जंतु (Animalia)
- यह यूकैरियोटिक, बहुकोशिकीय, विषमपोषी प्राणियों का वर्ग है जो कोशिका भित्ति रहित कोशिकाओं से बना है।
जंतु जगत के वर्गीकरण का आधार निम्न है
-
- शरीर की गुहा या प्रगुहा या सीलोम (Coelom)
- पृष्ठरज्जु (Notochord)
प्रगुहा/शरीर की गुहाः
- शरीर भित्ति (Body Wall) तथा आहार नाल (Gut Wall) के बीच में गुहा (Cavity) की उपस्थिति अथवा अनुपस्थिति वर्गीकरण का महत्त्वपूर्ण आधार है।
- देहगुहा या प्रगुहा (Coelom)/प्रगुही प्राणी (Coelomates)
- मध्य त्वचा (Mesoderm) से आच्छादित शरीर गुहा (Body Cavity) को देहगुहा या प्रगुहा (Coelom) कहते हैं।
- इससे युक्त प्राणी को प्रगुही प्राणी (Coelomates) कहते हैं।
- जैसे- ऐनेलिड, मोलस्क, आर्थोपोड, एकाइनोडर्म तथा कार्डेट।
कूटगुहा (Pseudocoelom)/कूटगुहिक (Pseudocoelomates)
- कुछ प्राणियों में यह गुहा मीसोडर्म से आच्छादित नहीं होती (मध्य त्वचा, बाह्य त्वचा एवं अंतः त्वचा के बीच बिखरी हुई थैली के रूप में पाई जाती है), ऐसे शरीर कूटगुहा (Pseudocoelom) एवं ऐसे प्राणी कूटगुहिक (Pseudocoelomates) कहे जाते हैं। उदाहरण-ऐस्केल्मिंथीज।
अगुहीय (Acoelomates)
- जिन प्राणियों में शरीर गुहा नहीं पाई जाती उन्हें अगुहीय (Acoelomates) कहते हैं। जैसे- प्लेटीहेल्मिंथीज।
पृष्ठरज्जु (Notochord)
- पृष्ठरज्जु (Notochord) मध्य त्वचा (मीसोडर्म/(Mesoderm)) से उत्पन्न होती है जो भ्रूण विकास के समय पृष्ठ सतह में बनती है।
- पृष्ठरज्जु की उपस्थिति के आधार पर जंतु जगत को दो भागों में बाँटा गया है
अरज्जुकी/नॉन कॉर्डेटा (Non Chordata)
- इन जंतुओं के शरीर में नोटोकार्ड नहीं पाया जाता।
रज्जुकी/कार्डेटा (Chordata) –
- इन जंतुओं के शरीर में नोटोकार्ड नहीं पाया जाता।
अरज्जुकी/नॉन कॉर्डेटा (Non Chordata)
संघ (Phylum)
पोरीफेरा (Porifera)
- इस संघ के सदस्य स्पंज (Sponges) के नाम से जाने जाते हैं।
- ये मुख्यतः समुद्री होते हैं ।
- ये प्रारंभिक बहुकोशिकीय जंतु हैं ।
- इनके पूरे शरीर में अनेक छिद्र पाए जाते हैं।
- इनके शरीर में जल तंत्र या कैनाल सिस्टम पाया जाता है।
- जल महीन छिद्रों (ऑस्टिया) के द्वारा शरीर के अंदर प्रवेश करता है एवं बड़े छिद्र (ऑस्कुलम) द्वारा बाहर निकल जाता है।
- जल परिवहन के रास्ते से आहार ग्रहण, श्वसन गैसों का आदान-प्रदान तथा अपशिष्टों का निष्कासन आदि कार्य संपन्न होते हैं।
- उदाहरणःसाइफा या साइकॉन (Cycon), स्वच्छ जलीय स्पंज या स्पांजिला (Spongilla), बाथस्पंज या यूस्पांजिया (Euspongia)
सीलेंट्रेटा या निडेरिया (Coelenterata or Cnidaria)
- इस संघ के सदस्य जलीय, समुद्री, मुक्त रूप से तैरने वाले होते हैं, जिनमें सममिति पाई जाती है।
- इनमें स्पर्शक (Tentacles) एवं निडोब्लास्ट (Cnidoblasts) पाए जाते हैं ।
- इनमें शरीर दो आकार रूपों, यथा- पॉलिप (Polyp) एवं मेडुसा (Medusa) में पाया जाता है।
- पॉलिप – बेलनाकार रूप (Hydra) ,एडेमसिया (Adamsia)
- मेडुसा – छतरीनुमा आकार [ऑरेलिया या जेली फिश (Jelly Fish)]
