झारखण्ड की अर्थव्यवस्था का परिचय Introduction to the economy of Jharkhand : SARKARI LIBRARY

  • Post author:
  • Post category:Blog
  • Reading time:44 mins read

 

  • देश के कुल खनिज संसाधन का लगभग 40 प्रतिशत खनिज  झारखण्ड  में है। अतः झारखण्ड की भूमि को रत्नगर्भा भी कहा जाता है। 

  • खनिज संसाधनों की प्रचुरता के कारण इस राज्य की तुलना जर्मनी के रूर प्रदेश से की जाती है। इसी कारण झारखण्ड को भारत का रूर कहा जाता है।

  •  भारतीय खनन ब्यूरो के अनुसार झारखण्ड में कुल 58 प्रकार के खनिज पाये जाते हैं तथा यहाँ की अर्थव्यवस्था का मूल आधार खनिज संसाधन और उन पर निर्भर उद्योग-धंधे हैं। 

  • झारखण्ड में देश के कई प्रमुख औद्योगिक शहर अवस्थित हैं जिनमें जमशेदपुर, राँची, बोकारो तथा धनबाद प्रमुख हैं। 

देश में औद्योगिक दृष्टिकोण से विभिन्न बातों में झारखण्ड का प्रथम स्थान है:

  • देश का प्रथम उर्वरक कारखाना-सिंदरी (धनबाद

  • देश का प्रथम लौह-इस्पात उद्योग-जमशेदपुर 

  • एशिया की सबसे बड़ी कोल वाशरी – करगाली (बोकारो)

  • देश का प्रथम कोल वाशरी-घाटो (रामगढ़)

  • देश का प्रथम मीथेन गैस कुआं-परबतपुर (बोकारो) 

  • भारत में आधुनिक रूप से लौह-इस्पात तैयार करने का प्रथम प्रयास 1779 ई. में धनबाद जिले के झरिया नामक स्थान पर किया गया था। 

  • आर्थिक समीक्षा 2017-18 के अनुसार सकल राज्य मूल्य वृद्धि (gross state value added ,GSVA) में औद्योगिक क्षेत्र का योगदान 44.54% है। 

  • राज्य में प्रमुखतः खनिज आधारित उद्योगों का विकास हुआ है जिनमें टाटा आयरन एण्ड स्टील कंपनी (टिस्को), टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव कंपनी (टेल्को), सिंदरी फर्टिलाइजर तथा हैवी इंजीनियरिंग कारपोरेशन (एच.ई.सी.) आदि प्रमुख हैं।

  •  राज्य में उत्पादित खनिजों में लौह-अयस्क, मैंगनीज, कोयला तथा डोलोमाइट की बहुलता है जिन्होनें लौह-इस्पात उद्योगों के विकास हेतु मजबूत आधार प्रदान किया है। 

  • राज्य में तांबा, गंधक, एस्बेस्टस, बॉक्साइट, अभ्रक, यूरेनियम आदि खनिजों के उत्पादन के कारण तांबा उद्योग, विद्युत संयंत्र उद्योग तथा एल्युमिनियम उद्योग आदि का विकास संभव हुआ है।

  • झारखण्ड राज्य में परिवहन एवं संचार के साधनों हेतु सड़क, रेल तथा वायु मार्ग का विकास किया गया है। 

  • राज्य में अधिकांश नदियाँ पहाड़ी क्षेत्रों से प्रवाहित होती हैं, जिसके कारण यहाँ जल परिवहन का विकास संभव नहीं हो पाया है।

  •  राज्य की एकमात्र मयूराक्षी नदी वर्षा के दिनों में जल परिवहन हेतु उपयुक्त दशाएँ प्रदान करती है। 

  • राज्य में वनों की प्रचुरता के कारण विभिन्न प्रकार के वन आधारित उद्योगों का विकास हुआ है जिनमें लकड़ी उद्योग, कागज एवं लुगदी उद्योग तथा लाख उद्योग महत्वपूर्ण हैं। 

  • झारखण्ड में ऊर्जा संसाधन के रूप में मुख्यतः कोयला तथा जल की उपलब्धता है तथा ऊर्जा के शेष संसाधन नगण्य मात्रा में उपलब्ध हैं।

  • राज्य की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 2,626 मेगावाट है। 

  • राज्य में उत्पादित कुल विद्युत का 51% स्वामित्व राज्य सरकार के पास, 14% केन्द्र सरकार के पास तथा 35% निजी कंपनियों के पास है।

  • 19वीं पशु जनगणना-2012 के अनुसार राज्य में मवेशियों की कुल संख्या 18.05 मिलियन है। 

  • झारखण्ड में प्रति व्यक्ति दुग्ध उपलब्धता 171 ग्राम है।  

  • राज्य में नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ डिजाइन, अहमदाबाद के सहयोग से राँची में डिजाइन इंस्टीच्यूट की स्थापना प्रस्तावित है। 

  • राज्य के राँची तथा खरसावाँ में सिल्क पार्क की स्थापना प्रस्तावित है। 

  • हजारीबाग स्थित पुलिस प्रशिक्षण केन्द्र को पुलिस अकादमी में अपग्रेड करने की राज्य सरकार की योजना है। 

  • अपराध अनुसंधान हेतु प्रशिक्षित बल तैयार करने के उद्देश्य से राँची में Investigation Training School की स्थापना प्रस्तावित है। 

