लिंग का अर्थ ,परिभाषा ,भेद , उदाहरण

 लिंग का अर्थ एवं परिभाषा 

  • लिंग शब्द का अर्थ होता है, चिह्न या निशान। 

  • जिस चिह्न से संज्ञा के स्त्रीलिंग या पुल्लिग होने का बोध होता है, उसे लिंग कहते हैं।

लिंग के भेद 

  • लिंग के दो भेद होते हैं

(1) पुल्लिग

(2) स्त्रीलिंग 

  • (1) पुल्लिग – पुल्लिंग से पुरूष जाति का बोध होता है। जैसे- बालक, राजा, घर, आदि। 

  • (2) स्त्रीलिंग – स्त्रीलिंग से स्त्री जाति का बोध होता है। जैसे- गाय, महिला, रानी आदि। 

8.3 पुल्लिग शब्दों की पहचान 

1. जिन संस्कृत संज्ञा शब्दों के अन्त में ‘त्र’ होता है। वे पुल्लिंग होते हैं। जैसे- नेत्र, शस्त्र, चित्र आदि। 

2. जिन संस्कृत संज्ञा शब्दों के अन्त में ‘न’ होता है। वे प्रायः पुल्लिग होते हैं। जैसे- नयन, गमन, वचन आदि। 

3. जिन संस्कृत संज्ञा शब्दों के अन्त में ‘ज’ होता है। वे प्रायः पुल्लिग होते हैं। जैसे- सरोज, जलज आदि । 

4. जिन भाववाचक संस्कृत सज्ञाओं का अन्त त्व, व्य, व, र्य से होता है। वे पुल्लिग होते हैं। जैसे- लाधव, नृत्य, बहुत्व आदि। 

5. जिन संस्कृत शब्दों का अन्त आर, आय, वास से होता है। वे प्रायः पुल्लिग होते हैं।

जैसे- विस्तार, विकार, विकास आदि। 

6. जिन संस्कृत संज्ञाओं के अन्त में ‘अ’ हो। वे प्रायः पुल्लिग होते हैं। जैसे- पाक, मोह, क्रोध आदि। 

7. जिन संस्कृत संज्ञा शब्दों का अन्त ‘त’ से होता है। वे प्रायः पुल्लिग होते हैं। जैसे- गणित, आदि। 

8. जिन संस्कृत संज्ञा शब्दों के अन्त में ‘ख’ होता है। वे प्रायः पुल्लिंग होते हैं। जैसे – मुख, सुख, लेख आदि ।

9.जिन हिन्दी भाववाचक संज्ञाओं के अन्त में ना, आव, पन, वा, पा होता है। वे पुल्लिग

होते हैं। जैसे- गाना, चढाव, बुढ़ापा आदि। 

10. रत्न और धातुओं के नाम पुल्लिग होते हैं। जैसे- हीरा, मूंगा, लोहा, पीतल आदि। चाँदी स्त्रीलिंग है। 

11. अनाजों के नाम पुल्लिंग होते हैं। जैसे- मक्का, चना, गेहूँ, चावल आदि। 

12. वृक्षों के नाम प्रायः पुल्लिंग होते हैं। जैसे- पीपल, आम, अशोक, कटहल आदि । इमली, लीची, नारंगी, नाशपाती स्त्रीलिंग होते हैं। 

13. द्रव्य पदार्थों के नाम पुल्लिंग होते हैं। जैसे- पानी, घी, दही, तेल आदि। चाय, शराब स्त्रीलिंग होते हैं। 

14. दिनों के नाम पुल्लिग होते हैं। जैसे- सोमवार, मंगलवार आदि । 

15. देशों के नाम पुल्लिग होते हैं। जैसे- मलेशिया, ईरान आदि। 

16. हिन्दी महीनों के नाम पुल्लिंग होते हैं। जैसे- चैत्र, वैशाख, आषाढ़ आदि। 

17. समयसूचक नाम पुल्लिंग होते है। जैसे- घंटा, सेकंड, मिनट, वर्ष आदि। 

18. फलों के नाम पुल्लिग होते हैं। जैसे- संतरा, आम आदि। लीची, खजूर स्त्रीलिंग होते हैं। 19. इ, ई, ऋ, ए, ऐ के अतिरिक्त सभी वर्ण पुल्लिग होते हैं। 

