ऊर्जा संसाधन (energy resources)
- संसाधन जिनका उपयोग ऊर्जा उत्पन्न करने के लिये किया जाता है, जैसे- कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस आदि .
ऊर्जा संसाधनों का वर्गीकरण (Classification of Energy Resources)
ऊर्जा स्रोतों का वर्गीकरण
- परंपरागत प्रयोग के आधार पर(based on traditional use)
- परंपरागत ईंधन स्रोत (conventional fuel source)
- गैर-परंपरागत ईंधन स्रोत (non-conventional fuel sources)
- सतत् उपलब्धता के आधार पर(on continuous availability basis)
- उत्पत्ति के आधार पर (by origin)
- परंपरागत प्रयोग के आधार पर ऊर्जा संसाधनों को दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है.
- पारंपरिक ऊर्जा के स्रोत
- गैर-पारंपरिक ऊर्जा के स्रोत
पारंपरिक ऊर्जा के स्रोत (Sources of Conventional Energy)
- ऊर्जा प्राप्ति के ऐसे स्रोत, जिसका उपयोग मानव पारंपरिक तौर पर से ही करता आ रहा है, जैसे- कोयला, पेट्रोलियम, लकड़ी, चारकोल, सूखा गोबर, खनिज तेल, प्राकृतिक गैस आदि।
गैर-पारंपरिक ऊर्जा के स्रोत (Sources of Non-Conventional Energy)
- ऊर्जा स्रोतों की मात्रा सीमित है, अतः नवाचारों के द्वारा(through innovations) कुछ ऐसे ऊर्जा स्रोतों को विकसित किया गया है (या किया जा रहा है), जिनका पारंपरिक रूप से उपयोग नहीं किया गया है।
- जैसे- सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा, बायोगैस, परमाणु ऊर्जा, शेल गैस आदि।
सतत् उपलब्धता के आधार पर भी ऊर्जा संसाधनों को दो वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है-
- (i) नवीकरणीय ऊर्जा
- (ii) अनवीकरणीय ऊर्जा।
नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy)
- यह कभी भी समाप्त नहीं हो सकती है
- इसे लगातार नवीनीकृत किया जाता है।
- जैसे- सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा आदि।
- भारत सरकार ने 2022 के अंत तक 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य निर्धारित किया है।
- पवन ऊर्जा – 60 गीगावाट
- सौर ऊर्जा – 100 गीगावाट
- बायोमास ऊर्जा – 10 गीगावाट
- लघु जलविद्युत परियोजनाओं – 5 गीगावॉट
भारत में स्थापित ऊर्जा स्रोत (क्षमता के अनुसार)
विद्युत ऊर्जा के स्रोत
- कोयला >जलविद्युत >नवीकरणीय ऊर्जा >प्राकृतिक गैस >परमाणु >तेल
अनवीकरणीय ऊर्जा (Non-Renewable Energy)
- यह कभी भी समाप्त हो सकती है
- इसे समाप्त होने के बाद नवीनीकृत नहीं किया जाता है।
- उपलब्धता सीमित हैं
- जैसे- कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, शेल गैस, परमाणु ऊर्जा आदि।
कोयला (Coal)
- कोयला वनस्पतियों का कार्बनीकृत अवशेष (हाइड्रोकार्बन से निर्मित शैल) होता है।
- भूगर्भ में लाखों-करोड़ों वर्षों से दबे वनस्पतियों पर ‘ताप एवं दाब’ के कारण धीरे-धीरे कोयले का विकास होता है।
