चिश्ती सिलसिला
- भारत में चिश्ती संप्रदाय सबसे अधिक लोकप्रिय व प्रसिद्ध हुआ।
ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती
- भारत में चिश्ती परंपरा के प्रथम संत शेख उम्मान के शिष्य ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती थे। मोईनुद्दीन चिश्ती 1192 ई. में मुहम्मद गौरी(मुइजुद्दीन मुहम्मद-बिन-साम/शिहाबुद्दीन मुहम्मद गौरी/गौर वंश का मुहम्मद) के साथ भारत आए थे। इन्होंने ‘चिश्तिया परंपरा’ की नींव रखी थी।
- मोईनुद्दीन चिश्ती ने अजमेर को अपना केंद्र (खानकाह) बनाया। उनकी दरगाह अजमेर में स्थित है और ‘ख्वाजा साहब’ के नाम से प्रसिद्ध है।
- प्रमुख शिष्य- ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी
ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी
- वे इल्तुतमिश के समकालीन थे
- कुतुबुद्दीन ऐबक ने प्रसिद्ध सूफी संत ‘ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी’ की स्मृति में दिल्ली में कुतुबमीनार की नींव रखी, जिसे बाद में इल्तुतमिश ने पूरा करवाया।
बाबा फरीद (गंज-ए-शकर)/शेख फरीदुद्दीन मसूद गंज-ए-शकर(1175-1265)
- बाबा फरीद (गंज-ए-शकर) के कारण चिश्ती सिलसिले को भारत में अत्यधिक प्रसिद्धि मिली।
- सिख गुरु अर्जुन देव ने ‘गुरुग्रंथ साहिब’ में इनके कथनों को संकलित कराया है।
- बाबा फरीद, ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के शिष्य थे
- निवास स्थल – अजोधन (वर्तमान नाम -पाकपटन/पाटणफ़रीद ,पाकिस्तान )
- वे बलबन के दामाद थे .
- शिष्य-हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया एवं हजरत अलाउद्दीन साबिर साबिर
निज़ामुद्दीन औलिया(महबूब-ए-इलाही)(1238-1325)
- संत निजामुद्दीन औलिया, बाबा फरीद के शिष्य थे।
- निज़ामुद्दीन औलिया ने दिल्ली के सात सुल्तानों का शासनकाल देखा था, किंतु वे किसी भी सुल्तान के दरबार में उपस्थित नहीं हुए।
- शिष्य-‘शेख बुरहानुद्दीन गरीब’,अमीर खुसरो
- दक्षिण भारत में चिश्ती सिलसिले को प्रारंभ करने का श्रेय ‘शेख बुरहानुद्दीन गरीब’ को जाता है। इन्होंने दौलताबाद को अपने प्रचार-प्रसार का केंद्र बनाया।
अमीर खुसरो
- मूल नाम- अबुल हसन यामिनुद्दीन खुसरो
- Book-तुगलक नामा
- उपनाम-Voice of india,Parrot of india(Tuti-e-Hind),Father of urdu literature,father of qawwali
नासिरुद्दीन महमूद ‘चिराग-ए-दिल्ली’
- चिश्ती संत नासिरुद्दीन महमूद ‘चिराग-ए-दिल्ली’ अर्थात ‘दिल्ली के चिराग’ नाम से अधिक प्रसिद्ध हुए। (रचना- तौहीद -ए -वजूदि )
मुहमद बिन युसूफ अलहुसैनी(बन्दे नवाज़ गेसूदराज )
- उर्दू शायरी का पहला पुस्तक मिराज उल आशिक़ीन लिखा।
- बहमनी सल्तनत की स्थापना के बाद कर्नाटक के गुलबर्गा में जाकर बस गए।
संत शेख सलीम चिश्ती
- मुगल शासक अकबर फतेहपुर सीकरी के चिश्ती संत शेख सलीम चिश्ती के प्रति आदर भाव रखता था तथा अपने पुत्र जहाँगीर को उनका ही आशीर्वाद समझता था।
- ‘फतेहपुर सीकरी’ में अकबर ने शेख सलीम चिश्ती के मकबरे का निर्माण कराया।
चिश्ती सिलसिले की विशेषता
- चिश्ती सिलसिले के संत अत्यंत उदार प्रवृत्ति के थे। उन्होंने ऊँच-नीच, धर्म-जाति और जन्म के भेदभाव को त्याग कर मानव सेवा व प्रेम को प्रमुखता दी।
- चिश्ती सिलसिले से संबंधित संत सुल्तान या अमीरों से कोई वास्ता नहीं रखते थे। एक बार अलाउद्दीन खिलजी ने निज़ामुद्दीन औलिया से मिलने की इच्छा जाहिर की, लेकिन औलिया ने कहा, “मेरे घर में दो दरवाजे हैं, यदि बादशाह एक से अंदर आता है तो मैं दूसरे से बाहर चला जाऊँगा।”
- चिश्ती संतों ने संगीत को बढ़ावा दिया।
- चिश्ती सिलसिले के संत व्यक्तिगत संपत्ति को आत्मिक उन्नति और विकास के मार्ग में बाधा मानते थे। उनका रहन-सहन अत्यंत साधारण था।
- चिश्ती सिलसिले के संत ईश्वर के प्रति प्रेम और मनुष्य मात्र की सेवा में विश्वास रखते थे। वे मनुष्य मात्र की सेवा को भक्ति से भी ऊँचा समझते थे।