संघीय व्यवस्था
राष्ट्रीय सरकार एवं क्षेत्रीय सरकार के संबंधों की प्रकृति के आधार पर सरकार को दो भागों में वर्गीकृत किया है।
- एकल सरकार
- संघीय सरकार
एकल या एकात्मक सरकार वह है, जिसमें समस्त शक्तियां एवं कार्यकेंद्रीय सरकार और क्षेत्रीय सरकार में निहित होती हैं।
संघीय सरकार वह है, जिसमें शक्तियां संविधान द्वारा केंद्र सरकार एवं क्षेत्रीय सरकार में विभाजित होती हैं। दोनों अपने अधिकार क्षेत्रों का प्रयोग स्वतंत्रतापूर्वक करते हैं।
- संघीय मॉडल में राष्ट्रीय सरकार को संघ सरकार या केंद्रीय सरकार या संघीय सरकार के रूप में जाना जाता है और क्षेत्रीय सरकार को राज्य सरकार या प्रांतीय सरकार के रूप में जाना जाता है।
- ‘संघ शासन’ शब्द को लैटिन शब्द ‘फोएडस (Foedus)’ से लिया गया है, जिसका अभिप्राय है ‘संधि’ या ‘समझौता‘।
- इस तरह संघ शासन एक नया राज्य (राजनीतिक व्यवस्था) है, जिसे विभिन्न इकाइयों के बीच संधि या समझौते के तहत निर्मित किया गया है।
- संघों की इकाइयों को विभिन्न नामों से पुकारा जाता है।
- अमेरिकाविश्व में पहला व प्राचीनतम संघीय शक्ति वाला देश है, यह अमेरिकी क्रांति (1775-83) के बाद 1787 में बना। इसमें 50 राज्य (मूलतः 13 राज्य) समाहित हैं।
- संघीय शासन में कनाडा 10 प्रांतों (मूल रूप से 4 प्रांत) से निर्मित भी काफी पुराना है जो 1867 में निर्मित हुआ।
- भारत के संविधान में संघीय सरकार व्यवस्था को अपनाया गया।
- संविधान में कहीं भी ‘संघ’ शब्द का प्रयोग नहीं किया गया है।
- इसके स्थान पर संविधान का अनुच्छेद 1 भारत को ‘राज्यों के संघ’ के रूप में परिभाषित करता है।
- भारत की संघीय व्यवस्था ‘कनाडाई मॉडल’ पर आधारित है।
संविधान की संघीय विशेषताएं
भारतीय संविधान की संघीय विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
1. द्वैध राजपद्धति
- संविधान में संघ स्तर पर केंद्र एवं राज्य स्तर पर राजपद्धति को अपनाया गया।
- प्रत्येक को संविधान द्वारा क्रमश: अपने क्षेत्रों में संप्रभु शकियां प्रदान की गई हैं।
- केंद्र सरकार राष्ट्रीय महत्व के मामलों, जैसे-रक्षा, विदेश, मुद्रा, संचार आदि को देखती है,
- राज्य सरकारें क्षेत्रीय एवं स्थानीय महत्व के मुद्दों को देखती हैं, जैसे-सार्वजनिक व्यवस्था, कृषि, स्वास्थ्य, स्थानीय प्रशासन आदि।
2. लिखित संविधान
- हमारा संविधान विश्व का सबसे विस्तृत लिखित संविधान भी है।
- मूलत: इसमें एक प्रस्तावना, 395 अनुच्छेद (22 भागों में विभक्त) और 8 अनुसूचियां थीं।
- वर्तमान समय में इसमें 450 अनच्छेद, 25 भागों में विभक्त) और 12 अनुसूचियां है।
3. शक्तियों का विभाजन
- संविधान में केंद्र एवं राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन किया गया।
- इनमें सातवीं अनुसूची में केंद्र, राज्य एवं दोनों से संबंधित सूची निहित हैं।
- केंद्र सूची – 100 विषय हैं (मूलत: 97),
- राज्य सूची – 61 विषय हैं (मूलतः 66)
- समवर्ती सूची – 52 विषय (मूलत: 47) हैं ।
- समवर्ती सूची के विषयों पर केंद्र एवं राज्य दोना कानून बना सकते हैं। टकराव की स्थिति में केंद्र की विधि प्रभावी होगी।
- अवशेषीय विषय अर्थात् जो किसी भी सूची में नहीं हैं, केन्द्र को दिए गए हैं।
4. संविधान की सर्वोच्चता
- संविधान सर्वोच्च है, केंद्र या राज्य सरकार द्वारा प्रभावी कानूनों के विषय में इसकी व्यवस्था सुनिश्चित होनी चाहिए अन्यथा इन्हें उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय में न्यायिक समीक्षा के तहत अवैध घोषित किया जा सकता है।
5. कठोर संविधान
