बड़का बुजरुक बिरसा Barka Bujruk Birsa KHORTHA Biography
khortha (खोरठा ) For JSSC JPSC
KHORTHA (खोरठा ) PAPER-2 FOR JSSC
बिरसा MUNDA जीवनी Sheikh Bhikhari Biography KHORTHA
KHORTHA साहित्य की अन्य विद्याएँ: FOR JSSC JPSC
KHORTHA लेखकों की जीवनी
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बड़का बुजरुक बिरसा की जीवनी के लेखक –ए के झा
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बिरसा की जीवनी खोरठा गईद पईद संग्रह “इंटरमीडिएट खोरठा किताब” में संकलित है
बड़का बुजरुक बिरसा – ए. के. झा
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छोटनागपुरेक बड़का बीर क्रांतिकारी बिरसाक जनम 15 नवम्बर 1875 ई. उलीहातु गाँवे भेल हलइ ओकर मांञ बापेक नांव भरमी आर सुगना मुंडा हलइ। बिरसाक छउवा बेरा बहुते गरीबी में पार भेलइ। सई खातिरो ओकर पोढ़ा-लिखा बेस सिरें नाइँ होवे पारलइ। जोदियो बा बिरसा बेसी पोढ़ा-लिखा नाइँ करे पारल (कितापेक गियान) ताउ परकीरतिक कोरांञ रइह के जे पढ़ा पढ़ल ओकर से छोटनागपुरेक गउरव पाहारेक मुँधना ले बेसी ऊँचा भेलइ।
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वइसन बेपटतरिया बड़का बोर ‘क्रांतिकारी’ बिरसा के धोखा से, आपन दलालेक जोरें, गोरामहापरभु चाहे पाँड़रा परभु(अंगरेज) सब गिरफ्तार करल्थिन आर राँची जेहले भोइर देल्थिन। जून मइहनांत्र माने जून 1900 ई. के सुरू में परचार करल गेलइ जे बिरसा के उबाँइत पोखोइर (हैजा) भेल हइ। तकर बादें आठ जूनें बिरसा निफुट भइ साँठाइ उठलका मेनेक 9 जूनेक झलफलिए परचार करल गेलइ जे बिरसा गइर आर अलाचार भइ गेल हे। फइर सेहे दिन अड़बेरिया ले परचार करल गेलइ जे बिरसा सिराइ(मृत) गेलका
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अइसन अजगुत आर अजगइबी खभ्इर से बुझनगर लोक चोकाइ उठला -ओखनिक पाँड़रा परभु सभेक अइसन परचार के ओतन-गोतन(आलोचना) होवे लागलइ। पता चललइ जे उटा पाँड़रा परभुक सरकारेक फरफँदिया चाइलें – बिरसा महान मोरल नाइँ ओकराँ मोरवल गेलइ।
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मानुस परेमी लोक सब डाक्टरो समेक मत के पता करल्थिन। जानल गेलइ सरकारी कुटवाइले के भेउ गुलइना से ले झारखंड परेमी आर मानुस परेमी लोकेक करजिक साड़ा देखा तो आइझो की रकम बाहरा हइ :
के कहे बिरसा के मोरल
ऊ तो हे मने मथे भोरल!
बिरसाक करनी दगदगा हे
बिरसाक नाम्ही जगजगा हे!
पचीसे बछर उमइरें बिरसा
पाँच सौ के करनी करलक!
चेंदाइल लोकेक चिन्हा चेठा के
हुलेक हुबें टानी धरलक!
सुगना आर भरमिक बेटा
बेपटतरिया बीर बनलक!
जकर राइजें बेरो डूबे
तकरो हरनठ कइर छोड़लक!
हे ‘काँति के रंफ तोराँ
अनगइन -झनगइन
दिनगइन जोहाइर!
तोर आलो नाइँ निझइतउ
कतनो करे केउ कु-ऽ कोवाइर(हल्ला)
जोहाइर जोहाइर बिरसाक जोहाइर!
-ए. के. झा।
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आइझ तक के इतिहासें प्राइ अइसने हे भेल आइल हइ! सासक बिधाता सब अइसने हे करल आइल हथा अइसन इतिहास बनाइदेल जाहे पचीसे बछर आर आयाँ अरर्थे जेखिन हतिहासेक चाका के आपन अजगुत उपगारी कामेक जोरे गुडगुडाई के आर गड़गड़ाइ के चलवइत रहथा ई खामयाली इतिहास ले सेखिन के दइहनोइ देल जाहे। मुदा दोसर बाटे ओइसन हुबगर लोकवइन आपने हे इतिहास बइन जाहथ -आर्या इतिहास जीउगर हतिहास।
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मानुसेक बिकासेक आर आजादिक हुबेक इतिहासेक एगो चमचमियाँ अधियाइ हे बिरसा महानेक सदा जुवान जिनगी-पचीसे बछरेक जिनगी-मेनेक एतने में पिरथिबिक अन बिसरवा आयाँ इतिहासेक ऊ डागर डेरका डाँड़ी बइन गेलक तभी तो उपरेक कबितबें कहल हिअइ जे कते-कते लोक पाँच सउ बछर बाँचे गेल्हुँ अइसन अजगुत उपयोगी बड़का बड़का काम सबके करे नाइँ पारतला, तइसनेहे महान काम के बिरसा छोट मोट उमइरें कइर देखवला सइ ले बिरसाक बीरताक बखान करइतें एकठिन कहल हिअइ :
“मोरेक मुंध मरमें मातल बिरसा
जकर डरें फिरंगी फिर-हला दिसा(पखाना)!”
