झारखण्ड की संचार व्यवस्था
- डाक व्यवस्था
- आकाशवानी प्रसारण व्यवस्था
- दूरदर्शन व्यवस्था
1. डाक व्यवस्था
- वर्ष 2001 में झारखण्ड राज्य में झारखण्ड डाक सर्किल की स्थापना की गई है। यह बिहार डाक सर्किल के अंतर्गत कार्यरत है।
- पिनकोड प्रणाली में झारखण्ड राज्य के लिए प्रथम अंक के रूप में 8 का प्रयोग किया जाता है।
- झारखण्ड में डाकघरों की कुल संख्या 3094 है।
- Pin (Postal Index Number)
- 6 digit Postal Index Number (PIN) Code introduced on 15 August 1972.
2. आकाशवाणी प्रसारण व्यवस्था
- झारखण्ड में प्रसारण का मुख्य साधन आकाशवाणी केन्द्र है जिसके माध्यम से स्थानीय एवं प्रादेशिक कार्यक्रमों का प्रसारण किया जाता है।
- राज्य का प्रमुख आकाशवाणी केन्द्र राँची है जो उच्च शक्ति ट्रांसमिशन क्षमता से युक्त है।
- राज्य के अन्य आकाशवाणी केन्द्र चाईबासा, धनबाद, जमशेदपुर, हजारीबाग तथा मेदिनीनगर हैं जो निम्न शक्ति ट्रांसमिशन क्षमता से युक्त हैं।
- झारखण्ड में ऑल इंडिया रेडियो के 13 स्टेशन हैं। ये केन्द्र राँची, जमशेदपुर, हजारीबाग, मेदिनीनगर, गढ़वा, गुमला, चाईबासा, चतरा, बोकारो, धनबाद, देवघर, घाटशिला तथा गिरिडीह में हैं।
- Ranchi University will launch its own Community Radio Station — RADIO KHANCHI 90.4 FM Aap Sabka Radio
3. दूरदर्शन व्यवस्था
- राज्य में सर्वप्रथम राँची में छठी पंचवर्षीय योजना के दौरान 1974 ई. में दूरदर्शन केन्द्र की स्थापना की गई थी।
- वर्ष 1983 में राष्ट्रीय उपग्रह – 1बी (INSAT – 1B) के प्रक्षेपित किये जाने के बाद दूरदर्शन कार्यक्रम के सीधे प्रसारण हेतु धनबाद, दुमका, देवघर, बोकारो, जमशेदपुर तथा हजारीबाग में लघु शक्ति वाले ट्रांसमीटर केन्द्र स्थापित किये गये हैं।
- राज्य में उच्च शक्ति ट्रांसमीटर केन्द्र की स्थापना मेदिनीनगर (डाल्टनगंज) में भी की गई है।
4. अन्य तथ्य
- झारखण्ड राज्य में 2005-06 में झारनेट (झारखण्ड स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क) की स्थापना की गयी थी। यह राज्य के सभी जिलों में उपलब्ध है।
- झारखण्ड राज्य में ई-गवर्नेंस परियोजनाओं के संचालन हेतु एक स्वायत्त संस्था के रूप में ‘झारखण्ड एजेंसी फॉर प्रमोशन ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (जैप-आईटी) का गठन 29 मार्च, 2004 को किया गया है।
- राज्य के सूचना प्रौद्योगिकी एवं ई-गवर्नेंस विभाग द्वारा इसरो के सहयोग से 2003 में झारखण्ड अंतरिक्ष उपयोग केन्द्र (JSAC) का गठन किया गया है।
- इसका प्रमुख उद्देश्य राज्य के प्राकृतिक संसाधनों के आकलन व मानचित्रीकरण, सुदूर संवेदन आदि हेतु अंतरिक्ष तकनीक का प्रयोग करना है।