झारखण्ड के लोकगीत

 

झारखण्ड के लोकगीत प्रमुख लोकगीत व उनके गाये जाने के अवसर 

प्रमुख लोकगीत

उनके गाये जाने के अवसर

झंझाइन 

  • जन्म संबंधी संस्कार के अवसर पर 
  • स्त्रियों द्वारा गाया जाता है। 

डइड़धरा

  • वर्षा ऋतु में देवस्थानों में गाया जाता है। 

प्रातकली 

  • इसका प्रदर्शन प्रातः काल किया जाता है।

अधरतिया 

  • इसका प्रदर्शन मध्यरात्रि में किया जाता है। 

कजली

  • इसका गायन वर्षा ऋतु में किया जाता है। 
  • टुनमुनिया, बारहमास तथा झूलागीत स्थानीय संगीत के प्रकार हैं जो कजली की ही श्रेणी में आते हैं। 

औंदी 

  • यह विवाह के समय गाया जाता है।

अंगनई 

  • यह स्त्रियों द्वारा गाया जाता है। 

झूमर

  • इस गीत को विभिन्न त्योहारों (जैसे – जितिया, सोहराय, करमा आदि) केअवसर पर झूमर राग में गाया जाता है।

उदासी तथा 

पावस

  • यह नृत्यहीन गीत है। 

 

जनजाति

लोकगीत

संथाल

  • दोड (विवाह संबंधी लोकगीत)
  • विर सेरेन (जंगल के लोकगीत)
  •  सोहराय, लागेड़े, मिनसार, बाहा, दसाय, पतवार, रिजा, डाटा, डाहार, मातवार, भिनसार, गोलवारी, धुरूमजाक, रिजो, झिका आदि 

मुण्डा

  • जदुर (सरहुल/बाहा पर्व से संबंधित लोकगीत) 
  • गेना व ओर जदुर (जदुर लोकगीत के पूरक) 
  • अडन्दी (विवाह संबंधी लोकगीत
  • जापी (शिकार संबंधी लोकगीत) 
  • जरगा, करमा 

हो 

  • वा (बसंत लोकगीत) 
  • हैरो (धान की बुआई के समय गाया जाने वाला लोकगीत)
  • नोमनामा (नया अन्न खाने के अवसर पर गाया जाने वाला लोकगीत) 

उराव

  • सरहुल (बंसत लोकगीत)
  • जतरा (सरहुल के बाद गाया जाने वाला लोकगीत) 
  •  करमा (जतरा के बाद गाया जाने वाला लोकगीत)
  • धुरिया, असाढ़ी, जदुरा, मठा आदि 

 

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