- उपयोग – ईंधन के रूप में
- इसमें कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, फॉस्फोरस, सल्फर आदि पाया जाता है।
- कोयला को ‘उद्योगों की जननी’ कहा जाता है।
- भारत का सबसे बड़ा कोयला क्षेत्र ऊपरी दामोदर घाटी में स्थित है।
- इस क्षेत्र से देश का लगभग 35 प्रतिशत कोयला प्राप्त होता है।
विकासक्रम के आधार पर कोयले को मुख्यतः 4 प्रकारों/रूपों में विभक्त किया जाता है
- (i) पीट (Peat Coal)
- (ii) लिग्नाइट (Lignite Coal)
- (iii) बिटुमिनस (Bituminous Coal)
- (iv) एन्थ्रेसाइट (anthracite coal)
पीट कोयला
- सबसे कम गुणवत्ता वाला कोयला
- कार्बन का अंश 40 प्रतिशत से कम
- नमी की मात्रा सर्वाधिक
- दहन करने पर अत्यधिक धुआँ व राख निकलता है।
लिग्नाइट कोयला
- निम्न गुणवत्ता
- भूरा कोयला के नाम से भी जाना जाता है
- कार्बन की मात्रा – लगभग 40-5 5% तक
- लिग्नाइट कोयले के भंडार एवं उत्पादन में तमिलनाडु का प्रथम स्थान है
- भारत में तमिलनाडु का नेवेली क्षेत्र में लिग्नाइट कोयला पाया जाता है
बिटुमिनस कोयला
- मध्यम श्रेणी का कोयला
- भारत में पाया जाने वाला अधिकतर कोयला (कुल भंडार का लगभग 80 प्रतिशत) इसी श्रेणी का है
- गैर-कोकिंग प्रकारका कोयला
- इसीलिए भारत को कोकिंग कोयले के आयात पर निर्भर रहना पड़ता है।
- कार्बन की मात्रा – लगभग 55-80 प्रतिशत
- गोंडवाना काल का कोयला बिटुमिनस प्रकार का है।
एन्थ्रेसाइट कोयला(anthracite coal)
- सर्वोत्तम किस्म/श्रेणी का कोयला
- कार्बन की मात्रा – लगभग 80-95 प्रतिशत
- एन्थ्रेसाइट कोयला जम्मू-कश्मीर के ‘रियासी क्षेत्र’ में पाया जाता है।
भारत में कोयला शैल क्रम का विकास
- भारत में कोयले का विकास दो प्रमुख भूगर्भिक शैल क्रमों में हुआ है
- गोंडवानायुगीन शैल क्रम
- टर्शियरीयुगीन शैल क्रम
गोंडवानायुगीन शैल क्रम
- यह लगभग 250 मिलियन वर्ष पुराना शैल क्रम है।
- इसमें उच्च कोटि के कोयले की प्राप्ति होती है ।
- भारत में अधिकांश कोयला (लगभग 90 प्रतिशत से अधिक) गोंडवाना क्रम की शैलों से प्राप्त होता है।
- गोंडवानायुगीन कोयला मुख्यतः बिटुमिनस प्रकार का है।
- इसे ‘धातुशोधन कोयला’ भी कहते हैं क्योंकि इसमें सल्फर की मात्रा अत्यंत कम होती है।
- इसके प्रमुख क्षेत्र- दामोदर घाटी, गोदावरी घाटी, सोन नदी घाटी, महानदी घाटी तथा वर्धा नदी घाटी हैं।
टर्शियरीयुगीन शैल क्रम
- यह लगभग 50 मिलियन वर्ष पुराना शैल क्रम है।
- इस क्रम के कोयले में राख एवं सल्फर की मात्रा अधिक तथा तापोत्पादक शक्ति कम होती है, फलतः इनका उपयोग उद्योगों में नहीं होता है।
- टर्शियरीयुगीन कोयले के प्रमुख क्षेत्र- उत्तर-पूर्वी राज्यों में मुख्यतः मेघालय, असम, अरुणाचल प्रदेश व नागालैंड हैं।
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भारत में कोयला उत्पादक प्रमुख क्षेत्र