- संविधान द्वारा शक्तियों का विभाजन एवं संविधान की सर्वोच्चता तभी बनाए रखी जा सकती है, जब संविधान में संशोधन की प्रक्रिया कठोर हो। संविधान में संशोधन केंद्र एवं राज्य सरकारों की समान संस्तुति से ही संशोधित किए जा सकते हैं।
- इन प्रावधानों के संशोधन हेतु संसद के विशेष बहुमत एवं संबंधित राज्यों में से आधे से अधिक की स्वीकृति अनिवार्य होती हैं।
6. स्वतंत्र न्यायपालिका
- संविधान ने दो कारणों से उच्चतम न्यायालय के नेतृत्व में स्वतंत्र न्यायपालिका का गठन किया है।
- स्वतंत्र न्यायपालिका अपनी न्यायिक समीक्षा के अधिकार का प्रयोग कर संविधान की सर्वोच्चता को स्थापित करना
- केंद्र एवं राज्य के बीच विवाद के निपटारे के लिए।
- संविधान ने विभिन्न तरीकों से न्यायपालिका को स्वतंत्र बनाया है, जैसे-न्यायाधीशों के कार्यकाल की सुरक्षा, निश्चित सेवा शर्ते आदि।
7. द्विसदनीय
- संविधान ने द्विसदनीय विधायिका की स्थापना की है
- उच्च सदन (राज्यसभा)
- निम्न सदन (लोकसभा)।
- राज्यसभा, भारत के राज्यों का प्रतिनिधित्व करती है, जबकि लोकसभा भारत के लोगों (पूर्ण रूप से) का
- राज्यसभा (यद्यपि कम शक्तिशाली है) केन्द्र के अनावश्यक हस्तक्षेप से राज्यों के हितों की रक्षा करती है।
संविधान की एकात्मक विशेषताएं
1. सशक्त केंद्र
- शक्तियों का विभाजन केंद्र के पक्ष में है, जो कि संघीय दृष्टिकोण के काफी विरुद्ध है।
- केंद्रीय सूची में राज्य के मुकाबले ज्यादा विषय हैं।
- केंद्रीय सूची में ज्यादा महत्वपूर्ण विषय शामिल हैं।
- समवर्ती सूची में केंद्र को ऊपर रखा गया है।
- अवशेषीय शक्तियों में भी केंद्र प्रमुख है, जबकि अमेरिका में ये राज्यों में निहित हैं। इस तरह संविधान केंद्र को सशक्त बनाता है।
2. राज्य अनश्वर नहीं .
- भारत में राज्यों को क्षेत्रीय एकता का अधिकार नहीं है। संसद एकतरफा कार्यवाही द्वारा उनके क्षेत्र, सीमाओं या राज्य के नाम को परिवर्तित कर सकती है; अर्थात् इसके लिए साधारण बहुमत की जरूरत होती है न कि विशेष बहुमत की।
- भारतीय संघ–’अनश्वर राज्यों का अनश्वर संघ है’। दूसरी तरफ अमेरिकी संघ ‘अनश्वर राज्यों का अनश्वर केंद्र’ है।
3. एकल संविधान
- सामान्यतः एक संघ में राज्यों को केंद्र से हटकर अपना संविधान बनाने का अधिकार होता है। लेकिन भारत में राज्यों को ऐसी कोई शक्ति नहीं दी गई है।
- भारतीय संविधान सिर्फ केंद्र का ही नहीं, राज्यों का भी है।
- राज्य एवं केंद्र दोनों को इसी एक ढांचे का पालन अनिवार्य है।
सिर्फ जम्मू एवं कश्मीर एक अपवाद है, जिसका अपना (राज्य) पृथक् संविधान था ।
4. संविधान का लचीलापन
- भारतीय संविधान में संशोधन प्रक्रिया कम कठोर है।
- संविधान के एक बड़े हिस्से को, संसद द्वारा साधारण या विशेष बहुमत द्वारा एकल प्रणाली से संशोधित किया जा सकता है। यानी संविधान संशोधन की शक्ति सिर्फ केंद्र में निहित है। अमेरिका में राज्य भी संविधान संशोधन का प्रस्ताव रख सकते हैं
5. राज्य प्रतिनिधित्व में समानता का अभाव
- राज्यों की जनसंख्या के आधार पर राज्यसभा में प्रतिनिधित्व दिया जाता है।
- अतः सदस्यता में 1 से 31 तक की भिन्नता है। अमेरिका में राज्यों के प्रतिनिधित्व के सिद्धांत को उच्च सदन में पूर्णरूपेण महत्ता दी जाती है। इस तरह अमेरिकी सीनेट में 100 सदस्य होते हैं, प्रत्येक राज्य से दो। यह सिद्धांत छोटे राज्यों के लिए सुरक्षा कवच के समान होता है।
6. आपातकालीन उपबंध
- संविधान तीन तरह की आपातकाल व्यवस्था निर्धारित करता है-राष्ट्रीय, राज्य एवं वित्त ।
- आपातकाल के दौरान केंद्र सरकार के पास सभी शक्तियां आ जाती हैं और राज्य, केंद्र के पूर्ण नियंत्रण में आ जाते हैं।
