छॉइहर(कहानी संग्रह/गोछ )
लेखक – चितरंजन महतो चित्रा
कहानी संग्रह – 10
कहानी 3 – हाम कइसे जीयब
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इस कहानी के माध्यम से माओवादी और पुलिस के मुठभेड़ से प्रभावित गांवों की मार्मिक दुर्दशा का चित्रण किया गया है
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इस कहानी के मुख्य पात्र है
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मुँहअंधरा(प्रातकाल ) का समय है ,महेश्वर लंबी छुट्टी के बाद पत्नी पार्वती के साथ अपने रिस्तेदार के गांव जाता है जिस गांव का नाम मुरपा है.
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वहां उसका भतीजा रघुनाथ रहता है जो की उम्र में उससे बड़े हैं.
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जब महेश्वर भतीजा का गांव पहुंचता है तो उसका चार चक्का गाड़ी देखकर गांव वाले डर से इधर-उधर भागने लगते हैं वे समझते हैं कि यह पुलिस का गाड़ी है
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रघुनाथ अपनी बड़ी बहू को लाल कोटइर मुर्गी मारने को कहता है ताकि मेहमानों को खिलाया जा सके
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रघुनाथ महेश्वर को गांव में ही नीचे टोला की ओर शराब पिलाने के लिए ले जाता है
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बे चुनिया के घर जाते हैं, पहुंचने पर महेश्वर चुनिया से पूछता है कि आपके पति कहां है, तब रघुनाथ जवाब देता है कि चुनिया के पति का नाम था डमरु बहुत सीधा-साधा आदमी था एक दिन उसे एमसीसी यानी कि माओवादी अपने साथ उठाकर ले जाते हैं और बाद में माओवादी और पुलिस के मुठभेड़ में डमरु मारा जाता है
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चुनिया के तीन बच्चे हैं बड़ी बेटी का नाम करमी है जो बकरी चराती है और छोटकी बेटी छोटा बेटा का देखभाल करती है जो कि 3 वर्ष का है
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चुनिया अपना परिवार का भरण पोषण दतवन एवं पत्ता बेचकर तथा शराब बनाकर करती है
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तभी चुनिया रोने लगती है और कहती है ‘हम जीयब कैसे’ .
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यह कहानी माओवादी और पुलिस आतंक से प्रभावित गांव का मार्मिक दुर्दशा को प्रदर्शित करता है
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