3. बुढा बुढी आर सात पीठा
KeyPoints – निपूतिया बुढा-बुढ़ी,
एगो गाँवें निपूतिया बुढा-बुढ़ी रहऽ हला। दूइयो झन एकर ओकर हुआ काम कइर कोन्हों रकम गुजर कर हला। ढेइर दिन परें एक दिन दूइयोक पीठा खायेक मन भेलइन। दूइयो बुढा-बुढ़ी पीठाक जिनिस पतर जोगाड़ कइर राइतें पीठा बनवला मोटें सात गो पीठा बनलइ । आब खायेक घरी के चाइरगो लेइ आर के तीन गो एकरे में दुइयो लइर गेला । ऊ सभेक झगरा मेटाइक नाम नाय । सेसें दूइयो एक मत भेला जे दुइयो चुप रहता। जे आगु बइजकत से पाइत तीन पीठा आर जे पाछू बइजकत से पाइत चाइर पीठा। एहे बिचार कइर दूइयो भिनु–भिनु खाटीं ओइढ़-पोइढ़ सुतला ।
बिहान भइ गेलइ मेंतुक केउ उठे नाँय । काहे कि जे आगु उठत आर बइजकत सेहे पाइत तीन पीठा सइ लेल दुइयो जागल बादो केउ बोले नाँय। देखइत-देखइत दिन दुपहर भइ गेलइ ताव केउ उठला नाँय आर बुढा-बुढ़ीक घारेक केंवाइर नाँय खुलल।
आस-परोस गाँवेक लोक चरचा करे लागला जे आखिर एखन तक बुढा-बुढ़ी उठला काहे नाय? पासेक लोक लगवला केंवाइर ढेढ़वे मेंतुक ताव ने बुढ़ा राव देलइ ने बुढ़ी कुछ कहल्हुँ दूइयो सुगुम माइर रहला । हिंदे गाँवेक लोक बुझला जे जरूर कोन्हों बिपइत घटल हे नॉय लें दूइयोक मइधें केउ आवाज काहे नाँय दे हे। सब मिल बिचार कइर केंवाइर तोइड़ देला तो देखलथ जे दू खाटीं बुढा-बुढी सुतल हथ । ओइढ़-बोइढ़ आर चुल्हा तर पीठा ढाँइप राखल हथ । लोकें दूइयोक हिलाइ-डोलाइ देखला ताव केउ राव नाँय देला । गाँवेक लोक एहे बुझला जे दूइयो मोइर गेल हथ। हाय-हाय बेचारा बुढ़ा आर बुढ़ी राइतें बिन खइले सुइत गेला पीठा ढाँपले हे। गाँवेक लोक हाय चोक करे लागला । आब की। सब बिचार करला आर चंदा-पानी कइर दूइयोक अंतिम किरया करेक उता-सुता करे लागला ।
गाँवेक लोक दूइयो बुढा-बुढ़ीक एके खाटी सुताइ देला कफन ओढ़ाइ देला आर लइ गेला सोसान पोड़वे ।। दुइयो झन के एके साराई (चिता में) राइख काठ-झुरी राखे लागला । एतना धुर भेल वादो केउ कोन्हों बइजके नाँय ।
जखन साराई आइग लगाइ देला आर ऊ सभक झरक लागे लागलइन तखन दूइयो बुझे पइला जे आर उपाय नाय। ऊ सब जखन बुझे पइला जे आब चुपचाप रहलें पोइड मोइर जाइब तखन आब की दूइयो एक संगें साराई से उठल हथ आर एके बेइर कही उठल बुढा, ” जउ साली तोहीं चाइर गो खउ हामें तीने गो खाइब!” तखनी बुढ़ीयो कहली, “ जउ बुढ़ा तोहीं चाइर गो खउ हम्हीं तीन गो खाइब!”
बुढ़ा-बुढ़ीक ई रकम अचक्के उइठ गेला पर सब चमइक गेला जे ई सब भूत भइ गेला आर सब ले बेसी चिंताक कारन भेल जे सोसाने गाँवेक साते लोक गेल हला । ऊ सब बुझला जे ई दूइयो भूत भइ गेल हथ आर हामिन के खाइ खोजो हथ । हूंदे बुढा-बुढ़ी दूइयो एके बतिया कही झगड़ा करे लागला जे “तोहीं चाइर गो खोउ हामें तीन गो खाइब” अब सकेक कोन्हों गुंजाइस नाँय । ठिके ई सब भूत भइ हथ आर हामिन सातोक खाय खोजो हथ । अब की भागे लागला जे जोन्दे पारला । सब गाँवेक लोक पाराइ घार घूरला तकर बाद बुढ़ा – बुढ़ी लड़ले-झगड़ले घर घुरला। घर दुकल बाद आस-परोसेक लोक कान ओनाइ ऊ सभेक झागड़ाक बात सुन बुझे पइला जे ई सभेक असल झगड़ा पीठाक जालाई हलइ ।