21. बिंझिया जनजाति
- झारखण्ड की अल्पसंख्यक जनजाति
- स्वयं को विंध्य निवासी मानते है।
- प्रजातीय संबंध – द्रविड़ समूह से
- संकेंद्रण – राँची व सिमडेगा
- ये अपने को राजपूत मानते हैं
- नाम के अंत में सिंह जोड़ते हैं।
- ब्राह्मण तथा राजपूत को छोड़कर किसी के यहाँ भोजन नहीं
- भाषा – सदानी है।
- 7 गोत्र में विभाजित है।
- प्रमुख गोत्र – कुलुमर्थी डाडुल, साहुल आदि
- सगोत्रीय विवाह निषिद्ध
- प्रचलित विवाह – गुलैची विवाह, ढुकु विवाह तथा सगाई संधा विवाह
- वधु मूल्य – ‘डाली कटारी‘ कहा जाता है।
- तलाक – ‘छोड़ा-छोड़ी’ कहा जाता है।
- युवागृह नहीं पायी जाती है।
- हड़िया पीना वर्जित है।
- प्रमुख पेशा – कृषि
- प्रमुख देवता – विंध्यवासिनी देवी ,चरदी देवी
- तुलसी पौधा का पूजा
- ग्राम देवी – ग्रामश्री
- पुजारी – बैगा कहा जाता है।