- यह बिना किसी संविधान संशोधन के संघीय ढांचे को एकल ढांचे में बदल देता है। ऐसी व्यवस्था अन्य किसी संघ में नहीं पाई जाती है।
7. एकल नागरिकता
- भारत का संविधान, कनाडा की तरह एकल नागरिकता व्यवस्था को अपनाता है।
- यहां केवल भारतीय नागरिकता है, कोई अन्य पृथक् राज्य नागरिकता नहीं है।
- अन्य संघीय व्यवस्था वाले देशों, जैसे-अमेरिका, स्विट्जरलैंड एवं ऑस्ट्रेलिया में दोहरी (राष्ट्रीय एवं राज्य) नागरिकता का प्रावधान है।
8. एकीकृत न्यायपालिका
- भारतीय संविधान द्वारा सबसे ऊपर उच्चतम न्यायालय के साथ एकात्मक न्यायपालिका की स्थापना की गई है और इसके अधीन राज्य-उच्च न्यायालय होते हैं।
- न्यायालयों की एकल व्यवस्था, केंद्र एवं राज्य कानूनों दोनों पर लागू होती है।
- दूसरी ओर, अमेरिका में न्यायालयों की दोहरी व्यवस्था है। संघीय कानून, संघीय न्यायपालिका और राज्य कानून, राज्य न्यायपालिका द्वारा लागू किए जाते हैं।
9. अखिल भारतीय सेवाएं
- अमेरिका में संघीय सरकार एवं राज्य सरकारों की अपनी लोक सेवाएं हैं।
- भारत में भी केंद्र एवं राज्यों की पृथक् लोक सेवाएं हैं लेकिन इसके अतिरिक्त अखिल भारतीय सेवाएं (आईएएस, आईपीएस और आईएफएस) केंद्र एवं राज्य, दोनों के लिए हैं।
- केंद्र द्वारा इन सेवाओं के सदस्यों का चयन किया जाता है एवं उन्हें प्रशिक्षण दिया जाता है। उन पर केंद्र का पूर्णरूपेण नियंत्रण भी होता है। अतः ये सेवाएं संविधान के अंतर्गत संघीय सिद्वांत का उल्लंघन करती हैं।
10. एकीकृत लेखा जांच मशीनरी
- भारत का नियंत्रक एवं लेखा महापरीक्षक न केवल केंद्र के बल्कि राज्यों के खातों की भी जांच करता है लेकिन उसकी नियुक्ति एवं बर्खास्तगी बिना राज्यों की सलाह के राष्ट्रपति द्वारा होती है।
11.राज्य सूची पर संसद का प्राधिकार
- इस सूची के विषयों पर राज्यों को काफी अधिकार दिये जाने के बावजूद केंद्र का सूची के विषयों पर अंतिम आधिकार बना रहता है।
- संसद को यह अधिकार प्राप्त है कि वह राज्य सूची में राष्ट्रीय महत्व को प्रभावित करने वाले विषयों पर राज्य सभा द्वारा पारित होने पर विधान बना सकती है।
- इसका तात्पर्य है कि बिना संविधान संशोधन के संसद की विधायिका संबंधी शक्ति को बढ़ाया जा सकता है।
12. राज्यपाल की नियुक्ति
- राज्यपाल, राज्य प्रमुख होता है, जिसकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- वह केन्द्र के एजेन्ट के रूप में भी कार्य करता है, राज्यपाल के माध्यम से केन्द्र, राज्य पर नियंत्रण करता है।
- इसके विपरीत अमेरिका में राज्य प्रमुख निर्वाचित होते हैं, इस संदर्भ में भारत ने कनाडाई प्रणाली को अपनाया है।
13. एकीकृत निर्वाचन मशीनरी
- चुनाव आयोग न केवल केंद्रीय चुनाव संपन्न करता है बल्कि राज्य विधानमंडलों के चुनाव भी कराता है।
- लेकिन इस इकाई की स्थापना राष्ट्रपति द्वारा होती है और राज्य इस मामले में कुछ नहीं कर सकते । इसके सदस्यों को भी इसी प्रकार हटाया जा सकता है।
- इसके विपरीत अमेरिका में संघ एवं राज्य दोनों के निर्वाचन के लिए अलग मशीनरी होती है।
14.राज्यों के विधेयकों पर वीटो
- राज्यपाल को राज्य विधानमंडल द्वारा पारित कुछ विधेयकों का राष्ट्रपति की संस्तुति के लिए सुरक्षित रखने का अधिकार है ।
- राष्ट्रपति अपने संस्कृति के लिए इससे ना केवल पहली बार बल्कि दूसरी बार भी रोक सकता है इस तरह राष्ट्रपति के पास राज्य विधेयकों पर वीटो अधिकार है लेकिन अमेरिका व ऑस्ट्रेलिया में राज्य स्वायत इकाई हैं और वहां इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं है