) Only 2 Out 0f 4

      खंड (अ)- इतिहास  ; कुल अंकः 100

      (1) प्राचीनकाल

      • (Chapter – 1) सिन्धु घाटी सभ्यता: उद्भव, पुरातनता, सीमा, रचनाकारिता तथा मुख्य विशेषताएँ ।
      • (Chapter – 2) आयों का उद्भव |
      • (Chapter – 3) वैदिक साहित्य की पुरातनता तथा विभाजनः आरम्भिक (ऋग्वेद) काल के दौरान समाज, अर्थव्यवस्था तथा धर्म।
      • (Chapter – 4) लिच्छवि तथा उनका गणतांत्रिक संविधान।
      • (Chapter – 5) मुगल साम्राज्य का अभ्युदय ।
      • (Chapter – 6) मौर्यों का काल साम्राज्य का विस्तार, कलिंग का युद्ध तथा इसके प्रभाव, अशोक का धम्म, विदेश नीति, मौर्य काल के दौरान कला तथा स्थापत्य का विकास।
      • (Chapter – 7) कुषाण वंश: कनिष्कः साम्राज्य का विस्तार, उसकी धार्मिक नीति, कुषाण काल के दौरान कला, स्थापत्य तथा संचार का विकास।
      • (Chapter – 8) गुप्त वंश साम्राज्य का विस्तार, गुप्त काल के दौरान भाषा, कला तथा स्थापत्य का विकास।
      • (Chapter – 9) हर्षवर्धनः उत्तरी भारत का अंतिम महान हिन्दू शासक, उसके काल के दौरान प्राप्त होने वाली सांस्कृतिक उपलब्धियाँ।
      • (Chapter – 10) चोल वंश: दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में नौवहन गतिविधियाँ, सांस्कृतिक उपलब्धियाँ, कला तथा स्थापत्य ।
      • (Chapter – 11) पल्लवों की सांस्कृतिक उपलब्धियाँ ।

      (2) मध्यकालः

      • (Chapter – 12) भारत पर अरबों का आक्रमण।
      • (Chapter – 13) भारत पर गजनवियों का आक्रमण ।
      • (Chapter – 14) दिल्ली सल्तनत: अल्लाउद्दीन खिलजी के बाजारी तथा सैन्य सुधार, मुहम्मद बिन तुगलक की काल्पनिक नीतियाँ।
      • (Chapter – 15) भारत पर मंगोलों का आक्रमण।
      • (Chapter – 16) धार्मिक आन्दोलन : (1) सूफी ( 2 ) भक्ति आंदोलन।
      • (Chapter – 17) नई इस्लामिक संस्कृति का आगमन: इंडो इस्लामिक स्थापत्य, हिंदी व उर्दू भाषाओं का विकास।
      • (Chapter – 18) मुगल काल : पानीपत का प्रथम युद्ध, शेर शाह सूरी की उपलब्धियाँ, मुगल साम्राज्य का एकत्रीकरण, अकबर के शासनकाल के अंतर्गत जागीरदारी तथा मनसबदारी व्यवस्था का प्रतिष्ठापन, अकबर का धर्म और राजपूतों की नीतियाँ, औरंगजेब का धर्म और राजपूतों की नीतियाँ, मुगल स्थापत्य और चित्रकारी, मुगल काल के दौरान आर्थिक स्थिति ।
      • (Chapter – 19) मराठों का उदय शिवाजी की उपलब्धियाँ, मराठों का उत्तर की ओर विस्तार तथा उनका पतन ।

      (3) आधुनिक काल:

      • (Chapter – 20) यूरोपीय औपनिवेशीकरण की शुरुआत ईस्ट इंडिया कंपनी का निर्माण तथा विकास, भारत में ब्रिटिश शक्ति का समेकन, प्लासी तथा बक्सर के युद्ध, मैसूर पर नियंत्रण, सहायक गठबंधन, चूक का सिद्धांत; राजगामी होने का सिद्धांत।
      • (Chapter – 21) औपनिवेशिक शासन का विरोध: किसानों, जनजातियों तथा सांस्कृतिक विरोध 1857 की क्रांति ।
      • (Chapter – 22) हिन्दू समुदाय में समाज सुधार आन्दोलनः ब्रह्म समाज, आर्य समाज, राम कृष्ण मिशन, प्रार्थना समाज तथा भारत की थियोसोफिकल सोसाइटी ।
      • (Chapter – 23) मुस्लिम समुदाय में समाज सुधार आन्दोलन : वहाबी आन्दोलन तथा अलीगढ़ आन्दोलन ।
      • (Chapter – 24) महिलाओं की स्थिति में सुधार हेतु संघर्ष: सती प्रथा का उन्मूलन, विधवा विवाह अधिनियम, सहमति विधेयक, महिला शिक्षा पर दबाव
      • (Chapter – 25) ब्रिटिश शासन के अंतर्गत भूमि राजस्व प्रशासनः स्थायी बंदोबस्त रैयतवाड़ी तथा महालवाड़ी व्यवस्था ।
      • (Chapter – 26) उन्नीसवीं सदी में भारत में राष्ट्रवाद का उदय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन, नरमपंथी तथा गरमपंथी, स्वदेशी आन्दोलन, होम रूल लीग आन्दोलन, खिलाफत आन्दोलन ।
      • (Chapter – 27) महात्मा गांधी और जनसामूहिक राजनीतिः असहयोग आन्दोलन, सविनय अवज्ञा आन्दोलन, भारत छोड़ो आन्दोलन ।
      • (Chapter – 28) भारत का विभाजन तथा इसके परिणाम |
      • (Chapter – 29) स्वतंत्रता के पश्चात् भारत: भारतीय संघ में देशी रियासतों का विलय, भाषायी आधार पर राज्यों का पुनर्गठन, नेहरू तथा इंद्रा गांधी के अंतर्गत गुटनिरपेक्ष की नीति, बांग्लादेश की आज़ादी।

      (4) झारखण्ड का इतिहास:

      • (Chapter – 30 ) आदि धर्म जैसे- झारखण्ड की जनजातियों का सारण सम्प्रदाय ।
      • (Chapter – 31) सदन अवधारणा तथा नागपुरिया भाषा का उद्भव ।
      • (Chapter – 32) झारखंड में जनजाति संघर्ष तथा राष्ट्रवादी संघर्ष ।
      • (Chapter – 33) बिरसा आंदोलन।
      • (Chapter – 34) ताना भगत आन्दोलन ।
      • (Chapter – 35) झारखण्ड में स्वतंत्रता आन्दोलन।

       

      खंड (ब)-भूगोल कुल अंकः 100

      (1) भौतिक भूगोल (सामान्य सिद्धांत) :

      • (Chapter – 1) पृथ्वी की उत्पत्ति क्रमिक विकास, पृथ्वी का आंतरिक भाग वेगनर का महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत, प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत, ज्वालामुखी, भूकंप और सुनामी ।
      • (Chapter – 2) चट्टानों के प्रमुख प्रकार और उनकी विशेषताएँ, नदी, हिमनदों, शुष्क और कर्स्ट क्षेत्रों में भू आकृतियो का क्रमिक विकास तथा विशेषताएँ ।
      • (Chapter – 3) भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ: अपक्षयण, वृहद् क्षरण, अपरदन और निक्षेपण, मृदा का निर्माण, भू-चक्र, डेविस तथा पेंक के विचार ।
      • (Chapter – 4) वायुमंडल की संरचना बनावट तथा स्तरीकरण |
      • (Chapter – 5) सूर्यताप पृथ्वी का ऊष्मा बजट।
      • (Chapter – 6) तापमान का क्षैतिज तथा लंबवत वितरण, तापमान का व्युत्क्रमण।
      • (Chapter – 7) वायु भार तथा वाताग्र, उष्णकटिबंधीय तथा शीतोष्ण चक्रवात ।
      • (Chapter – 8) वाष्पीकरण तथा संघननः ओस, पाला, कोहरा, धुंध और बादल, वर्षा ।
      • (Chapter – 9) जलवायु का वर्गीकरण (कोपेन तथा थोर्नवैट), हरित गृह प्रभाव, वैश्विक तापन तथा जलवायु परिवर्तन ।
      • (Chapter – 10) जलीय चक्र, महासागरों व समुन्द्रों में तापन तथा सोलीसीट्स का वितरण, तरंगे, ज्वार तथा धाराएँ, महासागरीय तल के उच्चावचिय गुण ।

      (2) भारत का भौतिक तथा मानव भूगोल:

      • (Chapter – 11) बनावट, उच्चावच और प्राकृतिक भूगोल संबंधी विभाजन, हिमालय तथा प्रायद्वीप की जल अपवाह प्रणाली ।
      • (Chapter – 12) भारतीय मानसून, प्रणाली, इसका आरम्भ और समाप्ति, जलवायु के प्रकार (कोपेन तथा थोर्नवैट), हरित क्रांति और भारत की मुख्य फसलों पर इसका प्रभाव, खाद्य अल्पता ।
      • (Chapter – 13) प्राकृतिक वनस्पतियाँ: वनों के प्रकार एवं वितरण, वन्य जीवन, संरक्षण, जैवमंडलीय रिजर्व ।
      • (Chapter – 14) मृदा के मुख्य प्रकार ( आईसीएआर का वर्गीकरण) तथा उनका वितरण, मृदा का निम्नीकरण और संरक्षण।
      • (Chapter – 15) प्राकृतिक आपदाएँ: बाढ़, सुखा, चक्रवात, भूस्खलन ।
      • (Chapter – 16) जनसंख्या वृद्धि, वितरण और घनत्व ।
      • (Chapter – 17) आयु: लिंगानुपात, ग्रामीण शहरी संरचना ।
      • (Chapter – 18) जनसंख्या: पर्यावरण और विकास।
      • (Chapter – 19) बस्तियों के प्रकार: ग्रामीण तथा शहरी, शहरी बनावट, शहरी बस्तियों का कार्यात्मक वर्गीकरण, भारत में मानव बस्तियों की समस्याएँ ।

      (3) भारत के प्राकृतिक संसाधन विकास और उपयोगः

      • (Chapter – 20 ) भूमि संसाधन : सामान्य भूमि का प्रयोग, कृषि भूमि का प्रयोग, मुख्य फसलों की भौगोलिक स्थिति तथा उनका वितरण जैसे- चावल, गेहूँ, कॉटन, जूट, गन्ना, रबर, चाय तथा कॉफी ।
      • (Chapter – 21) जल संसाधन: औद्योगिक तथा अन्य उद्देश्यों के लिये उपलब्धता तथा उपयोग, सिंचाई, जल की अल्पता, संरक्षण की विधियाँ जैसे- वर्षा जल कृषि और जल विभाजक प्रबंधन, सतही जल प्रबंधन।
      • (Chapter – 22) खनिज व ऊर्जा संसाधनः वितरण और उपयोगिता:
        • 1. धात्विक खनिज (लौह अयस्क, कॉपर, बॉक्साइट, मेगनीज)
        • 2. अधात्विक खनिज और परम्परागत खनिज (कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस)
        • 3. जल विद्युत और ऊर्जा के गैर-परम्परागत स्रोत (सौर, वायु तथा बायोगैस)
        • 4. ऊर्जा स्रोतः उनका वितरण तथा संरक्षण ।
      • (Chapter – 23) उद्योगों का विकासः उद्योगों के प्रकार; औद्योगिक अवस्थिति के कारण, चुनिंदा उद्योगों (लौह व स्टील, कॉटन टेक्सटाइल, चीनी व पेट्रोरसायन) का वितरण और परिवर्तित होता स्वरूप, वेबर का उद्योगों की अवस्थिति का सिद्धांत व आधुनिक विश्व में इसकी प्रासंगिकता ।
      • (Chapter – 24) परिवहन, संचार और अंतर्राष्ट्रीय व्यापारः
        • (a) सड़क, रेलवे और जल मार्ग ।
        • (b) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का आधार भारत के विदेशी व्यापार के बदलते स्वरूप।

      (4) झारखंड का भूगोल और इसके संसाधनों की उपयोगिता:

      • (Chapter – 25) भूगर्भीय इतिहास, भू-आकृतियाँ, अपवाह प्रणाली, जलवायु, मृदा के प्रकार और वन, कृषि और सिंचाई, दामोदर और सुवर्णरेखा प्रोजेक्ट, झारखण्ड के खनिज संसाधन, उनका निष्कर्षण और उपयोग ।
      • (Chapter – 26) जनसंख्या वृद्धि, वितरण, घनत्व, जनजातीय जनसंख्या और उनका वितरण, जनजातियों की समस्याएँ और जनजातीय विकास योजनाएँ, उनके रिवाज, अनुष्ठान, त्यौहार आदि।
      • (Chapter – 27) औद्योगिक और शहरी विकास, मुख्य उद्योग-लौह, स्टील और सीमेंट, कुटीर उद्योग ।
      • (Chapter – 28) शहरी बस्ती के प्रकार और जनसांख्यिकीय समस्याएँ ।