- कोरल आदि जातियाँ समूह में रहती हैं जबकि हाइड्रा एकांकी रूप से रहते हैं।
- एडेमसिया सी-एनीमोन की एक प्रजाति है जो केकड़े के साथ सहजीवी संबंध दर्शाता है।
- हाइड्रा में श्वसन अंग तथा रक्त अनुपस्थित होते हैं तथा श्वसन विसरण के माध्यम से होता है।
टीनोफोरा (Ctenophora)
- इन्हें समुद्री अखरोट(Sea Walnuts) या कॉम्ब जैली(Comb Jelly) कहते हैं।
- ये सभी समुद्रवासी है।
- शरीर में आठ बाह्य पक्षमाभी (Ciliated) कॉम्ब प्लेट्स पाए जाते हैं जो चलने में सहायक होते हैं।
- जीवदीप्ति (Bioluminescence) के द्वारा प्रकाश उत्सर्जन करना टीनोफोर की मुख्य विशेषता है।
- उदाहरण: प्लूरोब्रेकिआ तथा टीनोप्लाना
प्लेटीहेल्मिंथीज (Platyhelminthes)
- इस संघ के प्राणी चपटे होते हैं, अतः इन्हें चपटे कृमि (Flat Worm) भी कहा जाता है।
- ये मनुष्य तथा अन्य प्राणियों में अंतः परजीवी (Endoparasites) के रूप में पाए जाते हैं।
- इनमें अंकुश (Hooks) एवं चूषक (Suckers) पाए जाते हैं।
- उदाहरण– टीनिया सोलियम (फीताकृमि), फेसियोला (Liver Fluke)
- लीवर फ्ल्यूक या यकृत कृमिभेड़, बकरी, सूअर आदि के यकृत की पित्त नलियों में पाए जाने वाला एक चपटा कृमि है।
निमेटोडा या ऐस्केल्मिंथीज (Nematoda or Aschelminthes)
- इन प्राणियों का शरीर गोलाकर होता है, अतः इन्हें गोलकृमि (Round Worm) कहते हैं।
- ये पौधों तथा प्राणियों में परजीवी रूप में भी पाए जाते हैं।
- इन्हें बीमारी फैलाने वाले परजीवी कृमि (Parasitic Worms) के रूप में जाना जाता है।
- जैसे- हाथी पाँव (Elephantiasis) के वाहक फाइलेरिया कृमि एवं आँत में पाए जाने वाले गोलकृमि तथा पिनकृमि (Round Worm and Pin Worms)।
- उदाहरणः गोलकृमि (Round Worm)(एस्केरिस), पिनकृमि, फाइलेरिया कृमि (वुचेरिया),
एनेलिडा (Annelida)
- इनके शरीर खंड अथवा विखंडों में बँटी होती है
- उदाहरणःनेरीस, जोंक,केंचुआ (Earthworm)
आर्थोपोडा (Arthropoda)
- यह प्राणी जगत का सबसे बड़ा संघ है।
- पृथ्वी पर लगभग दो-तिहाई जाति आर्थोपोडा ही है।
- इनमें खुला परिसंचरण तंत्र (रक्त वाहिकाएँ अनुपस्थित) पाया जाता है अतः रुधिर, वाहिकाओं में नहीं बहता बल्कि देहगुहा ही रक्त से भरी रहती है।
- रक्त रंगहीन होता है।
- रक्त में हीमोग्लोबिन की अनुपस्थिति के कारण यह ‘हीमोलिम्फ/Hemolymph’ कहलाता है।
- इनका शरीर बाह्य कंकाल (काइटिन से निर्मित) से ढका रहता है।
- शरीर सिर, वक्ष तथा उदर में विभाजित होते हैं।
- इनमें संधि युक्त पाद (Jointed Legs) पाया जाता है।
[झींगा (Prawn)→ 19 जोड़े पाद]
- नर एवं मादा पृथक् होते हैं तथा ये अधिकांशतः अंडे देने वाले होते हैं।
- मकड़ी: ‘स्पिनरेट्स’ (सिल्क बुनने वाला अंग) की मदद से जाला बुनती है।
- तिलचट्टाः
- हृदय13 चैंबरों का बना होता है एवं यह Sensory Hairs द्वारा अल्ट्रासोनिक साउंड प्राप्त करता है।
- सिल्वर फिश एक पंखहीन कीट है।
- जोंक, मच्छर तथा खटमल मेंप्रतिस्कंदक (Anticoagulants) पाए जाते हैं।
- Anticoagulants – are medicines that help prevent blood clots.