दामोदर नदी घाटी
- इसका विस्तार मख्यतः झारखंड व पश्चिम बंगाल में है।
- यह भारत का सबसे बड़ा कोयला क्षेत्र है।
- झारखंड में चंद्रपुरा, झरिया, बोकारो, गिरिडीह, करनपुरा, रामगढ़ आदि प्रमुख क्षेत्र हैं, जबकि पश्चिम बंगाल में रानीगंज है।
- झारखंड का ‘झरिया’ भारत का सबसे बड़ा कोयला खनन क्षेत्र है।
सोन नदी घाटी
- इसमें अधिकांशतः मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश के क्षेत्र को शामिल किया जाता है।
- अमुख क्षेत्रों में मध्य प्रदेश का सिंगरौली, सोहागपुर व उमरिया आदि हैं।
महानदी घाटी
- प्रमुख विस्तार छत्तीसगढ़ व ओडिशा राज्यों में है।
- प्रमुख क्षेत्रों में छत्तीसगढ़ के कोरबा, विश्रामपुर, चिरमिरी तथा ओडिशा के तालचेर, सुंदरगढ़ व संबलपुर को शामिल किया जाता है।
गोदावरी घाटी
- इस कोयला उत्पादक क्षेत्र का अधिकांश विस्तार तेलंगाना में हुआ है।
- प्रमुख क्षेत्र- सिंगरेनी, वारंगल, खम्मम व करीमनगर आदि हैं।
इन क्षेत्रों के अलावा वर्धा घाटी (चंद्रपुर), सतपुड़ा पर्वतीय क्षेत्र (नरसिंहपुर) एवं राजमहल पर्वतीय क्षेत्र (लालमटिया) से भी कोयला प्राप्त किया जाता है।
खनिज तेल एवं प्राकृतिक गैस (Mineral Oil and Natural Gas)
- खनिज तेल एवं प्राकृतिक गैस जीवाश्मयुक्त अवसादी शैलों में पाया जाता है। जिनका निर्माण टर्शियरी युग में हुआ था।
- भारत में सर्वप्रथम खनिज तेल का कुआँ ऊपरी असम के माकूम क्षेत्र 1867 में खोदा गया जबकि डिगबोई में 1889 में खुदाई की गई।
- भारत में तेल अन्वेषण का कार्य करने वाली कंपनी
- ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL )
- मुख्यालय: नोएडा
- स्थापित: 18 फरवरी 1959
- ओएनजीसी -Oil and Natural Gas Corporation
- मुख्यालय: नई दिल्ली
- स्थापित: 14 अगस्त 1956
- ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL )
- देश में प्राकृतिक गैस प्रसंस्करण, संप्रेषण तथा वितरण का कार्य गेल (इंडिया) लिमिटेड द्वारा किया जाता है।
- GAIL – Gas Authority of India Limited.
- मुख्यालय: नई दिल्ली
- स्थापित: 1984
- CEO: Shri Manoj Jain
- GAIL – Gas Authority of India Limited.
भारत में तेल परिशोधनशाला(Oil Refineries in india)
- भारत की पहली तेलशोधन इकाई – डिगबोई क्षेत्र,असम में , 1901 में स्थापित
- स्वतंत्र भारत की पहली तेलशोधनशाला – 1954 में, मुंबई (महाराष्ट्र) में स्थापित
प्राकृतिक गैस क्षेत्र
1. मुंबई हाई 2. गुजरात 3. असम 4. आंध्र प्रदेश 5. तमिलनाडु
संपीडित प्राकृतिक गैस (Compressed Natural Gas-CNG)
- प्राकृतिक गैस को ही लगभग 200-250 किग्रा./सेमी2 के दबाव पर संपीडित कर सीएनजी बनाया जाता है।
- यह लगभग 90 प्रतिशत मीथेन युक्त हाइड्रोकार्बन का मिश्रण होता है।
- सीएनजी हरित ईंधन है.
