द्वितीय समसत्र – MJ-02, क्रेडिट – 04 कुल अंक – 100 (बाह्य परीक्षा-75, आंतरिक परीक्षा-25)
हिन्दी साहित्य का इतिहास (आधुनिक काल)
- इकाई 1 :आधुनिकता की अवधारणा, आधुनिक काल की राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक पृष्ठभूमि, हिन्दी नवजागरण
- इकाई 2 :भारतेन्दु-युग : प्रमुख साहित्यकार, प्रमुख प्रवृत्तियाँ , द्विवेदी-युग : प्रमुख साहित्यकार, प्रमुख प्रवृत्तियाँ
- इकाई 3 :छायावाद, प्रयोगवाद एवं नई कविता का सामान्य परिचय तथा विशेषताएँ
- इकाई 4 :स्वतंत्रता पूर्व एवं स्वांतन्त्र्योत्तर विभिन्न गद्य विधाओं (विशेषत: संस्मरण, रेखाचित्र,आत्मकथा, जीवनी) का सामान्य परिचय
द्वितीय समसत्र, विषय कोड MJ-03, क्रेडिट – 04, कुल अंक – 100 (बाह्य परीक्षा-75, आंतरिक परीक्षा-25)
आदिकालीन एवं मध्यकालीन हिन्दी कविता
- इकाई 1: कबीरदास : साहित्यिक परिचय, भक्ति भावना, सामाजिक पक्ष
- गुरु गोविन्द दोऊ खड़े………….
- पोथी पढ़ि-पढ़ि जग मु…………
- सतगुरू की महिमा अन………..
- कांकर पाथर जोरि के…………..
- पाहन पूंजे हरि मिले………..
- इकाई 2 : जायसी : साहित्यिक परिचय, विरह-भावना
- नख-शिख वर्णन (पद्मावत, आरंभ के 5 पद)
- इकाई 3 : तुलसीदास : साहित्यिक विशेषताएँ, भक्ति भावना, समन्वय भावना
- पुष्पवाटिका प्रसंग (रामचरित मानस, आरंभ के 5 पद)
- इकाई 4 : सूरदासः वात्सल्य एवं शृंगार-भावना
- सोभित कर नवनीत लिए…………
- मैया मोरी मैं नहिं माखन खायो..
- मैया कबहिं बढ़ेगी चोटी?..
- मधुबन तुम कत रहत हरे..
- हरि काहे के अंतर्यामी..
द्वितीय समसत्र – MDC-HINDI, क्रेडिट – 03, कुल अंक -75
हिन्दी साहित्य एवं भाषा
- इकाई : 1 हिन्दी साहित्येतिहास लेखन की परंपरा, काल-विभाजन एवं नामकरण
- इकाई : 2 भाषा की परिभाषा, हिन्दी भाषा का उद्भव एवं विकास, हिन्दी की प्रमुख बोलियाँ, भाषा एवं बोली में
अंतर - इकाई : 3 हिन्दी कहानी का उद्भव एवं विकास, हिन्दी कहानीकार-राधाकृष्ण (पड़ोसी), प्रेमचंद (पूस की रात),
जयशंकर प्रसाद (पुरस्कार), फणीश्वर नाथ रेणु (संवदिया)
द्वितीय समसत्र, – AEC-HINDI , क्रेडिट – 02, कुल अंक – 50
हिन्दी व्याकरण और सम्प्रेषण
- इकाई : 1 – समास, पर्यायवाची शब्द, विलोम शब्द, लिंग-निर्णय, अनेक शब्दों के बदले एक शब्द, मुहावरे एवंलोकोक्तियाँ, पल्लवन एवं संक्षेपण
इकाई : 2 – संप्रेषणः अवधारणा और महत्व, संप्रेषणः प्रकार, माध्यम एवं तकनीक