पेरिपैटस (Peripatus):
- यह एक Living Fossil अकशेरूकी है।
- जो ओनिकोफोरा(Onychophora) वर्ग से संबंधित है।
- यह एनेलिडा एवं आर्थोपोडा को जोड़ने वाले लिंक के रूप में जाना जाता है।
हॉर्सशू क्रैब या लिमूलस:
- एक समुद्री आर्थोपोडा है
- यह भी एक Living Fossil है।
आर्थोपोडा को निम्नलिखित वर्गों में बांटा गया है
- Crustacean
- Myriapoda
- Arachnida
- Insecta (कीट वर्ग )
- आर्थिक रूप से महत्त्वपूर्ण कीट (Insects) के उदाहरण–
- ऐपिस (मधुमक्खी)
- बांबिक्स (रेशम कीट)
- लैसिफर (लाखकीट)
मोलस्का (Mollusca)
- जंतु जगत का यह दूसरा सबसे बड़ा संघ है।
- ये प्राणी स्थलीय अथवा जलीय (लवणीय एवं अलवणीय) होते हैं।
- शरीर कठोर कैल्सियम के कवच द्वारा ढका रहता है।
- इनमें खुला संवहन तंत्र पाया जाता है एवं श्वसन तथा उत्सर्जन कार्य भी होते हैं।
- सामान्यतः नर एवं मादा पृथक् होते हैं तथा अंडे देने वाले होते हैं।
- उदाहरणः सेब घोंघा (Pila), ऑक्टोपस (Devilfish)
एकाइनोडर्मेटा (Echinodermata)
- इस संघ के प्राणियों में कैल्सियमयुक्त हड्डी से बना अंतः कंकाल (Endoskeleton) पाया जाता है, इसलिये इनका नाम एकाइनोडर्मेटा (काँटायुक्त शरीर) पड़ा।
- ये सभी समुद्री जीव हैं ।
- इनमें पाचन तंत्र पूर्ण होता है एवं स्पष्ट उत्सर्जन तंत्र का अभाव होता है।
- एम्बुलैक्रल तंत्र या जल संवहन तंत्र (Water Vascular System) इस संघ की विशेषता है, जो गमन, भोजन ग्रहण तथा श्वसन में सहायक होता है।
- नर एवं मादा पृथक् होते हैं।
- उदाहरण: एस्टेरियस या तारा मीन (Star Fish), एंटीडोन या फेदर स्टार या समुद्री लिली (Feather Star or Sea lilies)।
हेमीकार्डेटा (Hemichordata)
- ये समुद्री जीव हैं जो कृमि के समान होते हैं।
- इनका शरीर बेलनाकार होता है तथा परिसंचरण तंत्र बंद प्रकार का होता है। नर एवं मादा अलग-अलग होते हैं।
उदाहरण: बैलेनोग्लोसस (Balanoglossus), सैकोग्लोसस (Saccoglossus)
कार्डेटा (Chordata)
- कार्डेटा को तीन उपसंघों में विभाजित किया गया है
- Urochordata/यूरोकार्डेटा
- Cephalochordata/सिफैलोकार्डेटा
- Vertebrata /कशेरूकी/वर्टीब्रेटा
-
यूरोकार्डेटा(Urochordata)
- सिर्फ लार्वा की पूँछ में नोटोकार्ड उपस्थित रहता है।
- उदाहरणः एसिडिया, सैल्पा, डोलिओलम
-
(Cephalochordata)/सिफैलोकार्डेटा
- पूरे जीवन काल में सिर से पूँछ तक नोटोकार्ड उपस्थित रहता है।
- उदाहरणःब्रैंकिओस्टोमा (एम्फीऑक्सस)
-
कशेरूकी/वर्टीब्रेटा/Vertebrata)