20. पर्वतों के नाम पुल्लिंग होते हैं। जैसे- हिमालय, अरावली आदि। 

21. स्थानों के नाम पुल्लिग होते हैं। जैसे- शहर, टोला, गाँव, मोहल्ला आदि। 

22. समुद्रों के नाम पुल्लिग होते हैं। जैसे- हिन्द महासागर, अरब सागर आदि । 

23. जल के स्थानों के नाम पुल्लिग होते हैं। जैसे- कुआँ, तालाब, समुद्र आदि । 

24. ग्रहों के नाम पुल्लिग होते हैं। जैसे- मंगल, राहु, केतु आदि। पृथ्वी-स्त्रीलिंग है।

25.द्वंद्व समाम के उदाहरण पुल्लिंग होते हैं। जैसे- माँ-बाप, राधा-कृष्ण आदि। 

26. भारी-भरकम, मोटी, भद्दी वस्तुओं के नाम पुल्लिंग होते हैं। जैसे- पत्थर, ढेर, गट्ठर आदि।

मुख्य बिन्दु 

1. किसी भी अप्राणिवाचक संज्ञा का बहुवचन बनाने में यदि एँ, याँ अन्त में आता है तो वह

शब्द हमेशा स्त्रीलिंग होता है। जैसे-कामना- कामनाएँ कविता- कविताएँ चादर- चादरें रात- रातें किताब- किताबें 

2. भाववाचक संज्ञा जिनका बहुवचन नहीं बनता हैं, वे हमेशा स्त्रीलिंग होती हैं। जैसे- माया,

मिठास, क्षमा, आभा आदि। 

3. जिस अप्राणिवाचक वाचक संज्ञा का बहुवचन नहीं बनता है, वे हमेशा पुल्लिग होते हैं। 

4. पदनाम हमेशा पुल्लिंग होते हैं।

8.4 स्त्रीलिंग शब्दों की पहचान

1. जिन संस्कृत संज्ञा शब्दों का अन्त ‘आ’ से होता है। वे स्त्रीलिंग होती हैं। जैसे- माया,कृपा, क्षमा आदि। 

2. जिन संस्कृत संज्ञाओं का अन्त ‘ना’ से होता है। वे स्त्रीलिंग होती हैं। जैसे- वेदना, प्रार्थना, रचना आदि। 

3. जिन संस्कृत संज्ञाओं का अन्त ‘उ’ से होता है। वे प्रायः स्त्रीलिंग होती हैं। जैसे- मृत्यु,

आयु, धातु आदि। 

4. जिन संस्कृत संज्ञाओं के अन्त में ‘ति; या  ‘नि’ हो। वे प्रायः स्त्रीलिंग होती हैं। जैसे गति, जाति, हानि, योनि आदि। 

5. जिन भाववाचक संज्ञाओं के अंत में ‘ता’ होता है। वे स्त्रीलिंग होती हैं। जैसे- लघुता,

प्रभुता, जड़ता आदि। 

6. जिन संस्कृत संज्ञाओं के अन्त में ‘इ’ हो। वे प्रायः स्त्रीलिंग होती हैं। जैसे- निधि, अग्नि

आदि। 

7. जिन संस्कृत संज्ञाओं के अन्त में ‘इमा’ प्रत्यय लगा हो। वे स्त्रीलिंग होती हैं। जैसे लालिमा, गरिमा, महिमा आदि। 

8. जिन हिन्दी संज्ञाओं के अन्त में ‘ई’ होता है। वे प्रायः स्त्रीलिंग होती है। जैसे- नदी, टोपी, रोटी आदि। 

9. जिन हिन्दी संज्ञाओं के अन्त में ‘या’ लगा हो। वे स्त्रीलिंग होती है। जैसे – डिबिया, खटिया, पुड़िया आदि।

10. जिन हिन्दी भाववाचक संज्ञाओं के अन्त में ट, वट, हट होता है। वे स्त्रीलिंग होती हैं।

जैसे- आहट, बनावट, साजावट आदि। 

11. जिन हिन्दी संज्ञाओं के अन्त में ‘त’ होता है। वे प्रायः स्त्रीलिंग होती हैं। जैसे- बात, रात,

लात आदि। 

12. जिन हिन्दी संज्ञाओं के अन्त में ‘ऊ’ लगा हो। वे प्रायः स्त्रीलिंग होती हैं। जैसे- बाल, झाडू आदि। 

13. जिन हिन्दी संज्ञाओं के अन्त में अनुस्वार हो। वे प्रायः स्त्रीलिंग होती है। जैसे- सरसों, भौं आदि। 

14. जिन हिन्दी संज्ञाओं के अन्त में ‘स’ लगा हो। वे प्रायः स्त्रीलिंग होती हैं। जैसे- मिठास, प्यास आदि। 

15. जिन हिन्दी संज्ञाओं के अन्त में ‘ख’ लगा हो। वे प्रायः स्त्रीलिंग होती हैं। जैसे- भूख, चीख आदि। 