- सीसा-मुक्त
- अन्य पेट्रोलियम संसाधनों की अपेक्षा कम प्रदूषण
परमाणु ऊर्जा (Nuclear Energy)
- प्रमुख परमाणु खनिज के स्रोत – यूरेनियम, थोरियम, बेरिलियम, मोनाज़ाइट, जिरकोनियम, इल्मेनाइट, एंटिमनी, ग्रेफाइट, लीथियम आदि
- भारत में परमाणु शक्ति के जनक – डॉ. होमी जहाँगीर भाभा
- 1948 में परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना
- 1954 में परमाण ऊर्जा विभाग की स्थापना
- भारत में धारवाड़ शैलों में यूरेनियम के निक्षेप पाए गए हैं।
- भारत में थोरियम केरल की मोनाज़ाइट रेत, राजस्थान के बाँसवाड़ा इत्यादि क्षेत्रों में पाया जाता है।
भारत में प्रमुख यूरेनियम क्षेत्र
- झारखंड : सिंहभूम जिला (जादूगोड़ा, भाटिन, नरवा पहाड़, तुरमडीह)
- मेघालय : डोमियासियात
- राजस्थान : रोहिल-घटेश्वर (सीकर जिला), उदयपुर, अलवर, झुंझुनू
- आंध्र प्रदेश : कुडप्पा, नेल्लोर जिला,
- तेलंगाना : लंबापुर (नालगोंडा)
- कर्नाटक : गुलबर्गा, गोगी ।
- हिमाचल प्रदेश : कुल्लू ज़िला
- उत्तराखंड : देहरादून, चमोली
- छत्तीसगढ़ : दुर्ग . महाराष्ट्र : मोगरा
- उत्तर प्रदेश : ललितपुर
भारत में प्रमुख थोरियम क्षेत्र
- केरलः कोल्लम
- RJ – भीलवाडा
- तमिलनाडुः कन्याकुमारी, मदुरै
- तेलंगाना करीमनगर,नालगोंडा
- आंध्र प्रदेशः विशाखापत्तनम
- ओडिशा तट के मोनाज़ाइट बालू में
- झारखंडः हज़ारीबाग
- पश्चिम बंगाल
भारत में प्रमुख बेरिलियम क्षेत्र
- झारखंड, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, सिक्किम आदि।
भारत में प्रमुख ग्रेफाइट क्षेत्र
- कालाहांडी, गंजाम (ओडिशा), भागलपुर (बिहार), विशाखापत्तनम (आध्र प्रदेश), वारंगल (तेलंगाना), तिरुनलवेली (तमिलनाडु), जयपुर, अजमेर (राजस्थान), अल्मोड़ा (उत्तराखंड), मैसूर (कर्नाटक)।
भारत में प्रमुख लीथियम क्षेत्र
प्रमुख परमाणवीय खनिज एवं उनकी विशेषताएँ
- भारत थोरियम के दृष्टिकोण से संपन्न देश है।
- थोरियम के अंतर्गत थोरियानाइट, एलैनाइट व मोनाज़ाइट खनिज को शामिल किया जाता है।
- थोरियम तमिलनाडु के मदुरै ज़िले, तेलंगाना के करीमनगर व नालगोंडा से, झारखंड के हज़ारीबाग से तथा राजस्थान के भीलवाड़ा क्षेत्र से प्राप्त किया जाता है।
मोनाज़ाइट
- थोरियम मोनाज़ाइट रेत से प्राप्त किया जाता है।
- यह मुख्यतः ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु तथा केरल के तटवर्ती भागों में मिलता है।
यूरेनियम
- काले रंग के इस परमाणवीय खनिज की प्राप्ति आर्कियन एवं धारवाड़ शैलों से होती है।
- यूरेनियम को ‘मेटल ऑफ होप’ के नाम से भी जाना जाता है।
- झारखंड का जादूगोड़ा क्षेत्र यूरेनियम के उत्पादन हेतु प्रसिद्ध है। इसके अतिरिक्त राजस्थान के भीलवाड़ा, उदयपुर, बूंदी से भी यूरेनियम की प्राप्ति होती है।
- प्रमुख अयस्क-पिचब्लेंड, थोरियानाइट व सॉमर स्काइट।
- इसकी प्राप्ति आग्नेय चट्टानों में पाई जाने वाली बेरिल अयस्क से होती है।
