झारखण्ड की कृषि (Agriculture OF Jharkhand )

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  • झारखण्ड में कृषि कार्य करने लायक भूमि 
    • 38 लाख हेक्टेयर भूमि  (कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 47.69% ) है। 
    • 23721.14 वर्ग किलोमीटर
    • लेकिन कुल भूमि के 23%  भाग पर कृषि कार्य किया जाता है।
    • आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2022-23 के अनुसर राज्य में शुद्ध  बोये गया क्षेत्र 17% है
    • राज्य में शुद्ध बोये गये कृषि क्षेत्र के मात्र 12.77% पर ही सिंचाई सुविधा उपलब्ध है।
  • कृषि क्षेत्र से जुडा जनसंख्या  –कुल जनसंख्या का 75% (बजट 2019-20) 
  • झारखण्ड की सर्वप्रमुख फसल 
    1. धान (पहली प्रमुख फसल)- कुल बोये गये क्षेत्र के 60% हिस्से पर
    2. गेहूँ 
    3. मक्का
  • राज्य में सिंचाई का सर्वप्रमुख स्रोत  – कुआँ 
  • राज्य में लगभग 14.79% परती भूमि पायी जाती है। 
  • जोतों का औसत आकार –  1.17 हेक्टेयर प्रति व्यक्ति 
  • झारखण्ड में जूट की ही भांति रेशेदार फसल के रूप में मेस्टा का उत्पादन किया जाता है।

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IIAR) ,  हजारीबाग 

  • स्थापना – भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (ICAR), नई दिल्ली द्वारा

झारखण्ड की फसलें

  1. खरीफ फसल
  2. रबी फसल
  3. जायद  फसल : झारखण्ड में नही पाया जाता है।
  4. गर्म फसल : मक्का,मूंगफली,सब्जी

खरीफ फसल 

  • बुआई – मानसून के आगमन के समय अर्थात् जून-जुलाई में 
  • कटाई – मानसून की समाप्ति पर अर्थात् सितम्बर-अक्टूबर में 
  • प्रमुख खरीफ फसल –  धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, मूंग, मूंगफली, गन्ना आदि 
  • खरीफ फसल को झारखण्ड में दो फसलों में बांटा जाता है 
    1. भदई  खरीफ फसल
    2. अगहनी खरीफ फसल

भदई फसल (20% कृषिगत भूमि में)

  • बुआई –  वैशाख-जेठ (मई-जून) में 
  • कटाई – भादो (अगस्त-सितंबर) में 

अगहनी फसल  (70% कृषिगत भूमि में)

  • बुआई – जेठ-आषाढ़ (जून) में 
  • कटाई – अगहन (दिसम्बर) में 

 

 रबी फसल (कुल कृषिगत भूमि के लगभग 10% भाग पर)

  • ठंडे मौसम की फसल या वैशाखी फसल 
  • बुआई – अक्टूबर-नवंबर में 
  • कटाई – मार्च में
  • प्रमुख रबी फसल – गेहूँ, जौ, चना, तिलहन आदि 

 

झारखण्ड की प्रमुख फसलें

फसल का नाम

उत्पादन क्षेत्र

धान

  • सिंहभूम, राँची, गुमला, दुमका

मक्का

गेहूँ

  • 1.पलामू, 2.हजारीबाग, 3.गोड्डा
  • उत्पादन की दृष्टि से प्रथम स्थान – पलामू

गन्ना(नकदी फसल)

मडुआ (जायद फसल)

जौ

ज्वार-बाजरा

दलहन-तिलहन

  • पलामू में सर्वाधिक उत्पादन
  • (सरसों का सर्वाधिक उत्पादन)

झारखण्ड का कृषि प्रदेश

कृषि प्रदेश

संबंधित जिला

1

उत्तरी कोयल घाटी के कृषि प्रदेश

गढ़वा, पलामू, लातेहार तथा चतरा

2

दामोदर घाटी के कृषि प्रदेश

पूर्वी लातेहार, दक्षिणी चतरा, दक्षिणी हजारीबाग, बोकारो तथा धनबाद

3

निचली स्वर्णरेखा घाटी के कृषि प्रदेश

पूर्वी सिंहभूम तथा सरायकेला का पूर्वी भाग

4

हजारीबाग पठार के कृषि प्रदेश

चतरा, हजारीबाग, गिरिडीह तथा कोडरमा

5

राजमहल पहाड़ी व सीमावर्ती क्षेत्रों के कृषि प्रदेश

दक्षिणी साहेबगंज, दक्षिणी पाकुड़, गोड्डा, दुमका, देवघर तथा जामताड़ा

6

राँची पठार का कृषि प्रदेश

राँची, पूर्वी लोहरदगा, गुमला एवं सिमडेगा

7

चाईबासा के मैदान व समीपवर्ती उच्च भूमि का कृषि प्रदेश

पश्चिमी सिंहभूम तथा पूर्वी सरायकेला

8

उत्तरी-पूर्वी सीमांत का कृषि प्रदेश

उत्तरी गोड्डा तथा साहेबगंज का उत्तरी-पूर्वी भाग

 

राज्य में कृषि संबंधी महत्वपूर्ण आँकड़े

(राज्य आर्थिक समीक्षा, 2017-18)

  • कुल कृषि योग्य भूमि

47.67% 

  • वर्तमान परती भूमि

11.12% 

  • शुद्ध बोया गया क्षेत्रफल

32.0%

  • औसत प्रति व्यक्ति जोत

1.17 हेक्टेयर

  • 2016-17 में सकल राज्य मूल्य वृद्धि में  कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रक का योगदान

14.97%

 

राज्य में कृषि संबंधी महत्वपूर्ण तथ्य 

  • राज्य की प्रमुख फसल- धान 
  • स्थानीय कृषि का नाम- खल्लु कृषि
  • कुल सिंचित भूमि- 3 लाख हेक्टेयर (12.73%) 
  • कुल कृषि योग्य भूमि- 38 लाख हेक्टेयर (47.69%)
  • सिंचाई के साधन- कुआँ, तालाब, नहर, नलकूप 

 

झारखण्ड में खाद्य सुरक्षा 

  • वर्तमान समय में झारखण्ड  में कुल गोदाम की संख्या –  375 (आर्थिक समीक्षा 2019-20 के अनुसार)
  • झारखण्ड  में सर्वाधिक गोदाम  – गढ़वा (30) 
  • झारखण्ड  में  सर्वाधिक पीडीएस डीलर –  राँची जिला में 
  • झारखण्ड  में  सबसे कम पीडीएस डीलर –  लोहरदगा में 
  • झारखण्ड  सरकार के पीडीएस प्रणाली से जुडे सचनाओं की जानकारी उपलब्ध कराने हेतु ‘आहार’ पोर्टल है।

 

  • कृषि विभाग के अनुसार झारखंड 3  कृषि जलवायु उप क्षेत्र में विभाजित है
    • मध्य और उत्तर पूर्वी पठार
    • पश्चिमी पठार
    • दक्षिण पूर्वी पठार
  • झारखंड राज्य को 3 कृषि मौसम क्षेत्रों में बांटा गया है . 
    1. खरीफ 
    2. रबी 
    3. जायद  
  • भारतीय कृषि में जलवायु परिवर्तन नॉलेज नेटवर्क (CCKNIA) महाराष्ट्र, झारखंड और उड़ीसा तीन राज्यों में वर्ष 2013 में शुरू किया गया था