- सिर्फ भ्रूण अवस्था (Embyonic Period) के समय नोटोकार्ड उपस्थित रहता है।
- वयस्क होने पर यह नोटोकोर्ड मेरुदंड (Vertebral Column) में परिवर्तित हो जाता है, जिसे बैकबोन कहते हैं।
नोटः
- यूरोकार्डेटा एवं सिफैलोकार्डेटा को एक साथ प्रोटोकार्डेटा (Protochordata) कहते हैं।
- ये मुख्यतः समुद्री होते हैं।
- सभी कशेरूकी रज्जुकी होते हैं परंतु सभी रज्जुकी, कशेरूकी नहीं होते।
मत्स्य वर्ग
कांड्रीक्थीज (Chondrichthyes)
- धारारेखीय शरीर वाले समुद्री प्राणी हैं
- इनमें पृष्ठरज्जु(notochord) चिरस्थायी रूप से पाई जाती है।
- इनके जबड़े शक्तिशाली होते हैं।
- इनका हृदय दो प्रकोष्ठों वाला होता है।
- इनका अंतः कंकाल – उपास्थिल (Cartilaginous) होता है।
- इनमें हड्डी नहीं पाई जाती।
- वायु कोष या वाताशय की अनुपस्थिति हैं।
- इन प्राणियों में कुछ में विद्युत अंग (टॉरपीडो में) तथा कुछ में विष दंत (ट्रायगोन में) पाए जाते हैं।
- ये असमतापी होते हैं तथा अधिकांशतः जरायुज अर्थात् बच्चे को जन्म देने वाले होते हैं।
- उदाहरणः स्कॉलियोडोन (डॉग फिश), ट्राइगोन (स्टिंग रे),शार्क( Shark)
- डॉग फिश को स्पेडनोज शार्क भी कहते हैं।
- शार्क भी बच्चे को जन्म देती है।
ऑस्टिंक्थीज (Osteichthyes)
- इस वर्ग की मछलियाँ लवणीय तथा अलवणीय दोनों प्रकार के जल में पाई जाती हैं।
- अंतः कंकाल(endoskeleton) – अस्थिल (Bony) होता है।
- इनमें वायुकोष (Air Bladder) उपस्थित होता है जो उत्पलावन में सहायक होता है।
- हृदय दो प्रकोष्ठों का होता है।
- ये सभी असमतापी होते हैं
- ये अधिकांशतः अंडा देने वाले होते हैं।
- उदाहरणः रोहू, कतला, मांगुर
कॉड समुद्री मछली (cod sea fish)
- नार्थ अटलांटिक महासागर में पाई जाती है।
- यह अपने यकृत तेल (Liver Oil) हेतु प्रसिद्ध है।
टेट्रापोडा वर्ग (Tetrapoda class)
उभयचर (Amphibia)
- ये जल तथा स्थल दोनों में रह सकते हैं।
- इनमें अधिकांश में दो जोड़े पैर होते हैं एवं कुछ में पूंछ उपस्थित होती है।
- इनकी त्वचा नम (शल्करहित) होती है एवं नेत्र, पलक वाले होते हैं।
- श्वसन क्लोम, फुफ्फुस तथा त्वचा के द्वारा होता है।
- हृदय तीन प्रकोष्ठों का बना होता है।
- ये असमतापी प्राणी होते हैं एवं अंडोत्सर्जन करते हैं।
- उदाहरणः बूफो (टोड), मेढक, हायला (वृक्ष मेढक), सैलामैंडर,
- लंग फिश (Lung Fish) मत्स्य (मछलियों) एवं उभयचरों के बीच की कड़ी है।
- मेढक त्वचा के द्वारा साँस लेता है ।
