संविधान की मूल संरचना (basic structure of the constitution) शंकरी प्रसाद मामले (1951) सर्वोच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी कि संविधान का अनुच्छेद 368 के अंतर्गत, संसद मौलिक अधिकारों में संशोधन कर सकती है गोलकनाथ मामले (1967) सर्वोच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी कि संसद मौलिक अधिकारों में कटौती नहीं कर सकती है,और किसी मौलिक अधिकार को वापस नहीं ले सकती है। लेकिन संसद ने 24वें संशोधन अधिनियम (1971) पारित कर व्यवस्था दी कि अनुच्छेद 368 के अंतर्गत संसद मौलिक अधिकारों को सीमित कर सकती है, अथवा किसी अधिकार को वापस ले सकती है। केशवानंद भारती मामले (1973) सर्वोच्च न्यायालय ने 24वें संशोधन अधिनियम (1971) की वैधता को बहाल रखा और व्यवस्था दी कि संसद मौलिक अधिकारों को सीमित कर सकती है, अथवा किसी अधिकार को वापस ले सकती है। साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने एक नया सिद्धांत दिया संविधान की मूल संरचना (basic structure) का। इसने व्यवस्था दी कि अनुच्छेद 368 […]