वृत्ति
वृत्ति की परिभाषा
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क्रिया को प्रकट करने की रीति को वृत्ति कहते है।
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वृत्ति को ‘प्रकार’ ‘क्रियार्थ’ भी कहते हैं।
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क्रियार्थ का अर्थ होता है- क्रिया का अर्थ (प्रयोजन)।
वृत्ति के भेद भेद
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वृत्ति के छह भेद होते हैं
(1) आज्ञार्थ वृत्ति
(2) इच्छार्थ वृत्ति
(3) संभावनार्थ वृत्ति
(4) निश्चयार्थ वृत्ति
(5) संकेतार्थ वृत्ति
(6) प्रश्नार्थ वृत्ति।
1. आज्ञार्थ वृत्ति
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जहाँ क्रिया के द्वारा आज्ञा, प्रार्थना, उपदेश आदि को प्रकट किया जाता है। जैसेतुम स्कूल जाओ। हे प्रभु! दया करो।
2. इच्छार्थ वृत्ति
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जहाँ क्रिया के द्वारा इच्छा, कामना आदि को प्रकट किया जाता है। जैसे- ईश्वर सबका भला करे।
3. संभावनार्थ वृत्ति
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जहाँ कार्य होने में संदेह होता है। जैसे- शायद आज पानी पड़े।
4. निश्चयार्थ वृत्ति
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जहाँ वक्ता का कथन प्रधान होता है। जैसे- मुझे कल पटना जाना पड़ेगा।
5. संकेतार्थ वृत्ति
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जहाँ क्रिया के द्वारा संकेत होता है। जैसे- यदि राम पढ़ता तो परीक्षा में पास हो जाता।
6. प्रश्नार्थ वृत्ति
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जहाँ वक्ता प्रश्न करके अपनी इच्छा व्यक्त करता है। जैसे- क्या तुम घर जाओगे?