- इसका उपयोग मिश्र धातुओं के निर्माण, फ्लूरोसेंट ट्यूब व विस्फोटक आदि बनाने में होता है।
- इसकी प्राप्ति राजस्थान, झारखंड, तमिलनाडु आदि राज्यों से होती है।
जिरकोनियम
- यह केरल की बलुई मृदा में जिरकोनियम अयस्क के रूप में प्राप्त किया जाता है।
- केरल, तमिलनाडु व ओडिशा इसके प्रमुख उत्पादक राज्य हैं।
- इसकी प्राप्ति स्टिबनाइट नामक खनिज से होती है।
- इसके मुख्य उत्पादक राज्य हिमाचल प्रदेश तथा मध्य प्रदेश हैं।
- इसे ‘सुरमा’ भी कहा जाता है।
मॉलिब्डेनम
- इस मुलायम भूरे रंग के खनिज का प्रयोग विशेष प्रकार के इस्पात बनाने में किया जाता है।
- इसकी प्राप्ति आंध्र प्रदेश के मेडक जिले, तमिलनाडु के कन्याकुमारी व मदुरै जिले (सिरुमलाई पहाड़ी), मेघालय के चेरापूंजी व राजस्थान के किशनगढ़ से होती है।
सौर ऊर्जा (Solar Energy)
- सूर्य से प्राप्त होने वाली विकिरण ऊर्जा
- वर्तमान में दो तकनीकी माध्यमों की सहायता से सौर ऊर्जा को उपयोग में लाया जा रहा है
- सौर तापीय तकनीक (Solar Thermal Technique):
- इस तकनीक की सहायता से सौर ऊर्जा को ताप ऊर्जा में बदला जाता है
- सौर फोटोवोल्टिक तकनीक (Solar Photovoltaic Technique):
- इस तकनीक की सहायता से सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है
- सौर तापीय तकनीक (Solar Thermal Technique):
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उत्तर प्रदेश का रामपुरा गाँव (झाँसी) अपना ‘सौर ऊर्जा प्लांट’ लगाने वाला भारत का प्रथम गाँव है।
- सर्वाधिक सौर ऊर्जा उत्पादक राज्य
नोटः भारत के गुजरात में स्थित ‘चरंका सौर पार्क’ अमेरिका के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा फोटोवोल्टिक पावर स्टेशन है।
- सौर तालाब परियोजना ‘भुज’ (गुजरात) में स्थापित किया गया है।
- हरियाणा के ‘ग्वालपहाड़ी’ में भारत एवं फ्रांस के सहयोग से ‘सौर ऊर्जा अनुसंधान केंद्र’ की स्थापना की गई है तथा राजस्थान के जोधपुर जिले में एक ‘सौर ताप ऊर्जा केंद्र’ की स्थापना की गई है।
- राष्ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन के अंतर्गत 2022 तक सौर ऊर्जा से 100 गीगावाट विद्युत उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।
- प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश के रीवा में स्थापित 750 मेगावाट की ‘रीवा सौर परियोजना’ (Rewa Solar Project) को राष्ट्र को समर्पित किया।
‘सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया’ (Solar Energy Corporation of India- SECI)
भूतापीय ऊर्जा (Geothermal Energy)
- वह ऊर्जा है जिसे पृथ्वी में संग्रहित ताप से निकाला जाता है।
- पृथ्वी की आंतरिक परतों में रेडियोधर्मी तत्त्वों के विघटन व चट्टानी संस्तरों के दबाव से उत्पन्न होती है
- यह एक पर्यावरण हितैषी ऊर्जा संसाधन है।
भारत में भूतापीय ऊर्जा संबंधी क्षेत्र
- जम्मू-कश्मीर : पुगा घाटी (लद्दाख)
- हिमाचल प्रदेश : मणिकरण, ज्वालामुखी
- उत्तराखंड : तपोवन
- झारखंड : सूरजकुंड (हज़ारीबाग)
- छत्तीसगढ़ : तातापानी (बलरामपुर)
- ओडिशा : तप्तपानी
- मध्य प्रदेश : अनहोनी
- पश्चिमी तट : महाराष्ट्र, गुजरात
- नर्मदा एवं सोन घाटी के क्षेत्र
- दामोदर घाटी के क्षेत्र
पवन ऊर्जा (Wind Energy)
- बहती वायु से उत्पन्न की गई ऊर्जा को पवन ऊर्जा कहते हैं।
- वायु एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है।
- पवन ऊर्जा बनाने के लिये पवन चक्कियों को लगाया जाता है, जिनके द्वारा वायु की गतिज ऊर्जा, यान्त्रिक उर्जा में परिवर्तित हो जाती है। इस यान्त्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है।
वायु की गतिज ऊर्जा>>यान्त्रिक उर्जा>> विद्युत ऊर्जा
- गुजरात के कच्छ क्षेत्र में 1,100 मेगावाट की पवन ऊर्जा इकाई स्थापित की जा रही है। यह एशिया की सबसे बड़ी पवन ऊर्जा परियोजना है।
- राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान (NIWE) चेन्नई में स्थित है।
- सर्वाधिक पवन ऊर्जा उत्पादक देश
- सर्वाधिक पवन ऊर्जा उत्पादक राज्य
समुद्र तापीय ऊर्जा रूपांतरण (OTEC)
- समुद्री सतह के जल व गहराई के जल के तापमानों के मध्य भिन्नता का उपयोग OTEC के माध्यम से ऊर्जा प्राप्ति में किया जाता है।
- यह एक नवीकरणीय ऊर्जा है ।
- लक्षद्वीप के कवारत्ती में इसका सफलतापूर्वक प्रयोग किया गया है।
ज्वारीय ऊर्जा (Tidal Energy)
- समुद्र में उठने वाले ज्वार-भाटा की सहायता से तटीय क्षेत्रों में विद्युत उत्पादन किया जाता है।
- यह एक नवीकरणीय ऊर्जा है ।
- भारत में खंभात की खाड़ी, कच्छ की खाड़ी एवं हुगली के ज्वारनदमुखी क्षेत्रों में ही ज्वारीय ऊर्जा का उपयोग किया जा सकता है।
बायोमास या जैव ऊर्जा (Biomass or Bio-Energy)
- जैविक उत्पादों व अपशिष्ट पदार्थों से प्राप्त ऊर्जा, जैसे-
- कृषि अवशेष (धान की भूसी, गन्ने की खोई, फसलों के अवशेष इत्यादि),
- प्राकृतिक वनस्पति, जैसे-जट्रोफा, करकास, करांजा
- शहरी कूड़े-कचरे व अपशिष्ट पदार्थ
- जानवरों के मल-मूत्र
- जट्रोफा (रतनजोत) की सहायता से बायोडीज़ल का निर्माण किया जाता है।
- देश का पहला बायोडीज़ल संयंत्र आंध्र प्रदेश के ‘काकीनाडा’ में लगाया गया है।
- पंजाब के ‘जलखेरी‘ में धान की भूसी से विद्युत उत्पन्न करने वाले संयंत्र को लगाया गया है।
- शहरी कचरे से बिजली उत्पन्न करने के लिये दिल्ली के ओखला एवं तिमारपुर में संयंत्र लगाए गए हैं।
- जैव ऊर्जा उत्पादन में भारत के अग्रणी राज्य
जलविद्युत ऊर्जा (Hydroelectric Energy)
- बांध बनाकर बहते हुए पानी को रोककर, फिर ऊँचाई से टरबाइन पर गिराकर विद्युत ऊर्जा प्राप्त की जाती है।
- भारत में प्रथम जलविद्युत संयंत्र की स्थापना – दार्जिलिंग (सिद्रापोंग) में 1897 में
