नेहरू रिपोर्ट (1928)
Nehru Report 1928
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साइमन आयोग की नियुक्ति के समय ही भारत सचिव लॉर्ड बर्केनहेड ने भारतीयों के समक्ष एक चुनौती रखी कि वे एक ऐसा संविधान बनाकर तैयार करें, जो सामान्यतः भारत के सभी लोगों को मान्य हो।
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भारतीय नेताओं द्वारा इस चुनौती को स्वीकार करते हुए फरवरी 1928 में दिल्लीमें फिर पुणे में में आयोजित प्रथम सर्वदलीय सम्मेलन में प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें एक ऐसे संविधान निर्माण की योजना थी, जिसमें पूर्ण उत्तरदायी सरकार की व्यवस्था होगी।
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मई 1928 में बंबई में हुए दूसरे सर्वदलीय सम्मेलन में मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में एक आठ सदस्यीय समिति की स्थापना की गई।
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रिपोर्ट – अगस्त 1928
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इस रिपोर्ट में भारत के नए डोमेनियन संविधान का खाका था।
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लखनऊ में डॉ अंसारी की अध्यक्षता में फिर से सम्मेलन हुआ जिसमें नेहरू रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया गया
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रिपोर्ट में की गई सिफारिशें इस प्रकार थीं
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भारत को डोमेनियन (अधिराज्य)/पूर्ण औपनिवेशिक स्वराज का दर्जा।
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भाषा के आधार पर प्रांतों का गठन
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सिंध को बंबई से पृथक् कर एक पृथक् प्रांत
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उत्तर-पश्चिमी सीमा प्रांत को ब्रिटिश भारत के अन्य प्रांतों क समान वैधानिक स्तर प्रदान किया जाए।
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देशी राज्यों के अधिकारों एवं विशेषाधिकारों को सुनिश्चित किया जाए।
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भारत में एक प्रतिरक्षा समिति,उच्चतम न्यायालय तथा लोक सेवा आयोग की स्थापना की जाए
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केंद्र और प्रांतों में संघीय आधार पर शक्तियों का विभाजन किया जाए, किंतु अवशिष्ट शक्तियाँ केंद्र को दी जाए।
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भारत एक संघ होगा, जिसके नियंत्रण में केंद्र में द्विसदनीय विधानमंडल होगा, कार्यपालिका को विधानमंडल के प्रति उत्तरदायी बनाया जाए
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पूर्ण धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना राजनीति से धर्म का पृथक्करण
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सार्वजनिक निर्वाचन प्रणाली को समाप्त कर संयुक्त निर्वाचन पद्धति की व्यवस्था की जाए एवं केंद्र एवं उन राज्यों में जहां मुसलमान अल्पसंख्यक हैं उनके हितों की रक्षा के लिए कुछ स्थानों को आरक्षित किया जाए ,लेकिन यह व्यवस्था उन प्रांतों में नहीं लागू की जाए जहां मुसलमान बहुसंख्यक हो
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मुसलमानों के धार्मिक एवं सांस्कृतिक हितों को पूर्ण संरक्षण
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19 मौलिक अधिकारों की मांग जिसमें महिलाओं को समान अधिकार, संघ बनाने की स्वतंत्रता तथा वयस्क मताधिकार जैसी मांगे सम्मिलित थी
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केंद्र तथा राज्यों में उत्तरदायी सरकार की स्थापना की जाए केंद्र सरकार का प्रमुख गवर्नर जनरल की नियुक्ति ब्रिटिश सरकार के द्वारा किया जाए गवर्नर जनरल, केंद्रीय कार्यकारिणी परिषद की सलाह पर कार्य करेगा जो कि केंद्रीय व्यवस्थापिका के प्रति उत्तरदायी होगी
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कॉन्ग्रेस में सुभाष चंद्र बोस, जवाहरलाल नेहरू, सत्यमूर्ति जैसे युवा नेता डोमिनियन स्टेटस की जगह पूर्ण स्वराज को कॉन्ग्रेस का लक्ष्य बनाना चाहते थे। इस मुद्दे को लेकर 1928 में कॉन्ग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में कॉन्ग्रेस के भीतर मतभेद उत्पन्न हो गया। दुर्भाग्य से सर्वदलीय सम्मेलन रिपोर्ट स्वीकार नहीं कर सका।
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सुभाष चंद्र बोस, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सत्यमूर्ति आदि ने इसका विरोध किया तथा पूर्ण स्वतंत्रता की प्राप्ति हेतु 1928 में इन्होंने ‘ऑल इंडिया इंडिपेंडेंस लीग‘ की स्थापना की।
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