राम-सीता मंदिर (राधावल्लभ मंदिर)
चुटिया (राँची)
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नागवंशी राजा रघुनाथ शाह ने 1685 ई. में इस मंदिर का निर्माण कराया था तथा ब्रह्मचारी हरिनाथ (मराठा ब्राह्मण) को इसका पुजारी नियुक्त किया।
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यह मंदिर पूर्व में राधावल्लभ(कृष्ण ) मंदिर था।
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28 जनवरी, 1898 ई. को ‘मुण्डा उलगुलान’ के दौरान बिरसा मुण्डा ने अपने अनुयायियों के साथ इस मंदिर पर हमला किया था ।
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चुटिया पूर्व में नागवंशी राजाओं की राजधानी था. इस मंदिर के पास में रांची स्टेशन है।
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चुटिया गांव को बसाने का श्रेय मुंडाओं के पूर्व पुरुष “चुटु हड़ाम “को जाता है।
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डोरंडा का पूर्व नाम दोम्दा गढ़ा था। चुटिया के पास से स्वर्णरेखा नदी बहती है।
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मंदिर में रखी राम, सीता व हनुमान की मूर्तियां मूल मूर्तियां नहीं है, बल्कि 1898 के बाद बनारस से मंगवा कर स्थापित की गई है। मूल मूर्ति को बिरसा उलगुलान के समय तोड़ दिया गया था, कहा जाता है कि उन मूर्तियों को जगन्नाथपुर मंदिर में रखा गया है.
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यह स्थान चुटिया पूर्ति के वंश के पूर्वजों से संबंधित था, बिरसा इसी वंश के थे। बिरसा के बड़े भाई का नाम कोमता मुंडा था।
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यह मंदिर आग्नेय पत्थरो से बना है। इस मंदिर का निर्माण पत्थरों को तराशकर किया गया है।