बांवा हाथ कविता
तातल-हेमाल (कविता संग्रह ) का कवि – शिवनाथ प्रमाणिक
बांवा हाथ गुनगर घमगारा हाथ । बावाँ हाथ भगी , मेहतर , डोम चमार महरा , मूची , हाड़ी कामार घांसी , पांसी , कुरमी , काहार नोवा , धोबी , भूइयां , रजवार सोनार , लोहार , कोइरी कुम्हार छूतर , तेली मुसहर बेलदार मुड़ा सोतार , उराँव मोमीन पहरिया , आदिबासी सभीन । अलेखा अमेला हाथ ई सब भेला बावाँ हाथ कलेरा महामारिक मइल कैंसर , चेचक टीबिक मइल पीलिया पीत जरेक मइल गात बेचा मुड़बेयाक मइल । गाँवक मइल गातेक मइल बांवा हायें पॉइछ देल तभी निफुट गाँव – गात चिकन सुधर खा हय माता अइसन उपगारी बांवा हाथ तावो कहाइल असुच हाथ गुनगर घमगारा हाथ लोक कहलथिन अछूत हाथ । आर एगो अजगुते देखा दहिना हाथे देइ धोखा । अरइ – अरजन बावाँ हायें ( मुदा ) भात खाहे दहिना हाथे । सोना – हीराक अंगठी पींध माला घुराइ काटे दिन । परेक अरजन खनिहार हाथ बाह रे । कोरही दहिना हाथ खबरदार । दहिना हाथ पोंगापंथी सवारथी हाथ बखरा आपन टोने ले अधिकार आपन छीने ले छोइड़ देलथुन जाइत – पांत तोरबघुन अब तोर दांत देबथुन हुलुस्थुलेक साड़ा पड़ना लइ घुरइबथुन माड़ा । खबरदार दाहिना हाथ जुइट रहलथुन बांवा हाथ
6 : बांवा हाथ कविता
तातल-हेमाल (कविता संग्रह ) का कवि – शिवनाथ प्रमाणिक
भावार्थ-यह कविता वामपंथी दर्शन से प्रभावित प्रतीकात्मक कविता है। बांया हाथ उस बड़ी जनसंख्या का प्रतीक है, जो दिन रात मेहनत करता है। निकृष्ट से निकृष्ट काम करता है, हल चलाता है पर एवज में उसे मिलता है, अपमान, भुखमरी, हिकारत। दाहिना हाथ उस छोटे से वर्ग का प्रतिनिधि है, जो स्वयं काम नहीं करता है, परंतु सब सुख उसे उपलब्ध है। वह मिहनतकश जनता पर शासन करता है। कवि दाहिना हाथ को सावधान करता है, चेतावनी देता है कि अब तुम्हारा शासन नहीं चलेगा, मेहनत करा जनता (बांया हाथ) जाग रही है, संगठित हो रही है।
khortha for JSSC |