भुनेश्वर दत्त शर्मा ‘व्याकुल’ (Bhuneshwar Dutt Sharma ‘Bayakul’ )जीवनी
- जन्म – 1895, बिशुनगढ़, हजारीबाग जिला
- (अन्य – जन्म – 17 मार्च 1908, गिरिडीह,महथडीह )
- आवास – हजारीबागेक बिसुनगढ़े
- पिता – पंडित बलदेव प्रसाद उपाध्याय
- माँ – शांति देवी
- दादाजी पंडित अयोध्या प्रसाद उपाध्याय
- पत्नी – सरस्वती सुशीला (कांग्रेस कार्यकर्ता , बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्रीकृष्णा सिंह की भतीजी )
- शिक्षा – 5 बी तक
- मृत्यु – 17 सितम्बर , 1984
- इनके पिता का मृत्यु जब Bhuneshwar 6 माह के थे तभी ,हो गया था इसलिए इनका देखभाल उनके दादाजी पंडित अयोध्या प्रसाद उपाध्याय ने किया
- 11 वर्ष की आयु में वे काशी चले गए थे
- 1925 में गांधी के साथ स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े
- उन्होंने देश को आजाद कराने के लिए क्रांतिकारी गीत खोरठा भाषा में लिखे हैं जिसे अंग्रेजों ने जला दिया था
- हिंदीक के साहित्यकार रामवृक्ष बेनीपुरी से 1930 में हजारीबाग जेल में मिले।
- भुवनेश्वर दत्त शर्मा व्याकुल का पहला रचना – ‘कवि व्याकुल’
- ‘कैदी’ नाँवक पतरिका में छपा है
- ‘कैदी’ नाँवक पतरिका रामवृक्ष बेनीपुरी हाथ से लिखते थे।
- व्याकुलजी का पहिल किताब : ‘कलाम-ए-व्याकुल’ (1939 में बिसुनगढ़, हजारीबाग से प्रकशित )
- भूमिका राम नारायण सिंह ने लिखा था
- राम नारायण सिंह ने उन्हे राष्ट्रकवि कहा था
- कबिता – लगस्तर प्रताप, वर्तमान, कर्मवीर, लोकमान्य, विश्वमित्र, हिन्दु, पंच, हिन्दुस्तान, बालक, जनता आर जागृति
- छउआ दुलार (कविता )
- कृति
- हिंदी में
- कलाम ए व्याकुल
- तराना ए व्याकुल
- सफर का साथी
- छोटानागपुर (कविता संग्रह )
- खोरठा में
- किसानो का अंतर्नाद (1943 – 44 )
- मादल
- मादल धवनि मधुर ताल
- उर्दू में
- हुस्न इश्क
- फलक से
- हिंदी में
- इनकी रचनाएं ज्यादातर हजारीबाग के विशुनगढ़ स्थित सुखद खोरठा साहित्य कुटीर की ओर से प्रकाशित होती थी
- पेशा – कलाकार, गवइया आर बजवइया
- भुनेश्वर दत्त शर्मा ‘व्याकुल’ जीवनी के लेखक – परितोष कुमार प्रजापति
- पुस्तक – दू डाइर परास फूल
- 1989 – पानुरी स्मृति सम्मान (खोरठा साहित्य संस्कृति परिसद ,बोकारो द्वारा )
- 1900 – 1950 के लेखक
परितोष कुमार प्रजापति के बारे में
- जनम – 02 फरवरी 1954
- जनम थान ग्राम – गांगजोरी, जिला – बोकारो (झारखण्ड)
- माँयेक नाम – मांदू देवी
- बापेक नाम – गुचन महतो
- सिक्छा – बी0ए0, कार्यालयीय हिन्दी में डिप्लोमा
- पेशा – बोकारो इस्पात संयंत्रे ऑपरेटर रूपें
- खोरठा साहित्य-संस्कृति परिषदे के सचिव
- बोकारो खोरठा कमिटीक के अध्यक्ष
- रचना –
- जिनगीक भेउ (कबिता संग्रह) छपल हे।