6. बुढी आर ओकर नाती KeyPoints – एगो बुढ़ी, नाती, बाघ, बोर गाछ , बोन-भंइसा, राजाक बेटी,  एगो गाँवें एगो बुढ़ी रह- हली। ओकर बेटा-पुतोहु तो नाइ रहथिन खाली एगो सोना लखें नाती रहइ । नातीक उमइर एहे छोउ–सात बछर हतइ। ऊ बुढ़ी रोइज बोन से पतइ-दोइतन, झुरी-काठी आर बोन से कंद-मुल आनतली आर ओकरे से गुजर-बसर कर हली । एक दिन ऊ बोन गेली आर खूब झुरी-काठी जमा कर कोनो तरि बाँइध तो देली मुदा अलगावेहे नाँइ पारी । घरी घरी कोरसिस करली मुदा हाइर गेली। ऊ डाक दइकें कहली- आवा रे जीव-जन्तु ! तनी मदद करा भाइ! कठिया अलगाइ दा रे। बुढ़ीक डाक सुइन एगो बाघ आइ धमकल आर कहलइ-‘ ए बुढ़ी, हामें तोरा कठिया अलगाइ देबउ तो हमरा की देबें? “बुढ़ी हाँथ जोइर कहली- ए बाघ भाइ, हाम गरीब दुखी हों, से की दिये पारबउ ? बाघ फिन कहलइ- “अच्छा तोर घार कोन कोन हथुन ?” बुढ़ी […]

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Budhi aar okar nati (बुढी आर ओकर नाती)