राजकोषीय नीति (fiscal policy)
बजट (Budget)
- बजट (Budget) शब्द का विकास फ्रेंच शब्द ‘बूजेट (Bougette) से हुआ है, जिसका शाब्दिक अर्थ है- एक छोटा चमड़े का थैला(बैग)।
- इंग्लैंड के प्रथम प्रधानमंत्री : सर रॉबर्ट वालपोल (1721-1742) चमड़े का थैला से बजट प्रणाली की शुरुआत की थी।
- भारत में बजट प्रणाली की शुरुआत का श्रेय वायसराय कैनिंग को जाता है।
- 1859 में वॉयसराय की कार्यकारिणी परिषद में पहली बार एक विशेष सदस्य सर जेम्स विल्सन को वित्त सदस्य के रूप में सम्मिलित किया गया ।
- जेम्स विल्सन ने पहली बार 7 अप्रैल, 1860 को वायसराय की कार्यकारिणी परिषद में प्रथम बजट प्रस्तुत किया ।
- भारत में बजट प्रणाली का संस्थापक जेम्स विल्सन को माना जाता है।
- अनुच्छेद 112 : केन्द्र सरकार का बजट/ ‘वार्षिक वित्तीय विवरण’ के संबंध में व्यवस्था
- अनुच्छेद 202 : राज्य सरकारों की बजट के संबंध में व्यवस्था
- राष्ट्रपति द्वारा निर्देशित तिथि पर लोकसभा में बजट पेश की जाती है।
- यदि बजट लोक सभा द्वारा पारित नहीं होता है तो प्रधानमंत्री अपनी मंत्रिपरिषद का त्यागपत्र पेश कर देता है।
- प्रारंभ में रेल बजट और आम बजट एक साथ ही प्रस्तुत किया जाता था । लेकिन 1921 में नियुक्त ऑकवर्थ कमिटी की सिफारिशों के आधार पर 1924 में यह निर्णय लिया गया कि रेल बजट को आम बजट से अलग प्रस्तुत किया जाये और 1925 में पहली बार रेल बजट को अलग से पेश किया गया और तभी से रेल बजट को आम बजट से अलग प्रस्तुत किया जाने लगा। लेकिन 2017 में भाजपा सरकार ने रेल बजट को आम बजट के साथ पेश करने का निर्णय लिया ।
- स्वतंत्र भारत का पहला बजट 26 नवम्बर, 1947 को पहले वित्तमंत्री आर. के. षणमुखम शेट्टी द्वारा पेश किया गया था । यह बजट 15 अगस्त, 1947 से 31 मार्च, 1948 तक के साढ़े सात माह की अवधि के लिए था।
- जॉन मथाई को वर्ष 1950 में गणतंत्र भारत का पहला केन्द्रीय बजट पेश करने का गौरव प्राप्त हुआ ।
- भारत में अभी तक (वर्ष-2022) सबसे अधिक बार बजट पेश करने वाले वित्तमंत्री मोरारजी देसाई थे । उन्होंने कुल 10 बजटपेश किये, जबकि पी. चिदम्बरम ने 8 बजट पेश किये।
- वित्तमंत्री के रूप में वर्ष 1991 में डॉ. मनमोहन सिंह ने देश में आर्थिक उदारीकरण की नीति लागू करने की घोषणा की।
- अंग्रेजों ने भारत के लिए बजट पेश करने का समय शाम के पाँच बजे का समय रखा गया था, लेकिन 1999 में वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने बजट पेश करने का समय दिन के 11 बजे कर दिया।
- भारत में बजट सामान्यतः निम्नलिखित अनुमानों को व्यक्त करता है—
- 1. विगत वर्ष के वास्तविक प्राप्तियाँ तथा व्यय
- 2.चालू वित्त वर्ष के बजट अनुमान और संशोधित अनुमान
- 3. आगामी वर्ष के प्रस्तावित बजट अनुमान,
- इस प्रकार भारत में बजट प्रस्तुतीकरण का संबंध 3 वर्षों के आँकड़ों से होता है ।
भारत सरकार की निधियाँ
संचित निधि / Consolidated Fund of India:
- It is established under Article 266(1) of the Indian Constitution.
