संकरी नदीक काछार यात्रा वृतांत ,माना गाँवेक टावाने यात्रा वृतांत

      khortha (खोरठा ) For JSSC JPSC 

      KHORTHA (खोरठा ) PAPER-2 FOR JSSC

      SARKARI LIBRARY

      AUTHOR : MANANJAY MAHATO

       संकरी नदीक काछार यात्रा वृतांत   ,माना गाँवेक टावाने यात्रा वृतांत 

      सकरी नदीक काछार (सँकरी नदी का किनारा )

      • इस यात्रा वृतांत को शिवनाथ प्रमाणिक द्वारा लिखा गया है जो कि तितकी पत्रिका में अप्रैल 2000 में छपा था

      • इसमें गिरिडीह जिला के देवरी प्रखंड में एक नदी के किनारे स्थित उस स्थान का जिक्र है जंहा नवादा, जमुई और गिरिडीह मिलते हैं

      • लेखक के अनुसार उस स्थान पर आदिमानव रहते थे

      • इसी स्थान को देखने के लिए 28.11.1998 को लेखक बोकारो से 200 किलोमीटर दूर स्थित देवरी गए थे जहां पर खोरठा के गीतकार विनोद उपाध्यायकिशोर नवल, दिनेश(दिलीप ) राम, बहादुर पांडे ‘झिंगपुलिया’ और शिवनंदन पांडे ‘गरीब’ का घर है

      • 27.11.1998 को लेखक सबसे पहले नवल किशोर के घर पहुंचे इसके बाद 28 नवंबर को यह सभी सकरी नदी के किनारे गए

      •  बुलेट नवल किशोर का छोटा भाई(गाइड का काम ) चला रहा था वही इन्हें मार्ग दिखा रहा था

      • नदी के किनारों पर घटवार जाति के लोग रहते थे यह लोग भी कर्म, सोहराय बावड़ी सरहुल पर्व मनाते थे

      • यही के नदी नालों से क्यूल नदी का उद्गम होता है 

      • नारायणी(रंगइनी नदी) के बाद यह सकरी नदी पहुंचते हैं

      • सकरी नदी के के किनारे लगातार 30 किलोमीटर दूर तक आदिमानव निवास करते थे

      1. “संकरी नदीक काछार’ जातरा बरनन (वृतान्त) केकर लिखल लागे ? शिवनाथ प्रमाणिक

      2. ‘संकरी नदीक काछार’ कोन जिला में पड़ है ? गिरिडीह

      3. संकरी नदीक काछार लेखक कहिया गेल रहत ? 28.11.1998

      4. संकरी नदीक काछार लेखक की ले गेल रहत? आदि मानव कर खोह देखे ले 

      5.संकरी नदीक काछार, जहाँ गेल रहथ, ऊ कोन कोन जिलाक सीमाना पर हे?गिरिडीह 

      6. संकरी नदीक काछार जातराक ‘ड्राइवर संग गाइड ‘कर काम कोन करल रहे? नवल जीक छोट भाय

      7. संकरी नदीक काछारे आदिमानवेक पाखनेक खोह (कुंबा) हे?लगाइत 30 किलोमीटर 

      8. “एहे सरसल जोरिया लागो क्यूल नदीक स्रोत ईटाकोने कहल रहे ? शिव नन्दन पाण्डेय 

      9. सकरी नदीक काछार’ जातरा बरनन कोन पतरिकात्र छपल है ? तितकी अप्रैल 2000 में 

      10. सकरी नदीक काछारे कोन जाइतेक बसकिता है ? घटवार

      माना गाँवेक टावाने (MANA GANVEK TAWANE )

      माना गाँव – चमोली जिला ,उत्तराखंड (भारत – चीन सीमा )

      • इस यात्रा वृतांत को शिवनाथ प्रमाणिक द्वारा लिखा गया है 

      • लेखक माना गांव 12 जुलाई 2012 को गए थे

      • यह यात्रा वृतांत लुआठी पत्रिका में दिसंबर 2012 में छपा था

      • माना गांव भारत और चीन के सीमा के बीच चमोली जिला उत्तराखंड राज्य में शिवालिक पर्वत गिरीपद में स्थित है 

      • यह समुद्र तल से 3118 मीटर ऊंचा है 

      • यह बोकारो जिला से 1586 किलोमीटर और दिल्ली से 511 किलोमीटर दूर अलकनंदा नदी के किनारे स्थित गांव है

      • NH-58 से सटा हुआ है

      • माना गांव से 42 किलोमीटर दूर थोलिंग मठ बोध विहार है उसके बाद मानसरोवर झील है

      • इसके पास के सड़कों को सीमा सड़क संगठन द्वारा बनवाया गया है

      • माना गांव बद्रीनाथ से 6 किलोमीटर दूर है 

        • एक बुजुर्ग व्यक्ति सुरेंद्र सिंह बोडवाल के अनुसार बदरी(बैर ) के वन  के कारण से इस स्थान का नाम बद्रीनाथ पड़ा

      • माना गांव के मूलवासी भुटिया और नारायण  है,भुटिया माना गांव में मई से अक्टूबर तक रहते हैं

      • वहां पर घाटू धान्याल और घटाकरण के नाम से पशु बलि दिया जाता है

        • घाटू धान्यालका निधन आर्यो के साथ युद्ध में हुआ था 

      1. ‘माना गाँवेक टावाने कइसन रचना लागे ? यात्रा वृतान्त 

      2. माना गाँवेक टावाने ‘ जातरा बरनन केकर लिखल लागे ? शिवनाथ प्रमाणिक 

      3. माना गाँव कोन प्रदेश में हे ?उतराखंड  

      4. लेखक ‘माना गाँव’ कहिया गेल रहथ? 12.07.2012

      5. माना गाँव उत्तराखंड कर कोन जिला में है ? चमोली

      6. “माना गाँव’ बदरीनाथ से कतना दूर हे? 6 किलोमीटर

      7. ‘माना गाँवेक कोन जुवान आर्य संगे लड़ल रहथ? घाटू धान्यालः + घटाकरन 

      8. ‘माना गाँवेक कोन आर्य संगेक जुधे माराइल रहे ? घाटु धान्याल

      9. मानां गाँवेक ई कहनी (जनश्रुति) कोन सुनवल रहे ? सुरेन्द्र सिंह बोड़वाल

      10.आर्य समे जीतल बादे बदरी (कोइर)बोने देवताक मरुत गा की नामे जानल जाहे?बदरी नाथ

      11. ‘माना गाँवेक टावाने जातरा बरनन कोन पतरिकाञ छपल हे ? लुआठी, दिसम्बर 2012 

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      AUTHOR : MANANJAY MAHATO

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