- स्थल पर वयस्क मेढक अपने फेफड़ों द्वारा श्वसन करता है।
सरीसृप (Reptilia)
- ये अधिकांशतः स्थलीय प्राणी हैं जिनका शरीर शुष्क शल्कयुक्त त्वचा से ढका रहता है।
- ये शल्क(Shale ) किरेटिन से बने होते हैं।
- इनमें बाह्य कर्ण छिद्र नहीं पाए जाते
- हृदय सामान्यत: तीन प्रकोष्ठों का होता है, परंतु मगरमच्छ (Crocodile) में चार प्रकोष्ठों का होता है।
- ये असमतापी होते हैं
- ये अंडे देने वाले हैं।
उदाहरणः टर्टल (कछुआ), टोरटॉइज, वृक्ष छिपकली, घरेलू छिपकली, गिरगिट, ऐलीगेटर, घड़ियाल, कोबरा, करैत, वाइपर (अंतिम तीनों जहरीले साँप हैं) आदि।
- बोआ, पायथन (अजगर), बुलस्नेक एवं किंगस्नेक आदि साँप जहरीले नहीं (Non-Venomous) होते।
समतापी (Homeotherms) – constant body temperature
असमतापी (Poikilotherm) – Varies body temperature
पक्षी (Aves) : मुख्य लक्षण
- पंखों की उपस्थिति
- इनमें चोंच पाई जाती है।
- इनके अंतः कंकाल की लंबी अस्थियाँ खोखली होती हैं तथा वायुकोष (Air Cavities) युक्त होती हैं।
- हृदय पूर्ण चार प्रकोष्ठों का बना होता है।
- ये समतापी (होमियोथर्मस/Homeotherms) होते हैं।
- श्वसन फुप्फुस के द्वारा होता है।
- पक्षियों में शब्दिनी (साइरिक्स/Syrinx) नामक वाद्यअंग (Vocal Organ) पाया जाता है।
- पक्षियों में एक ही अंडाशय होता है ।
महत्त्वपूर्ण तथ्य
- पृथ्वी पर सबसे ऊँचा एवं विशालतम् जीवित पक्षी – शुतुरमुर्ग (Ostrich)
- अफ्रीका में पाया जाता है।
- यह उड़ने में असमर्थ होता है।
- एकमात्र पक्षी जिसके पैरों में 2 उँगलियाँ (Toes) होती हैं।
- स्थलीय कशेरूकियों में इसकी आँखें सबसे बड़ी मानी जाती हैं।
- शुतुरमुर्ग के अंडे प्राणी जगत के अंडों में सबसे बड़े होते हैं।
- विश्व का दूसरा सबसे विशाल पक्षी – ऐमू (Emu)
- यह ऑस्ट्रेलिया में पाया जाता है।
पेंग्विन (Penguin)
- पक्षी जो उड़ नहीं सकता।
- दक्षिणी गोलार्ध में पाए जाते हैं।
- सबसे विशाल पेंग्विन – एम्पेरर पेंग्विन (Emperor Penguin)
- सबसे छोटा पक्षी – गुंजन पक्षी (Humming Bird)
- एकमात्र पक्षी है जो आगे-पीछे दोनों तरफ उड़ सकता है
- इस पक्षी का मस्तिष्क पूरे पक्षी वर्ग में सबसे बड़ा होता है
- नर एवं मादा कबूतर अपने अन्नपुट (Crop), जो भोजन संग्रहण के काम आता है, में बने एक श्वेत पोषक द्रव कपोत दूध (Pigeon’s Milk) अपने नवजात कबूतरों को खिलाते हैं।
- कूटक (Keel):
- पक्षियों में यह स्टर्नम (ब्रेस्टबोन) के बढे हुए भाग के रूप में होता है जो उड़ने में मदद करता है।