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मेनेक बिरसा के से आर्या “क्रांतिकारी”महान रूप टा के उचित गउरब नाइँ देल गेले हइ – बेस भाग पइरचवल नाइँ गेले हइ।
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हियाँ केउ-केउ कहे पारथ जे बिहार आर भारत सरकार तो बिरसा के बहुत बड़का मान देले-हथा एकर ले बेसी बात आर कि होवे पारे जे बिरसा के भगवान कहल जा हइ। मेनेक, ई लेताइरे लोक के बुइझ लिएक चाही जे, एहटाइ तो भेलइ असल बोड़ा बीड़िक बात। जे कन्हो क्रांतिकारी के भगवान केइह के परचार करे गेलें ओकर करांतिक परभाव टा मइलछाइ जाइ। कोनो ‘क्रांतिकारी’के आयाँ मानुस रूप टाइ समाजें बेस कामेक परभाव नाइँ परे पारइ। सेहेले गउतम तरी महान करांति करवइयाक परभावटाउ खिआइ गेलइ – भारत ले तो से परभावटा प्राइ-प्राइ सिराए गेलइ।
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तो, बिरसा तरी मघन ‘क्रांतिकारी’बीर सभेक जिनगी से मिलेवाला इंगित आर हुब केसीख ‘छुमंतर’ कइर दिएक एहे भांड चेस्टा गुलइन से साबधान होवा जरूरी। जे में समाजेक मनें बेस आसरा जनमे जे, ओखनिए रकम बड़का-बड़का काम सबके आरो लोक करे पारथा जे हामनिक रकम साधारण मानुस ले आगु बाइढ़ के आपन जगजगिया जिगिस्ताक जोरें बिरसा रकम ओइसन लोक गुलइन महान ‘क्रांतिकारी’ बइन जाथ – आर, आरो लोक से रकम पारे! करे पारे।
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तइसने भाँड़ चेस्टाक बिरोधे – मोजेस गुड़िया कहल हथि जे, बिरसा कोनो धरम पइरचवेवाला लोक नाइँ रह-हलका ऊ तो एगो खूभे बड़का ‘क्रांतिकारी’ रह-हलक आर क्रातिए हलइ ओकर धरम।
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‘क्रांतिकारी’ लोकेक ‘क्रांती’ के काम ले उपजल परभाउटा के मइलछाइ दिये ले चाहें गुचाइ दिए ले कते रकम जनबिरोधी कुटचाइल चलल जाहे। एन. ई. होरो इ काम के ‘चरित्र हनन’ के नाम देल हथि।
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कहे नाइँ हतइ जे झारखड़ेक कते-कते महान बीर आर आजादिक जोधा सबके इतिहासेक पाता ले छिगराइ दिएक जिगिस्ताक पेछाहुँ अइसने भाँड़ चेस्टा रहल हइ। सेहेले सिनगी दई, चंपा दई, कहली दई, गया मुंडाइन…आरहो हेन-तेन महान इतिहासी काम करवइया बेपटरिया बीर जनी गुलइन के सरकारी इतिहासे उचित थान नाइँ देल गेले हइ। आइझ ओखनिएक इयादें झारखंडे ‘जनी सिकार’ मनवल जाह। मेनेक ई झारखंडो लक्ष्मीबाई गुलइन के सरकार एखन ले उचित महत आर थान देल नखइ-देसेक इतिहासें ओखनिक कामेक से रकम जगजगवल नाइँ गेले हइ। हुँदे फइर बिरसा सहित आन-आन अमर कराँतिकारी बीरो सभेक इआद के भारतेक इतिहासें आयां सम्मान नाइँ देल गेले हइ।
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कुछ लोके बिरसा के अन्ध बिसुवासी रकम देखवेको कुटचाइल करल आइल हथिन। से-ले अइसन भूठ बातेक जोरगर बिरोध कइर के सही बात के जानेक चाही।
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बिरसाक महान मानबवादी ‘क्रांतिकारी’ गुनटा के धरम परचार के रकम बझा टा भूल। ई बात के सब के बुझेक चाही आर मने हुब धरेक चाही जे जेखिन के जगत कुछो नाइ देलइन, ओखनियों बिरसा तरि बहुत बड़का समाजी काम कइर सक-दृश करले आइल हथ आर आगुवो करे पारथ।
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झारखंड से कई महिलाओं ने भी अंग्रेजों के विरुद्ध आंदोलन में भाग लिया था लेकिन उनका नाम इतिहास में दर्ज नहीं है जैसे कि सिनगी दई,चंपा दई,कहली दई, गया मुंडाइन ,इन सभी ने आंदोलन में भाग लिया था लेकिन इतिहास में इनके नाम को दबा दिया गया आज उन्हीं की याद में झारखंड में जनी शिकार मनाया जाता है