Computer Software : SARKARI LIBRARY

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 एल्गोरिथम (Algorithm)

  • कम्प्यूटर द्वारा किसी कार्य को क्रियान्वित करने तथा वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए पूरी प्रक्रिया को छोटे-छोटे निर्देशों में बांटा जाता है। इन निर्देशों को सही क्रम में क्रियान्वित कर वांछित परिणाम प्राप्त किया जा सकता है। 
  • एल्गोरिथम किसी वांछित परिणाम को प्राप्त करने के लिए बनायी गई चरणबद्ध (Step-by-Step) प्रक्रियाओं (Procedures) का समूह है। 
  • यह किसी प्रोग्राम के निर्माण में आवश्यक लॉजिक है जो समस्या के समाधान के लिए सीढ़ी का निर्माण करता है। 
  • एल्गोरिथम छोटे-छोटे अनुदेशों का समूह है जिसे निर्धारित क्रम में संपादित किए जाने पर वांछित परिणाम प्राप्त किया जा सकता है। 
  • एक ही कार्य को संपादित करने के कई एल्गोरिथम हो सकते हैं। प्रोग्रामर को प्रोग्राम लिखने से पूर्व सर्वाधिक उपयुक्त एल्गोरिथम का चुनाव करना पड़ता है। 
  • कम्प्यूटर एल्गोरिथम को किसी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में बदलना कोडिंग (Coding) कहलाता है। 

 

फ्लोचार्ट (Flowchart)

  • एल्गोरिथम का चित्रीय रूपांतरण (Graphical Representation) फ्लोचार्ट कहलाता है। 
  • इसमें अलग-अलग प्रकार के अनुदेशों के लिए अलग-अलग चित्रों का प्रयोग किया जाता है तथा उसके अंदर संक्षिप्त अनुदेश लिखे रहते हैं। 
  • तीर के निशान वाले लाइनों से अनुदेशों के क्रियान्वयन की दिशा बतायी जाती है। 
  • इसमें प्रोग्राम लिखना आसान होता है तथा गलतियाँ सुधारना भी सरल होता है। 
  • फ्लोचार्ट में प्रोग्रामिंग भाषा की बारीकियां शामिल नहीं होती। अतः प्रोग्रामर का पूरा ध्यान समस्या के समाधान के लॉजिक पर होता है।

 

फ्लोचार्ट के चिह्न (Signs of Flowchart) :

  • ANSI-American National Standards Institute)  निर्धारित फ्लोचार्ट के चिह्न हैं

 

(i) टर्मिनल (Terminal) : 

  • यह अण्डाकार चिह्न है जो प्रक्रिया के आरंभ (Start), अन्त (Stop) या विराम (Pause) के लिए प्रयुक्त होता है। 
  • किसी फ्लोचार्ट में पहला और अंतिम चिह्न टर्मिनल ही होता है।

 

(ii) इनपुट/आउटपुट (Input/Output) : 

  • यह समानान्तर चतुर्भुज का चिह्न है जो इनपुट (Read) या आउटपुट (Print) आदि को दर्शाता है।

(iii) प्रक्रिया (Processing) : 

  • यह आयताकार चिह्न है ,जिसमें प्रोसेसिंग के निर्देश या सूत्र होते हैं।

(iv) निर्णय (Decision) : 

  • यह तार्किक क्रिया को दर्शाता है। इसमें तर्क या प्रश्न और उनके परिणाम (हां या ना) दिखाये जाते हैं। 
  • इस बिंदु पर प्रोग्राम में एक या अधिक विकल्प संभव होते हैं।

(v) फ्लोलाइन (Flowline) : 

  • तीर के चिह्न वाली रेखाएं फ्लोचार्ट के प्रवाह की दिशा बतलाती हैं। 
  • फ्लोचार्ट सामान्यतः ऊपर से नीचे तथा बाएं से दाएं (Top to bottom and Left to right) चलता है।

(vi) कनेक्टर (Connector) : 

  • फ्लोचार्ट अगर एक पृष्ठ से बड़ा हो तो उसे अगले पृष्ठ पर कनेक्टर की सहायता से जोड़ा जाता है। 
  • पिछले पृष्ठ के अंत में अंदर आती रेखा, जबकि अगले पृष्ठ के प्रारंभ में बाहर जाती रेखा दिखाई जाती है। 

 

3. स्यूडो कोड (Pseudo Code) 

  • यह किसी समस्या के समाधान या किसी कार्य को क्रियान्वित करने के लिए प्रोग्राम लॉजिक तैयार करने का एक तरीका है। 
  • इसमें फ्लोचार्ट की तरह चिह्नों का प्रयोग न कर प्रोग्राम और उसके तर्कों को बोलचाल की साधारण और संक्षिप्त भाषा में लिखा जाता है। 
  • इसे मानव भाषा (Human Language) तथा प्रोग्रामिंग के बीच की कड़ी समझा जाता है। इसमें समय कम लगता है तथा पूरा ध्यान प्रोग्राम लॉजिक तैयार करने पर होता है। 
  • स्यूडो कोड को प्रोग्राम की भाषा (Programming Language) में बदलना आसान होता है। 
  • इसे बनाने में फ्लोचार्ट की अपेक्षा कम समय व मेहनत लगता है।

(Pscudo Code)

  • 1. Start 
  • 2. Input A, B 
  • 3. Compare A and B 
  • 4. IfA> B, Print A 5. Else Print B

 

कम्प्यूटर प्रोग्राम की भाषाएं (Computer Programming Languages)

  • कम्प्यूटर प्रोग्राम आपस में जुड़े हुए निर्देशों का समूह है जिसे किसी खास कार्य के लिए संग्रहित किया जाता है। 
  • प्रोग्राम लिखने की प्रक्रिया को प्रोग्रामिंग (Programming) कहते हैं। 
  • प्रोग्राम जिस भाषा या कोड में लिखा जाता है उसे प्रोग्राम की भाषा (Programming Language) कहते हैं। 
  • कम्प्यूटर साफ्टवेयर तैयार करने वाला व्यक्ति प्रोग्रामर (Programmer) कहलाता है।

 

प्रोग्राम भाषा को मुख्यतः तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है

  • (i) Machine Language
  • (ii) Assembly Language
  • (iii) High Level Language

 

Machine Language

  • कम्प्यूटर केवल ऑन (1) या ऑफ (0) की पहचान कर सकता है।
  • बाइनरी अंकों (1 या 0) में लिखे भाषा को मशीन भाषा कहते हैं।
  • प्रत्येक कम्प्यूटर प्रोसेसर की अपनी एक विशिष्ट मशीन भाषा होती है जो प्रोसेसर बनाने वाली कंपनी और प्रोसेसर की डिजाइन पर निर्भर (Machine Dependent) होता है। 
  • कम्प्यूटर प्रोसेसर मशीन भाषा को सीधे समझ सकता है तथा क्रियान्वित कर सकता है।
  • अतः मशीन भाषा के लिए किसी ट्रांसलेशन साफ्टवेयर की जरूरत नहीं होती तथा प्रोग्राम के क्रियान्वयन की गति भी तेज होती है।
  • मशीन भाषा में प्रोग्राम लिखना कठिन होता है तथा त्रुटियां भी अधिक होती हैं।

 

मशीन भाषा के लाभ

  • (i) मशीन भाषा के क्रियान्वयन के लिए ट्रांसलेशन साफ्टवेयर की आवश्यकता नहीं होती।
  • (ii) मशीन भाषा में प्रोग्राम के क्रियान्वयन की गति तेज होती है। 

मशीन भाषा की कमियां

  • (i) अलग अलग कंपनियों के प्रोसेसर का आंतरिक डिजाइन अलग अलग होता है। अतः एक ही कार्य के लिए अलग अलग प्रोग्राम की जरूरत होती है। तात्पर्य यह की मशीन भाषा मशीन के प्रकार पर निर्भर (Machine Dependent) होती है। 
  • (ii) मशीन भाषा में प्रोग्राम तैयार करना कठिन होता है तथा गलतियों की संभावना भी अधिक होती है। 
  • (iii) मशीन भाषा में गलतियों में सुधार करना भी कठिन होता है। 

 

असेम्बली भाषा (Assembly Language)

  • इसे निम्नस्तरीय भाषा (Low Level Language) भी कहते हैं। 
  • इस भाषा में अक्षर व अंकों से बना न्यूमोनिक कोड (Mnemonic Code) का प्रयोग किया जाता है जिसका एक निश्चित अर्थ होता है। 
    • जैसे- जोड़ने के लिए ‘ADD’; 
    • घटाने के लिए ‘SUB’; 
    • डाटा को मेमोरी में लोड करने के लिए ‘LD’ आदि। 
  • अलग-अलग कम्प्यूटर और साफ्टवेयर पैकेज में न्यूमोनिक कोड अलग-अलग हो सकते हैं। 
  • प्रयोग से पूर्व उस साफ्टवेयर के असेम्बलर (Assembler) द्वारा इस भाषा को मशीन भाषा में बदला जाता है। 
  • असेम्बली भाषा में लिखा प्रोग्राम सोर्स प्रोग्राम (Source Programme) कहलाता है। जब इसे असेम्बलर साफ्टवेयर द्वारा मशीन भाषा में बदल दिया जाता है तो इसे आब्जेक्ट प्रोग्राम (Object Program) कहा जाता है। 

असेम्बली भाषा के लाभ

  • असेम्बली भाषा बोलचाल की भाषा के करीब है। अतः इस भाषा में प्रोग्राम लिखना मशीन भाषा की अपेक्षा सरल होता है। 
  • असेम्बली भाषा के प्रोग्राम में गलतियां खोजना और उन्हें ठीक करना मशीन भाषा की अपेक्षा आसान होता है। 

असेम्बली भाषा की कमियां

  • असेम्बली भाषा कम्प्यूटर हार्डवेयर के प्रकार पर निर्भर करता है। अतः इस भाषा में लिखे प्रोग्राम मशीन के ऊपर निर्भर (Machine Dependent) होते हैं। 
  • अलग अलग कम्प्यूटर हार्डवेयर के लिए असेम्बलर साफ्टवेयर अलग-अलग होता है। 
  • असेम्बली भाषा के प्रोग्राम के क्रियान्वयन में मशीन भाषा की अपेक्षा अधिक समय लगता है।

 

  • पहली पीढ़ी की कम्प्यूटर भाषा (1GL) – मशीन भाषा 
  • दूसरी पीढ़ी की कम्प्यूटर भाषा (2GL) – असेम्बली भाषा 
  • तीसरी पीढ़ी की कम्प्यूटर भाषा (3GL) – उच्च स्तरीय भाषा 
  • चौथी पीढ़ी की कम्प्यूटर भाषा (4GL) – डोमेन आधारित भाषा (Domain Specific Language)
  • पांचवीं पीढ़ी की कम्प्यूटर भाषा (5GL) – कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) में प्रयुक्त भाषा  

 

उच्च स्तरीय भाषा (High Level Language)

  • इसे तीसरी पीढ़ी की भाषा (3rd Generation Language) भी कहते हैं। 
  • यह बोलचाल व लेखन में प्रयुक्त भाषा के काफी करीब है। अतः प्रयोक्ता के लिए इसे समझना आसान होता है। इस भाषा का प्रयोग विभिन्न प्रकार के कम्प्यूटर या सॉफ्टवेयर में आसानी से किया जा सकता है। 
  • इस भाषा पर कम्प्यूटर की आंतरिक संरचना का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। 
  • प्रयोग से पहले इस भाषा को कम्पाइलर (Compiler) या इंटरप्रेटर (Interpreter) द्वारा मशीन भाषा में बदला जाता है। 
  • कम्पाइलर या इंटरप्रेटर सोर्स प्रोग्राम को ऑब्जेक्ट प्रोग्राम में बदलता है। 
  • प्रत्येक भाषा के लिए अलग-अलग कम्पाइलर या इंटरप्रेटर का प्रयोग करना पड़ता है।
  • उच्च स्तरीय भाषा के कुछ अन्य उदाहरण हैं
    • COBOL 
    • LOGO
    • BASIC 
    • Algol 
    • C++ 
    • COMAL 
    • PROLOG 
    • Pascal 
    • Java) 
    • C#-C Sharp 
    • RPG-Report Program Generator 
    • LISP 
    • SNOBOL

 

उच्च स्तरीय भाषा के लाभ

  • इस भाषा में लिखा साफ्टवेयर विभिन्न प्रकार के कम्प्यूटर में बिना किसी बदलाव के प्रयोग में लाया जा सकता है। 
  • उच्च स्तरीय भाषा मशीन के प्रकार पर निर्भर Machine Dependent नहीं होती। अतः इसे Machine Independent भाषा कहते हैं। 
  • यह भाषा सीखने में आसान है तथा प्रोग्राम लिखना व पढ़ना सरल है। 
  • उच्च स्तरीय भाषा बोलचाल की भाषा के करीब होती है। 
  • त्रुटियां कम होती हैं। 

 

उच्च स्तरीय भाषा की कमियां

  • उपयोग से पहले कम्पाइलर या इंटरप्रेटर द्वारा मशीन भाषा में बदला जाता है। 
  • प्रत्येक भाषा के लिए अलग-अलग कम्पाइलर या इंटरप्रेटर का प्रयोग करना पड़ता है।

 

  • फोरट्रान (FORTRAN) पहली उच्च स्तरीय भाषा (HLL) मानी जाती है जिसका विकास 1957 में आईबीएम कम्पनी के जॉन बेकस (John Backus) ने किया।

 

चौथी पीढ़ी की भाषा 4GL-4th Generation Language) 

  • यह एक उच्चस्तरीय भाषा (HLL) है जिसे कार्यान्वित करने के लिए निर्देशों की संख्या कम होती है। 
  • यह भाषा बोलचाल भाषा के ज्यादा करीब है। 
  • इसमें प्रोग्राम लिखना आसान और तीव्र है।
  • चौथी पीढ़ी की कम्प्यूटर भाषा (4GL) एक डोमेन आधारित भाषा (Domain Specific Language) है। 
  • इसका प्रयोग डाटाबेस प्रबंधन, वेब आधारित संरचना के विकास आदि में किया जाता है। 
  • चौथी पीढ़ी की भाषा प्रोग्रामरों के लिए आसान है जिसमें आइकन (Icon) तथा चिह्नों (Symbols) का भी प्रयोग किया जाता है। 
  • चौथी पीढ़ी की भाषा (4GL) के उदाहरण हैं
    • SQL- Structured Query Language
    • Java Script
    • Microsoft Frontpage

 

पांचवीं पीढी की भाषा (5GL-5th Generation Language)

  • पांचवीं पीढ़ी की कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा में किसी समस्या के समाधान के लिए एल्गोरिथम का प्रयोग न कर समस्या के समाधान में आने वाली बाधाओं (Constraints) तथा उससे उत्पन्न होने वाली तार्किक अवस्थाओं (Logical Conditions) का उपयोग किया जाता है। 
  • पांचवीं पीढ़ी के भाषा का उपयोग कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) तथा तार्किक प्रोग्रामिंग (Logical Programming) के लिए होता है। 
  • लिस्प (LISP- List Processing) तथा प्रोलॉग (PROLOG) पांचवीं पीढ़ी के भाषा का उदाहरण है। 

सिंटैक्स रूल (Syntax Rule)

  • बोलचाल की प्रत्येक भाषा में शब्दों और चिह्नों के प्रयोग के लिए व्याकरण के कुछ नियम होते हैं। उसी प्रकार, कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा (Programming Language) में भी शब्दों और चिह्नों के प्रयोग के लिए नियम बनाए जाते हैं जिन्हें सिंटैक्स रूल (Syntax Rule) कहा जाता है। 
  • सिंटैक्स एल्गोरिथम के तार्किक चरणों (Logical Steps) को व्यक्त करता है। 
  • कम्प्यूटर केवल पूर्व निर्धारित भाषा के नियमों को समझ पाता है तथा इनका अनुपालन नहीं करने पर प्रोग्राम के क्रियान्वयन के समय सिंटैक्स इरर (Syntax error) देता है। 

 

रिजर्वड्व र्ड्स (Reserved Words)

  • कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग में वह शब्द जिसका प्रयोग प्रोग्राम बनाते समय चर (Variable) के रूप में नहीं किया जाता है, रिजर्वड् वर्ड कहलाता है। 
  • सामान्यतः रिजर्व वर्ड का प्रोग्रामिंग भाषा के सिंटैक्स में कोई अलग व विशेष अर्थ होता है, जिसे प्रोग्रामिंग लैंग्वेज द्वारा स्वयं के प्रयोग के लिए रिजर्व रखा जाता है। 
  • प्रत्येक प्रोग्रामिंग भाषा में रिजर्व वर्ड की सूची अलग अलग हो सकती है। 
  • इसे की वर्ड (Key Word) भी कहा जाता है। 

 

उच्च स्तरीय भाषाएं (High Level Languages)

  • फोरट्रॉन (FORTRAN) 
  • लोगो (LOGO) 
  • कोबोल (COBOL-Common Business Oriented Language)
  • बेसिक (BASIC-Beginners’ All-purpose Symbolic Instruction Code)
  • पास्कल (Pascal)
  • C and C++
  • जावा (Java)
  • ALGOL
  • COMAL
  • PROLOG
  • C#
  • RPG
  • LISP

 

फोरट्रॉन (FORTRAN)

  • यह Formula Translation का संक्षिप्त रूप है।
  •  इसे प्रथम उच्च स्तरीय भाषा माना जाता है जिसका प्रयोग वैज्ञानिक और इंजीनियरों द्वारा गणितीय सूत्रों को आसानी से हल करने तथा जटिल वैज्ञानिक गणनाओं में किया गया।
  • फोरट्रान बीजगणित (Algebra) पर आधारित प्रोग्रामिंग भाषा है। 
  • 1966 में आन्सी (ANSI-Americal National Standard Institute) ने फोरट्रॉन भाषा का मानकीकरण किया। इस प्रकार फोरट्रॉन पहली मानक भाषा बन गई। 

 

लोगो (LOGO) 

  • अमेरिका के सिमोर पेपर्ट (Seymour Papert) द्वारा विकसित इस भाषा का उपयोग कम उम्र के बच्चों को रेखाचित्र और ग्राफिक के माध्यम से कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग की शिक्षा देने के लिए प्रोग्रामिंग भाषा के रूप में किया जाता है। 

 

कोबोल (COBOL-Common Business Oriented Language)

  • यह व्यावसायिक कार्यों के लिए प्रयोग होने वाली भाषा है। 
  • कोबोल भाषा में निर्देश (Command) और वाक्य की संरचना (Sentence Structure) अंग्रेजी भाषा के समान है। 
  • इस भाषा को पैराग्राफ (Paragraph), डिविजन (Division) और सेक्शन (Section) में बांटा जाता है। 
  • इसे आन्सी कोबोल (ANSI COBOL) कम्पाइलर के साथ किसी भी कम्प्यूटर सिस्टम पर चलाया जा सकता है। 
  • कोबोल का एक संस्करण विजुअल कोबोल (Visual Cobol) आब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग (Object Oriented Programming-OOP) भाषा है।

 

बेसिक (BASIC-Beginners’ All-purpose Symbolic Instruction Code)

  • यह एक लोकप्रिय व सरल प्रोग्राम भाषा है जिसका विकास 1964 में प्रोफेसर जॉन केमेनी (John Kemeny) तथा थॉमस कुर्टज (Thomas Kurtz) ने किया। 
  • यह पर्सनल कम्प्यूटर में व्यवहार में लाया जाने वाला प्रथम उच्च स्तरीय भाषा है। 
  • इसका प्रयोग गणितीय और व्यावसायिक- दोनों कार्यों के लिए किया जा सकता है। इसकी सरलता के कारण इसका प्रयोग प्रशिक्षुओं को भाषा की अवधारणा स्पष्ट करने के लिए भी किया जाता है। इसी कारण इसे अन्य भाषाओं के लिए ‘नींव का पत्थर’ कहा जाता है। 
  • यह विश्व में सबसे अधिक प्रयोग होने वाली कम्प्यूटर भाषा है।
  • माइक्रोसाफ्ट द्वारा विकसित क्विक बेसिक (Quick Basic) तथा विजुअल बेसिक (Visual Basic) एक लोकप्रिय ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग (OOP) भाषा है। 

 

पास्कल (Pascal)

  • इस भाषा का विकास 1971 में स्विट्जरलैण्ड के प्रोफेसर निकलॉस विर्थ (Nicklaus Writh) द्वारा किया गया। 
  • इसका नामकरण कम्प्यूटर के जनक कहे जाने वाले ब्लेज पास्कल (Blaise Pascal) के नाम पर किया गया। 
  • इस भाषा का प्रयोग प्रशिक्षुओं में प्रोग्रामिंग की अवधारणा स्पष्ट करने में किया गया। अतः इसे शिक्षापरक भाषा (Educational Language) भी कहते हैं।

 

C and C++

  • इस उच्च स्तरीय भाषा का विकास 1972 में बेल लैबोरेटरीज के डेनिस रिची तथा ब्रायन करनिंघम द्वारा किया गया। 
  • इसका विकास उच्च स्तरीय भाषा में असेम्बली भाषा की क्षमता डालने के उद्देश्य से किया गया। 
  • यह सामान्य कार्य के लिए प्रयुक्त भाषा है। इसमें सोर्स प्रोग्राम छोटा और संक्षिप्त रूप में लिखा जाता है। इसका कम्पाइलर सभी प्रकार के कम्प्यूटर में कार्य कर सकता है।
  • सी++ (C++)ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग भाषा है। 
  • यह बोलचाल की अंग्रेजी भाषा के करीब है। 
  • हालांकि यह भाषा संक्षिप्त और सशक्त है, पर यह एक कठिन भाषा है। यूनिक्स (Unix) आपरेटिंग सिस्टम सी भाषा में लिखा गया पहला महत्त्वपूर्ण प्रोग्राम है। 

 

जावा (Java)

  • इस उच्च स्तरीय भाषा का विकास सन माइक्रो सिस्टम के जेम्स गॉसलिंग द्वारा किया गया। 
  • यह C++ की तरह ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग भाषा है पर उसकी अपेक्षा छोटी और सरल है। 
  • इसका विकास मुख्यतः इंटरनेट में उपयोग के लिए किया गया। 
  • इसका प्रयोग इलेक्ट्रानिक उपभोक्ता उत्पादों जैसे—टीवी, टेलीफोन आदि में भी किया जाता है। 
  • एनीमेशन (Animation) आधारित वेब पेज (Web Page), शैक्षिक कार्यक्रम (Tutorial) तथा खेल आदि के विकास में भी इसका प्रयोग किया जाता है। 
  • इस भाषा में कम्पाइल किया गया कोड मशीन के प्रकार पर निर्भर नहीं करता। 

अल्गोल (ALGOL-Algorithmic Language)

  • इस उच्च स्तरीय भाषा का प्रयोग बीज गणितीय गणनाओं में किया जाता है। 

कोमल (COMAL-CommonAlgorithmicLanguage)

  • मध्य स्तर के छात्रों के लिए प्रयुक्त भाषा है। 

PROLOG-Programming in Logic

  • इसका विकास 1972 में फ्रांस में किया गया। 
  • इसमें समस्याओं के समाधान में तर्क की प्रधानता दी जाती है। 
  • इसे कृत्रिम बुद्धि (AIArtificial Intelligence) तथा तार्किक प्रोग्रामिंग (Logical Programming) में प्रयोग किया जाता है। 

(C#- C Sharp)

  • यह ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग भाषा है जिसका विकास माइक्रोसाफ्ट ने इंटरनेट में प्रयोग के लिए किया। 
  • यह भाषा यूरोपियन कम्प्यूटर मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन (ECMA) तथा इंटरनेशनल स्टैंडर्ड आर्गनाइजेशन (ISO) के मानकों द्वारा मान्यता प्रदत्त है। 

आरपीजी (RPG-Report Program Generator)

  • यह समान्य व्यावसायिक कार्यों द्वारा प्राप्त रिपोर्ट को आउटपुट के रूप में प्रस्तुत करने के लिए बनाई गई भाषा है। 
  • यह एक सरल भाषा है जिसका प्रयोग छोटे व्यावसायिक कम्प्यूटर में किया जा सकता है। 
  • इस भाषा का विकास IBM कंपनी द्वारा किया गया है।

 

लिस्प (LISP-List Processing)

  • इसका विकास 1959 में जॉन मैकार्थी (John Macarthy) द्वारा कृत्रिम बुद्धि (Artificial Intelligence) के प्रयोग में किया गया। 
  • यह एक फंक्शनल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है जिसका उपयोग गैर सांख्यिकी डाटा (non-statistical data) के प्रोसेसिंग में किया जाता है। 
  • यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता में प्रयुक्त सर्वाधिक लोकप्रिय भाषा है। 

सब प्रोग्राम (Sub Program)

  • यह किसी विशेष कार्य के लिए तैयार किया गया ऐसा छोटा साफ्टवेयर है जिसका प्रयोग किसी अन्य कार्य या प्रोग्राम में बिना किसी परिवर्तन के किया जा सकता है। 
  • साफ्टवेयर प्रोग्रामर अपनी सुविधा के अनुसार, किसी साफ्टवेयर प्रोग्राम में सब प्रोग्राम को जोड़ सकता है। इस प्रकार, उसका पूरा ध्यान प्रोग्राम के मुख्य उद्देश्य पर ही टिका रहता है।
  • उच्च स्तरीय भाषा (HLL) में प्रयोग
    • (A से Z)
    • (0, 1, 2……, 9)