- न उड़ पाने वाले पक्षियों में यह संरचना नहीं पाई जाती।
उड़ने में अक्षम (Flightless) पक्षी:
- शुतुरमुर्ग, ऐमू, कीवी, पेंग्विन,रिया(Rhea), कैसोवरी(Cassowary)।
- कीवी – केवल न्यूजीलैंड में पाया जाता है)
स्तनधारी (Mammals) : मूलभूत लक्षण
- डायफ्रॉम की उपस्थिति
- दूध उत्पन्न करने वाली ग्रंथि (स्तन ग्रंथि)
- दो जोड़ी पाद ()
- त्वचा पर रोम
- बाह्य कर्ण ()
- हृदय चार प्रकोष्ठ
- कुछ को छोड़कर सभी स्तनधारी बच्चे को जन्म देते हैं।
अंडे देने वाले स्तनधारी
प्रोटोथेरिया (prototheria)
- प्लैटीपस (Platypus) या डकबिल एवं स्पाइनी ऐंटइटर या एक्डिना(Echidna)
- इनमें यूरीनरी ब्लैडर नहीं पाया जाता परंतु रोम (Hair) पाए जाते हैं।
- ये इलेक्ट्रिक फिल्ड उत्पन्न कर अपने शिकार को पकड़ते हैं।
- ये स्तनधारी एवं सरीसृप के बीच की कड़ी माने जाते हैं।
बच्चे देने वाले स्तनधारी (जरायुज/Viviporous )
- मेटाथेरिया वर्ग (Metatheria)
- यूथेरिया वर्ग (Eutheria)
मेटाथेरिया (मारसुपियल मैमल्स)
- मारसुपियल (marsupial)
- यूथेरिया वर्ग (प्लेसेंटल मैमल्स) /Eutheria
मारसुपियल (marsupial)
- कोई स्तनपायी जिसमें बच्चा अपरिपक्व अवस्था में पैदा होते हैं और मार्सुपियम थैली में विकास जारी रखते हैं ।
- कंगारू या मैक्रोपस, कोएला
यूथेरिया वर्ग (प्लेसेंटल मैमल्स) /Eutheria class (placental mammals)
- कोई स्तनपायी जिसमें बच्चा परिपक्व अवस्था में पैदा होते हैं
- कुत्ता, बिल्ली, भालू, मनुष्य
महत्त्वपूर्ण तथ्य
- विश्व का सबसे विशाल प्राणी/विशालतम् स्तनधारी – ब्लू व्हेल (Blue Whale)
- पृथ्वी का सबसे बड़ा शावक जन्म देनेवाला प्राणी
- जन्म के समय भी यह विश्व की सबसे विशाल प्राणी
- इसके वज़न में प्रतिदिन 200 पौंड की बढ़ोतरी होती है।
- पृथ्वी का विशालतम् वन्य प्राणी – अफ्रीकी हाथी
- बिना रीढ़ की हड्डी वाले पशुओं में पित्ताशय नहीं पाया जाता, परंतु रीढ़ वाले प्राणी होते हुए भी घोड़ों एवं चूहों में पित्ताशय नहीं होता।
- चमगादड़ में मध्यपट (डायफ्रॉम) उपस्थित होता है, जिसके कारण वह पक्षियों से भिन्न होता है।
- खरगोश सदस्यों को चेतावनी देने हेतु पिछले अंगों से ज़मीन पर प्रहार करता है।
डायनासोर
- स्थलीय कशेरूकी जीव
- सरीसृप वर्ग के प्राणी
- पैदा – ट्राइएसिक काल में
- विलुप्त – क्रिटेशियस युग
ऑर्कियोप्टेरिक्स (Archeopteryx)/Urvagel
- पक्षी तथा सरीसृप वर्ग के बीच की कड़ी
- Bird like Dinasours ।