- All revenues received by the Government of India, including taxes, loans raised, and money received in repayment of loans, are credited to this fund.
- Expenditures of the government, including salaries, pensions, and developmental projects, are incurred from the Consolidated Fund.
- No money can be withdrawn from this fund without the authorization of Parliament, which ensures financial accountability.
लोक लेखा निधि/ Public Account Fund:
- The Public Account Fund, established under Article 266(2) of the Indian Constitution, is used to account for money held by the government in trust.
- It includes items like provident funds, small savings collections, and other deposits that are repayable to the depositors.
- Unlike the Consolidated Fund, withdrawals from the Public Account do not require parliamentary approval. These transactions are managed by executive authority.
आकस्मिक निधि/ Contingency Fund of India:
- The Contingency Fund of India is established under Article 267 of the Indian Constitution.
- It is meant to meet urgent or unforeseen expenditures when there is a need for immediate funds before the approval of Parliament.
- The President of India can make advances from this fund, and the amount is later recouped when Parliament approves the expenditure.
- The Contingency Fund is a standby source of funding to address emergencies and is replenished periodically.
- सरकार की प्राप्तियाँ एवं व्यय
- कुल सार्वजनिक आय
- राजस्व प्राप्तियाँ
- पूंजीगत प्राप्तियाँ
- कुल सार्वजनिक व्यय
- योजनागत व्ययं
- राजस्व व्यय
- गैर-योजनागत व्यय
- पूंजीगत व्यय
- कुल सार्वजनिक आय
- भारत में कर संरचना
- करारोपण की विधियाँ
- प्रतिगामी कर प्रणाली
- प्रगतिशील कर प्रणाली
- अवक्रमिक कर प्रणाली
- आनुपातिक कर प्रणाली
कर
प्रत्यक्ष कर /Direct taxes : are taxes that are imposed directly on individuals or entities. The liability to pay these taxes falls directly on the person or organization earning income or owning assets.
- पूंजी लाभ कर
- व्यक्तिगत आयकर /Income Tax
- संपत्ति कर /Wealth Tax
- फ्रिज लाभ कर
- प्रतिभूति विनिमय कर
- उपहार कर
- Corporate Tax
अप्रत्यक्ष कर /Indirect taxes : are taxes imposed on the purchase of goods and services rather than on the income or wealth of individuals or businesses. The tax is collected by intermediaries (e.g., businesses) and passed on to consumers.
- सीमा शुल्क /Custom duty
- सेवा कर/ service tax
- उत्पाद शुल्क / Excise duty
- मूल्य वर्द्धित कर /Revised Value Added Tax and Central Value Added Tax
- केंद्रीय बिक्री कर / central sales tax
- वस्तु एवं सेवा कर / goods and services Tax (GST)
वस्तु एवं सेवा कर Goods and Services Tax (GST)
- वस्तु एवं सेवा कर 1 जुलाई 2017 से लागू होगा ।
- जीएसटी सहकारी संघवाद को सुदृढ़ बनाते हुए देश में आर्थिक एकीकरण को सुनिश्चित करता है ।।
- जीएसटी “एक देश एक कर एक बाजार “के लक्ष्य को पूरा करने का मार्ग तैयार करेगा।
- जीएसटी में केवल मूल्य संवर्धन (Value Addition) पर ही कर लगाया जाएगा और कर का बोझ अंतिम उपभोक्ता द्वारा वाहन किया जाएगा ।
- 101 वां संविधान संशोधन अधिनियम 2016 के द्वारा अनुच्छेद 366 में एक नया खंड 12A जोड़ा गया ।
- वस्तु एवं सेवा कर का अर्थ है “मानव उपभोग के लिए मादक पेय पदार्थों की आपूर्ति पर लगने वाले कर को छोड़कर वस्तुओ या सेवाओ या दोनों की आपूर्ति पर लगने वाला कर
- भारत में जीएसटी के लागू होने से उपभोक्ताओं को दोहरे कराधान यानी कि कर पर कर(Cascading) से मुक्ति मिलेगी ।
- जीएसटी एक प्रकार का अप्रत्यक्ष कर है।
- CGST
- SGST
- IGST
CGST
- यह कर केंद्र सरकार द्वारा एक राज्य के भीतर होने वाले लेनदेन पर लगाया जाता है एवं केंद्र सरकार के खाते में जमा होता है
SGST
- यह कर राज्य सरकार द्वारा एक राज्य के भीतर होने वाले लेनदेन पर लगाया जाता है एवं राज्य सरकार के खाते में जमा होता है
IGST
- यह कर केंद्र सरकार द्वारा एक अंतरराज्य वस्तुओ और सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाता है
GST का विकास क्रम
- 19 दिसंबर, 2014 को वस्तु एवं सेवा कर पर 122वाँ संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में लाया गया।
- मई 2015 में लोकसभा द्वारा जीएसटी पर 122वें संविधान संशोधन विधेयक पर विचार-विमर्श किया गया एवं इसे पास कर दिया गया।
- राज्यसभा ने 3 अगस्त, 2016 को कुछ संशोधनों के साथ इस विधेयक को पास कर दिया। लोकसभा ने 8 अगस्त, 2016 को फिर से संशोधित विधेयक को पास कर दिया।
- अपेक्षित संख्या में राज्य विधानसभाओं द्वारा इस संकल्प को पारित करने के पश्चात् इस विधेयक को राष्ट्रपति की सहमति के लिये भेजा गया।
- सबसे पहले इस विधेयक को 12 अगस्त, 2016 को असम ने पारित किया। इसके पश्चात् दूसरे नंबर पर बिहार ने इसे पारित किया। सबसे अंत में 7 जुलाई, 2017 को जम्मू-कश्मीर राज्य विधानसभा द्वारा इसे पारित किया गया।
- 8 सितंबर, 2016 को राष्ट्रपति द्वारा इस विधेयक पर हस्ताक्षर किये गए।
- राष्ट्रपति के हस्ताक्षर करने के बाद यह ‘101वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2016’ बन गया।
- यह अधिनियम उस दिन से लागू माना जाएगा, जिस दिन से केंद्र सरकार इसे लागू करने के लिये अधिसूचना जारी करे।
- 101 वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2016 के द्वारा अनुच्छेद 279A में यह प्रावधान है कि इस अधिनियम के लागू होने के 60 दिनों के अंदर राष्ट्रपति द्वारा जीएसटी परिषद् (जीएसटी काउंसिल) का गठन किया जाएगा।
- इस प्रकार केंद्र सरकार द्वारा 12 सितंबर, 2016 को इस अधिनियम की केवल धारा 12 लागू कर दी गई, जिसके तहत जीएसटी काउंसिल का गठन किया गया।
- 16 सितंबर, 2016 को भारत सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के द्वारा 101वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2016 के सभी खंडों को लागू कर दिया गया।
- 1 जुलाई, 2017 से जीएसटी को पूरे देश में लागू कर दिया गया।
101वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2016 ( 101st Constitution Amendment Act, 2016 )
नए प्रावधान (New Provisions )
अनुच्छेद 246 :
- अनुच्छेद 246 के तहत यह व्यवस्था की गई है कि संसद को सीजीएसटी और आईजीएसटी लगाने का अधिकार होगा और राज्यों को एसजीएसटी लगाने का अधिकार होगा।
अनुच्छेद 248:
- अनुच्छेद 248 यह बताता है कि कौन-से विधानमंडल के पास कौन-से अधिकार होंगे। अनुच्छेद 246-248 तीनों सूचियों से संबंधित हैं- संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची ।
अनुच्छेद 268A:
- अनुच्छेद 268 A पहले सेवा कर का प्रावधान करता था। अब यह अनुच्छेद संविधान से समाप्त कर दिया गया है।
अनुच्छेद 269:
- इसके तहत पहले जो अंतर्राज्यीय लेन-देन होता था, उस पर कर केंद्र लेता था, परंतु उसे राज्यों में बाँट दिया जाता था। अनुच्छेद 269 में अब एक नया अनुच्छेद 269 A आईजीएसटी का प्रावधान किया गया है। यह अंतर्राज्यीय लेन-देन पर लगता है। अब अगर वस्तु का बाहर से आयात होगा तो वहाँ सीमा शुल्क के साथ-साथ आईजीएसटी भी लगेगा। 1 जुलाई, 2017 के बाद से जो भी वस्तुएँआयातित होंगी, वे अंततः जिस राज्य में उपभोग होंगी, उस राज्य को उसके आयात पर आईजीएसटी का आधा हिस्सा भी मिलेगा । इस प्रकार पहली बार राज्यों को आयात में से कुछ हिस्सा मिलेगा। विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) पर भी आईजीएसटी लगेगा।
अनुच्छेद 270:
- अनुच्छेद 270 के तहत जो कर केंद्र लगाता और वसूलता था, उसके बाद इसे राज्यों में बाँट दिया जाता था। अब साथ में जीएसटी से जो राजस्व एकत्रित होगा, उसमें अर्थात् सीजीएसटी और आईजीएसटी में केंद्र का जो आधा हिस्सा है, यह कर भी विभाज्य पूल का हिस्सा बनेगा और वित्त आयोग की अनुशंसाओं के अनुसार केंद्र और राज्यों के बीच बाँटा जाएगा।
अनुच्छेद 271:
- अनुच्छेद 271 में दो बातें समाहित हैं- अधिभार और उपकर । इससे संबंधित केंद्र सरकार के पास विशेष उपाय थे। केंद्र का कर संग्रह कम होने पर केंद्र अनुच्छेद 269 और अनुच्छेद 270 जो कर का प्रावधान था, उन पर अधिभार या उपकर लगा सकता था, जिसमें जो भी कर केंद्र लगाता था, उसका सारा पैसा केंद्र को मिलता था तथा राज्यों को कोई पैसा नहीं मिलता था। लेकिन अब इससे जो भी कर राजस्व प्राप्त होगा, अब वह वित्त आयोग के सुझाव के अनुसार राज्यों तथा केंद्र में बाँट दिया जाएगा।
- केंद्र सरकार के जो कर बचे हैं, उन पर केंद्र अधिभार भी लगा सकता है और उपकर भी ।जीएसटी के मामले में अब एक विशेष उपकर ‘जीएसटी उपकर’ लगेगा और जीएसटी उपकर का बँटवारा जीएसटी परिषद् के निर्देशों पर केंद्र और राज्यों के बीच में होगा। जीएसटी उपकर का सारा पैसा राज्य क्षतिपूर्ति निधि में जाएगा, क्योंकि जीएसटी लगाने पर यदि राज्यों को कोई घाटा होगा तो इसकी भरपाई करने के लिये केंद्र ने पाँच वर्षों की गारंटी दी है।
- महँगी वस्तुओं पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाया जाएगा एवं इसके बाद 15 प्रतिशत अधिभार लगाया जाएगा। इसके साथ ही स्वच्छ ऊर्जा उपकर लगाया जाएगा, जिसका पैसा अब राज्य को जाएगा।
- जीएसटी में केंद्र सरकार के 17 करो,22 उपकरो एवं राज्य सरकार के उपर्युक्त अप्रत्यक्ष करों को सम्मिलित करके एक एकीकृत कर (वस्तु एवं सेवा कर) का निर्माण किया गया है।
- मानवीय उपभोग हेतु मादक पेय पदार्थ (एल्कोहलिक लिकर) एवं पाँच पेट्रोलियम उत्पादों, यथा- पेट्रोलियम क्रूड, मोटर स्पिरिट (पेट्रोल), हाई स्पीड डीजल, नेचुरल गैस एवं एविएशन टरबाइन फ्यूल के अलावा सभी वस्तुओं पर जीएसटी लागू होगा। इन पाँच विशिष्ट पेट्रोलियम उत्पादों (पेट्रोलियम क्रूड, पेट्रोल, डीजल, नेचुरल गैस, एटीएफ) पर उस तारीख से जीएसटी लगाया जाएगा, जिस तारीख से लगाने के लिये जीएसटी परिषद् सिफारिश करेगी।
- तंबाकू और तंबाकू उत्पादों पर भी जीएसटी लगाया जाएगा। इसके अतिरिक्त केंद्र इस पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क लगाता रहेगा।
- जीएसटी से छूट प्राप्त वस्तुओं एवं सेवाओं की सूची केंद्र और सभी राज्यों के लिये समान होगी।
- इस प्रकार जीएसटी एक व्यापक अप्रत्यक्ष कर है। यह कर पूरे भारत में एक समान रूप से लागू होता है।
जीएसटी परिषद् (GST Council)
- 101वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2016 के द्वारा अनुच्छेद 279A (1) में यह प्रावधान किया गया है कि 101वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2016 की शुरुआत की तारीख से 60 दिनों के अंदर राष्ट्रपति द्वारा जीएसटी परिषद् ( GST Council) का गठन किया जाएगा।
- वस्तु एवं सेवा कर परिषद् का गठन 12 सितंबर, 2016 को किया गया।
- जीएसटी परिषद् की सहायता के लिये इसका एक सचिवालय भी स्थापित किया गया है।
- संविधान में जीएसटी से संबंधित सभी महत्त्वपूर्ण विषयों एवं जीएसटी की दरों के निर्धारण से संबंधित सभी विषयों पर निर्णय लेने का पूरा अधिकार जीएसटी परिषद् को दिया गया है।
- 1 जुलाई, 2017 को जीएसटी लागू किया गया।
- जीएसटी परिषद् (GST Council) केंद्रीय जीएसटी, राज्य जीएसटी, संघ राज्य क्षेत्र जीएसटी, एकीकृत जीएसटी और राज्यों को क्षतिपूर्ति से संबंधित प्रारूप विधानों की अनुशंसा करने और जीएसटी से संबंधित अनेक नियम,
- लगभग 1200 वस्तुओं पर जीएसटी की विभिन्न 4 दरें आदि को प्रस्तुत करने में सफल रही है।
जीएसटी परिषद् – संरचना
- जीएसटी परिषद् में केंद्र सरकार के दो प्रतिनिधि हैं-
-
- अध्यक्ष- केंद्रीय वित्त मंत्री
- सदस्य- केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री
- सदस्य– सभी 29 राज्यों एवं 2 संघराज्य क्षेत्रों (दिल्ली एवं पुदुच्चेरी) के वित्त मंत्री/ कराधान मंत्री या राज्य सरकार द्वारा निर्वाचित कोई अन्य मंत्री ।
- इस प्रकार जीएसटी परिषद् में केंद्र और राज्यों से कुल मिलाकर 33 सदस्य हैं।
- उपाध्यक्ष– राज्य सरकारों के मंत्रियों के बीच से निर्वाचित।
- गणपूर्ति (कोरम)– कुल सदस्यों का 50 प्रतिशत।
- निर्णय– जीएसटी परिषद् का प्रत्येक निर्णय उपस्थित एवं मतदान के 75% भारित बहुमत (3/4 भारित बहुमत) होने के बाद ही लिया जाएगा।
- भारित बहुमत सिद्धांत
- केंद्र सरकार का मान एक-तिहाई (1/3) वोट माना जाएगा।
- सभी राज्य सरकारों का एक साथ मिलाकर कुल मान दो-तिहाई (2/3) वोट माना जाएगा।
जीएसटी के लिए चार कर दरें निर्धारित की गई है – 5%, 12%, 18% ,28%
- 5% –
- 12% –
- 18% – सेवाओ के लिए
- 28% – विलासिता की वस्तुओं पर
- अधिभार
- उपकर /Cess
- कर उत्प्लावकता
- कर अपवंचन
- कर बचाव
- कर विवर्तन
- कर आश्रय / टैक्स हैवेन
- एंटी डंपिंग ड्यूटी
- प्रतिकारी शुल्क
- लैफर वक्र
- घाटे को विभिन्न अवधारणाएँ/प्रकार
- बजट घाटा
- प्राथमिक घाटा
- राजस्व घाटा
- मौद्रिकृत घाटा
- प्रभावी राजस्व घाटा
- क्रियात्मक घाटा
- राजकोषीय घाटा
- राजकोषीय दुश्चक्र
- राजकोषीय समेकन
- राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम, 2003
- घाटे की वित्त व्यवस्था या हीनार्थ प्रबंधन
- क्राउडिंग आउट इफेक्ट
- व्यय सुधार आयोग
- व्यय प्रबंधन आयोग