16. नदियों के नाम प्रायः स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे-गंगा, महानदी, गोदावरी, झेलम आदि।

सोन, सिन्धु, ब्रह्मपुत्र एवं दामोदर पुल्लिंग हैं। 

17. नक्षत्रों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे- अश्विनी, रोहिणी आदि। 

18. किराने की दुकान की चींजे स्त्रीलिंग होती हैं। जैसे- चीनी, इलायची, अरहर, मिर्च आदि। 

19. अहारों के नाम स्त्रीलिंग होती हैं। जैसे- रोटी, चपाती आदि। 

20. बोलियों के नाम स्त्रीलिंग होती हैं। जैसे- भोजपुरी, मगही, अंगिका आदि। 

21. भाषाओं और लिपियों के नाम स्त्रीलिंग होती हैं। जैसे- हिन्दी, संस्कृत, पंजाबी, देवनागरी, गुरूमुखी, रोमन आदि। 

22. झीलों के नाम स्त्रीलिंग होती हैं। जैसे- नैनी, डल आदि। 

23. बरतनों के नाम स्त्रीलिंग होती हैं। जैसे- कटोरी, चम्मच, थाली आदि । 

24. अंग्रेजी महीनों के नाम स्त्रीलिंग होती हैं। जैसे- जनवरी, फरवरी, मई, जुलाई। 

25. शस्त्रों के नाम प्रायः स्त्रीलिंग होती हैं।  जैसे- तलवार, तोप, बंदूक आदि। 

26. तिथियों के नाम स्त्रीलिंग होती हैं। जैसे- प्रथमा, द्वितीया, पंचमी आदि। 

पुल्लिंग से स्त्रीलिंग बनाने के नियम 

1. पुल्लिग शब्दों के अन्त में ‘अ’ और ‘आ’ के स्थान पर ‘ई’ प्रत्यय लगाकर स्त्रीलिंग बनाया जाता है। 

जैसे- दास-दासी, घोड़ा-घोड़ी।

2. पुल्लिंग शब्दों के अन्त में ‘अ’ और ‘आ’ के स्थान पर ‘इया’ प्रत्यय लगाकर स्त्रीलिंग बनाया जाता है। 

जैसे-लोटा-लुटिया, बंदर- बंदरिया। 

3. ‘अ’ ‘आ’ और ‘ई’ के स्थान पर ‘इन’ प्रत्यय लगाकर स्त्रीलिंग बनाया जाता है। 

जैसे- माली-मालिन सुनार-सुनारिन । 

4. उपनामों के अन्त में ‘आइन’ प्रत्यय लगाकर पुल्लिग से स्त्रीलिंग बनाया जाता है। .

जैसे- ठाकुर-ठकुराइन लाला-ललाइन 

5. पशु-पक्षी के नाम में ‘नी’ प्रत्यय लगाकर पुल्लिग से स्त्रीलिंग बनाया जाता है।

जैसे- रीछ-रीछनी शेर-शेरनी। 

6. अकारान्त शब्दों के अंत में ‘आ’ प्रत्यय लगाकर स्त्रीलिंग बनाया जाता है। 

जैसे-छात्र-छात्रा प्रिय-प्रिय। 

7. पुल्लिग शब्दों के अन्त में ‘अक’ के स्थान पर ‘इका’ प्रत्यय लगाकर स्त्रीलिंग बनाया जाता है। 

जैसे- गायक-गायिका धावक-धाविका।

8. पुल्लिग शब्दों के अन्त में ‘मान’ ‘वान’ के स्थान पर ‘मती’, ‘वती’ लगाकर स्त्रीलिंग बनाया जाता है। 

जैसे – श्रीमान – श्रीमती, भगवान – भगवती बलवान – बलवती, शक्तिमान – शक्ति

मती 

9.पुल्लिग शब्दों के अन्त में ‘अ’, ‘ई’ के स्थान पर ‘इनी’, ‘इणी’ लगाकर स्त्रीलिंग बनाया जाता है। 

जैसे- तेजस्वी – तेजस्विनी मनोहारी- मनोहारिणी, एकाकी – एकाकिनी सर्फ – सर्पिणी 

10. पुल्लिग शब्दों के अन्त में ‘ता’ के स्थान पर “त्र’ लगाकर स्त्रीलिंग बनाया जाता है।

जैसे- नेता – नेत्री, निर्माता – निर्मात्री 

11. भिन्न रूपों का प्रयोग करके स्त्रीलिंग बनाया जा सकता । 

जैसे- नर – मादा, बादशाह – बेगम ,ससुर – सास, भाई – भाभी