  • बजट 2019-20 के अनुसार पिछले वर्ष की तुलना में राज्य की आर्थिक संवृद्धि दर (Economic growth rate) 6.9 प्रतिशत अनुमानित है। 

  • प्रचलित मूल्यों पर वर्ष 2019-20 में राज्य का प्रति व्यक्ति आय 83,513 रूपये अनुमानित है।

  •  सकल घरेलू उत्पाद(Gross Domestic Product) की दृष्टि से झारखण्ड भारत का 18वाँ बड़ा राज्य है। 

  • झारखण्ड राज्य में 2019-20 के बजट में बाल बजट की शुरूआत की गयी थी।

झारखण्ड में श्रम शक्ति सहभागिता दर तथा बेरोजगारी 

श्रम शक्ति सहभागिता दर

बेरोजगारी दर

झारखण्ड

भारत

झारखण्ड

भारत

कुल 

31.2

36.9

7.7

6.1

ग्रामीण 

31.5

37

7.1

5.3

शहरी

29.8

36.8

10.5

7.8

पुरूष

50.4

55.5

8.2

6.2

महिला

10.9

17.5

5.2

7.5

(Source – Jharkhand Economic Survey 2019-20) 

  • वैश्विक बहुआयामी निर्धनता सूचकांक-2019 (world multidimensional poverty index) के अनुसार झारखण्ड राज्य की कुल जनसंख्या का 46.5% (2015-16 में) निर्धनता रेखा से नीचे जीवन बसर करती है। 2005-06 में यह आंकड़ा 74.7% था। 2005-06 से 2015-16 के बीच पूरे देश में निर्धनों की संख्या में सबसे अधिक कमी झारखण्ड राज्य में (72 लाख लोग)  दर्ज की गयी है। 

  • झारखण्ड राज्य में कुल कार्यरत बल का 46.75% कृषि क्षेत्र में, 18.54% निर्माण क्षेत्र में तथा 8.7% विनिर्माण क्षेत्र में संलग्न हैं।

राज्य में नगरीय विकास 

  • जनगणना-2011 के अनुसार झारखण्ड राज्य की कुल जनसंख्या का 24.05% नगरीय क्षेत्र में निवास करता है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह आँकड़ा 32% है। 

जनगणना-2011 के अनुसार झारखण्ड राज्य में कुल शहरों की संख्या 228 है, जिनका वर्गीकरण निम्नवत् है

जनसंख्या

श्रेणी 

संख्या 

10 लाख से अधिक 

मिलियन शहर 

3

1 लाख से 10 लाख 

क्लास-I शहर

7

50 हजार से 1 लाख 

क्लास-II शहर

12

20 हजारी से 50 हजार 

क्लास-III शहर 

39

10 हजार से 20 हजार 

क्लास-IV शहर

48

5000 हजार से 10 हजार

क्लास-V शहर

90

5000 से कम 

क्लास-VI शहर

29

सभी वर्ग

228

  • जनगणना-2011 के अनुसार राज्य के शहरी क्षेत्र में गंदी बस्ती (Slums) की कुल आबादी 3,72.999 है। 

  • इनमें  से गंदी बस्ती की सर्वाधिक आबादी क्लास-I शहर में तथा न्यूनतम आबादी क्लास-V 5723 है। 

  •  गंदी बस्ती की कुल आबादी में 35% जनसंख्या अशिक्षित है जबकि कार्यरत जनसंख्या मात्र 60% है।

झारखण्ड बजट

अनुमान 

2021-22

2020-21

मद

राशि 

( करोड़ में)

राशि 

( करोड़ में)

राजस्व प्राप्तियाँ

76707.00

75308.75

पूँजीगत प्राप्तियाँ

14570.00

11061.25

कुल प्राप्तियाँ

91277

86370.00

राजस्व व्यय

75755.01

73315.94

पूँजीगत व्यय

15521.99

13054.06

कुल व्यय

91277

86370.00

राजस्व घाटा

-951.99     (0.26%)

-1992.81     

(-0.52%)

प्रभावी राजस्व घाटा 

-11418.02   (-3.16%)

-12012.99       (-3.13%)

राजकोषीय घाटा

10210.87    (2.83%)

8243.04        

(2.15%)

प्राथमिक घाटा 

4023.71   (1.11%)

2597.52        (0.68%)

11वीं तथा 12वीं पंचवर्षीय योजना में झारखण्ड

क्षेत्रक

11वीं योजना में लक्ष्य

11वीं योजना में लक्ष्य प्राप्ति

12वीं योजना में लक्ष्य

प्राथमिक क्षेत्रक की वृद्धि दर

6.3%

7.8%

6.5%

द्वितीयक क्षेत्रक की वृद्धि दर

12%

12.6%

12.5%

तृतीयक क्षेत्रक की वृद्धि दर

8%

10.2%

17.5%

सकल राज्य घरेलू उत्पाद वृद्धि दर

9.8%

7.2%

10%

आर्थिक समीक्षा 2019-20 के अनुसार संवृद्धि दर (GR) एवं सकल राज्य मूल्य वृद्धि (GSVA) में विभिन्न क्षेत्रों का योगदान (स्थिर मूल्य पर) 

क्षेत्र

संवृद्धि दर योगदान

GSVA में योगदान 

प्राथमिक क्षेत्र

15.2%

23.8%

द्वितीयक क्षेत्र

19.8%

29.5%

तृतीयक क्षेत्र

65%

46.7%