जोहाइर कविता तातल-हेमाल (कविता संग्रह ) का कवि – शिवनाथ प्रमाणिक
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जोहाइर कविता

तातल-हेमाल (कविता संग्रह ) का कवि – शिवनाथ प्रमाणिक 

जोहाइर जे माटी बीर बिरसा जनम लेल सेख भीखारी बीर बिसनाथ भेल , सिधु – कान्हू हला माटिक संतान माटिक आजादी खातिर भेला बलिदान , झारखण्ड के खण्ड छोटानागपुर नाँव जइजका भारतें छोटानागपुर जोहाइर करोहों हम ई माटिक धुर ।। महावीर गौतम के सान धरती जाइत वर्गे – बरने समान धरती , आदिबासिक सदानेक जान धरती प्रकृतिक अनमोल बरदान धरती , कर्कखंड के खण्ड छोटानागपुर नाँव जइजका भारतें छोटानागपुर । जोहाइर करोहों हम ई माटिक पुर । जे धरती दामुदर – सुबनरेखा पारसनाथ लुगू – जिनगा देखा , माटिक गर्ने चोपतल हीरा – मोती हरिहर बोन – झार हरिहर खेती , हीराखण्ड के खण्ड छोटानागपुर नाँव जइजका भारतें छोटानापुर । जोहाइर करोहों हम ई माटिक घुर ।

मधुमासें माते हे गोटे मधुबन कोकिलेक कुहू कुहू सूना घने घन , खेरहा तीतीर खेले नुकनुकानी बांदर भालुक करे मसियानी , व्रात्यखंड के खण्ड छोटानागपुर नाँव जइजका भारतें छोटानागपुर । जोहाइर करोहों हम ई माटिक धुर । कते हुइबें बउडी सहिया जोराइ पहार कोचे मधुर डोहार सुनाइ , हिया हुलइस उठे करम सुनाइ सोहराइ सोहान लागे नाचके हुइवें कीक्कट के खण्ड छोटानागपुर नाँव जइजका भारतें छोटानागपुर । जोहाइर करोहों हम ई माटिक धुर ।। ई माटी ककरो नाञ खटली गुलाम चंहटे नात्र पारे हियां कोन्हो सइतान आजाद नागपुर इतिहासे नाम आजाद हे नर – नरी आजाद हे काम बीर प्रसूता धरती छोटानागपुर नाँव जइजका भारतें छोटानागपुर । जोहाइर करोहों हम ई माटिक घुर ।।

1 : जोहाइर कविता

तातल-हेमाल (कविता संग्रह ) का कवि – शिवनाथ प्रमाणिक

  • शीर्षक का अर्थ –प्रणाम/नमस्कार 

  • इस कविता में रत्नगर्भा झारखण्ड के विभिन्न नामों हीराखंड, छोटानागपुर, कीकट प्रदेश झारखंड का दामोदर, स्वर्ण रेखा आदि सदानीरा नदियों का लुगु, लुकइया, जिनगा, पारसनाथ आदि पहाड़ों का, बिरसा तिलका सिद्ध-कान्हु शेख भिखारी, वीरं विश्वनाथ शहदेव बउड़ी, करम, सोइराइ आदि पर्व-त्योहारों का उल्लेख करते हुए आदिवासी और सदानी संस्कृति का श्वेत-श्याम संस्कृति से युक्त, वीर प्रसवा धरती का यशोगान किया गया है।

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