भुगतान संतुलन, भुगतान संतुलन की समस्या

भुगतान संतुलन (Balance of Payments – BoP) एक देश के निवासियों और शेष विश्व के बीच एक विशिष्ट अवधि, आमतौर पर एक वर्ष, के बीच सभी आर्थिक लेनदेन का एक व्यापक रिकॉर्ड है। इसमें तीन मुख्य घटक होते हैं:

  • चालू खाता (Current Account): इसमें वस्तुओं, सेवाओं, प्राथमिक आय (जैसे मजदूरी और निवेश आय), और माध्यमिक आय (विदेशी सहायता और प्रेषण जैसे हस्तांतरण) में लेनदेन शामिल हैं। चालू खाते में अधिशेष (surplus) का मतलब है कि कोई देश इन लेनदेन पर खर्च से अधिक कमा रहा है, जबकि घाटा ( deficit) इसके विपरीत संकेत देता है।
  • पूंजी खाता (Capital Account): यह किसी देश में और बाहर पूंजी के प्रवाह का हिसाब रखता है और इसमें वित्तीय निवेश और ऋण शामिल होते हैं। यह विदेशी संपत्तियों के राष्ट्रीय स्वामित्व और घरेलू संपत्तियों के विदेशी स्वामित्व में परिवर्तन को दर्शाता है।
  • वित्तीय खाता (Financial Account): यह वित्तीय परिसंपत्तियों और देनदारियों से जुड़े लेनदेन को रिकॉर्ड करता है, जैसे कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, पोर्टफोलियो निवेश और केंद्रीय बैंक द्वारा रखी गई आरक्षित परिसंपत्तियों में परिवर्तन।

भुगतान संतुलन हमेशा संतुलित रहता है, जिसका अर्थ है कि चालू खाता, पूंजी खाता और वित्तीय खाता शेष का योग शून्य है। यदि किसी देश को एक खाते में घाटा होता है, तो उसे दूसरे खाते में अधिशेष द्वारा या भंडार का उपयोग करके वित्तपोषित किया जाना चाहिए।

भुगतान संतुलन में अधिशेष यह संकेत दे सकता है कि कोई देश आयात से अधिक निर्यात कर रहा है, विदेशी निवेश आकर्षित कर रहा है, या विदेशी संपत्ति से अधिक आय प्राप्त कर रहा है। इसके विपरीत, घाटे से पता चलता है कि कोई देश निर्यात की तुलना में अधिक आयात कर रहा है, विदेशी निवेश पर निर्भर है, या प्राप्त आय की तुलना में विदेशियों को अधिक आय दे रहा है।

सरकारें और नीति निर्माता देश के आर्थिक स्वास्थ्य का आकलन करने, कमजोरी वाले क्षेत्रों की पहचान करने और असंतुलन को दूर करने के लिए उचित नीतियां बनाने के लिए भुगतान संतुलन की बारीकी से निगरानी करते हैं।

भुगतान संतुलन (Balance of Payments) एक आर्थिक अवधारणा है जो एक देश के अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंधों को विवेचित करती है। यह देखने के लिए उपयोग की जाती है कि देश अपने अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक लेन-देनों में कितना अधिशेष राशि देय है या कितना आवश्यक है।

एक देश का भुगतान संतुलन नकदी, आवासीय लेन-देन और अन्य प्रतिभूतियों को समायोजित करता है। एक सकारात्मक भुगतान संतुलन का मतलब है कि देश विदेशी मुद्रा में अधिशेष राशि को प्राप्त कर रहा है, जबकि एक नकारात्मक भुगतान संतुलन का मतलब है कि देश विदेशी मुद्रा में राशि की कमी है और उसे ऋण लेने की आवश्यकता हो सकती है।

भुगतान संतुलन को सुधारने के लिए, देश संयुक्त रूप से उद्योगों के विकास, निर्यात प्रोत्साहन, आंतरिक वित्तीय सुधार, और अंतरराष्ट्रीय निवेश को बढ़ावा देने के लिए नीतियों को अपना सकते हैं। इसके अलावा, विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने और विदेशी व्यापार में वृद्धि करने के लिए अनुप्राणित किया जा सकता है।

भारतीय व्यापार की संरचना में भुगतान संतुलन की समस्या एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। इसके कई कारण हैं जो निम्नलिखित हो सकते हैं:

  1. बकाया की समस्या: बड़ी संख्या में कंपनियों के बकाया अकाउंट प्राप्तियों के कारण भुगतान संतुलन में कमी आ सकती है। यह निवेशकों को नुकसान पहुंचा सकता है और वित्तीय संस्थाओं को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
  2. वित्तीय निपटान की कमी: कुछ छोटे व्यवसायों के पास वित्तीय संसाधनों की कमी हो सकती है, जिससे वे अपने विपणन और बिक्री के अवसरों को सही ढंग से नहीं पूरा कर पाते हैं।
  3. वित्तीय बाजार में कठिनाई: धन प्राप्ति की स्थिति में अस्थिरता और ब्याज दरों में परिवर्तन से व्यवसायों को अपेक्षित भुगतान संतुलन तक पहुंचने में मुश्किल हो सकती है।
  4. रोकटोक और कानूनी मामले: कई बार, बकाया को वसूलने में कानूनी प्रक्रियाओं में देरी हो सकती है, जिससे व्यापारिक गतिविधियों में बाधा आ सकती है।
  5. वित्तीय प्रबंधन की कमी: छोटे व्यवसायों में वित्तीय प्रबंधन की कमी भी एक मुख्य समस्या हो सकती है, जिससे उन्हें उनके भुगतान कार्य को प्रभावी ढंग से संचालित करने में कठिनाई हो सकती है।

इन समस्याओं का सामना करने के लिए, सरकार, वित्तीय संस्थाएं और व्यवसायी विभिन्न कदम उठा रहे हैं, जैसे कि संबंधित कानूनों में सुधार करना, बकाया वसूली के लिए तेजी से कानूनी प्रक्रियाओं को सुनिश्चित करना, और छोटे व्यवसायों को वित्तीय संसाधनों और प्रशिक्षण की सहायता प्रदान करना।