29. बिरजिया जनजाति
- बिरजिया शब्द का अर्थ – ‘जंगल की मछली‘
- बिरजिया जनजाति सदान समुदाय की आदिम जनजाति है
- प्रजातीय संबंध – प्रोटो ऑस्ट्रेलायड समूह
- बिरजिया जनजाति स्वयं को पुंडरिक नाग के वंशज मानते हैं।
- इन्हे असुर जनजाति का ही हिस्सा माना जाता है।
- झारखण्ड में निवास स्थल – लातेहार, गुमला व लोहरदगा जिले में
- पितृसत्तात्मक परिवार होता है।
- बहुविवाह की प्रथा पायी जाती है।
- यह जनजाति सिंदुरिया तथा तेलिया नामक वर्गों में विभाजित है।
- ‘सिंदुरिया’ बिरजिया – विवाह के दौरान सिंदुर का प्रयोग
- ‘तेलिया’ बिरजिया – विवाह के दौरान तेल का प्रयोग
- तेलिया वर्ग पुनः दूध बिरजिया तथा रस बिरजिया नामक उपवर्गों में विभाजित हैं।
- दूध बिरजिया – दूध व मांस का सेवन नहीं
- रस बिरजिया – दूध व मांस का सेवन
- इस जनजाति में
- सुबह का खाना – ‘लुकमा‘, कहा जाता है।
- दोपहर का भोजन- ‘बियारी‘ कहा जाता है।
- रात का खाने – ‘कलेबा‘ कहा जाता है।
- प्रमुख त्योहार – सरहुल, सोहराई, आषाढी पूजा, करम, फगुआ आदि
- पंचायत का प्रमुख – बैगा
- प्रमुख पेशा – कृषि
- पाट क्षेत्र में रहने वाले बिरजिया स्थानांतरणशील कृषि करते हैं।
- प्रमुख देवता – सिंगबोंगा, मरांङ बुरू आदि