- 1902 में – शिवसमुद्रम जलविद्युत गृह की स्थापना (कावेरी नदी पर)
नेशनल हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन (NHPC)
- स्थापना – 1975 में
- भारत में जल ऊर्जा उत्पादन में अग्रणी राज्य
शेल गैस (Shale Gas)
- प्राकृतिक गैस का एक गैर-परंपरागत रूप
- यह नवीकरणीय नहीं है।
- यह चट्टानी संस्तरों के मध्य फँसी हुई (Trapped) पाई जाती है।
- इसके निष्कर्षण के लिये चट्टानों में ड्रिलिंग कर तेज दबाव से पानी की धार छोड़ी जाती है, जिससे चट्टानों में फँसे हाइड्रेट के अणु मुक्त हो जाते हैं।
- भारत में शेल गैस के मुख्य क्षेत्र
हाइड्रोजन ऊर्जा (Hydrogen Energy)
- ‘भविष्य का ईंधन’
- यह नवीकरणीय है।
हाइड्रोजन के प्रकारः
- ग्रीन हाइड्रोजन अक्षय ऊर्जा का उपयोग करके जल के इलेक्ट्रोलिसिस द्वारा निर्मित होता है और इसमें कार्बन फुटप्रिंट कम होता है।
- ब्राउन हाइड्रोजनः ब्राउन हाइड्रोजन का उत्पादन कोयले के प्रयोग से किया जाता है।
- ग्रे हाइड्रोजनः ग्रे हाइड्रोजन प्राकृतिक गैस से उत्पन्न होता है।
- ब्लू हाइड्रोजनः प्राकृतिक गैस से उत्पन्न होता है जहाँ कार्बन कैप्चर और स्टोरेज का उपयोग करके उत्सर्जन को कैप्चर किया जाता है।
‘राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा बोर्ड‘ (‘National Hydrogen Energy Board’)
- गठन –
भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (IREDA)Indian Renewable Energy Development Agency (IREDA)
- अक्षय ऊर्जा और ऊर्जा दक्षता परियोजनाओं के लिये ऋण प्रदान करने हेतु एक गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान है।
- मुख्यालय: नई दिल्ली
- स्थापित: 11 मार्च 1987
सौर सुजला योजना’
- 1 नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के किसानों को सस्ते दर पर सोलर पंप मुहैया कराने हेतु ‘सौर सुजला योजना’ (Saur Sujala Yojana) का नया रायपुर (छत्तीसगढ़) में शुभारंभ किया।
- छत्तीसगढ़ इस योजना को लागू करने वाला देश का पहला राज्य होगा।
- सौर ऊर्जा से संचालित होने वाला विश्व का पहला हवाई अड्डा
- कोच्चि अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (केरल)
- यूरेनियम अयस्क का निष्कर्षण
- हाइडोजन विज़न-2025
- पेट्रोलियम उत्पाद के भण्डारण से संबंधित
यूरेनियम कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (UCIL-Uranium Corporation of India Limited)
- स्थापना – 4 अक्टूबर 1967
- यह परमाणु ऊर्जा विभाग के तहत एक सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है।
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance)
- मुख्यालय – ग्वाल पहाड़ी (गुरुग्राम) ,भारत
- स्थापित: 30 नवंबर 2015
- महानिदेशक: अजय माथुर
- सदस्य देशो की संख्या –121
- ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोलर एनर्जी’ ग्वाल पहाड़ी,गुरुग्राम में स्थित है।