Q.कौन सी नदी भूमध्य रेखा को दो बार काटती है ?
ANS – कॉन्गो या जायरे नदी
कॉन्गो (जायरे) नदी
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देश – कॉन्गो गणराज्य,कॉन्गो, अंगोला
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यह अफ्रीका की दूसरी सबसे लंबी नदी है।
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इसके तट पर कॉन्गो गणराज्य की राजधानी ‘किंशासा‘ व कॉन्गो की राजधानी ‘ब्राजाविले’ अवस्थित है।
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यह नदी विषुवत् रेखा को दो बार काटती हुई अटलांटिक महासागर में गिरती है।
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इस नदी बेसिन के विषुवत्रेखीय क्षेत्र में विश्व की सबसे छोटे कद वाली प्रजाति ‘पिग्मी’ रहती है।
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कसई, उबांगी इसकी महत्त्वपूर्ण सहायक नदियाँ हैं।
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कसई नदी बेसिनडायमंड रिज़र्व के लिये प्रसिद्ध है।
Q.कौन सी नदी मकर रेखा को दो बार काटती है ?
ANS – लिंपोपो नदी
लिंपोपो नदी
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देश – दक्षिण अफ्रीका,बोत्सवाना, जिंबाब्वे व मोजांबिक
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यह नदी दक्षिण अफ्रीका- बोत्सवाना तथा दक्षिण अफ्रीका-जिंबाब्वे की सीमा बनाते हुए मापूतो (डेलागुआ) की खाड़ी में गिरती है।
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यह नदी मकर रेखा को दो बार काटती है।
Q.कौन सी नदी मकर रेखा को तीन बार काटती है ?
ANS – बरमेजो नदी
बरमेजो नदी
दक्षिण अमेरिका की बरमेजो नदी मकर रेखा को तीन बार काटती है।
Q.कौन सी नदी भूमध्य रेखा एवं कर्क रेखा दोनों को काटती है ?
ANS – नील नदी
नील नदी
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नील नदी – उत्तरी सूडान, मिस्र
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श्वेत नील – युगांडा, द. सूडान,उत्तरी सूडान
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ब्लू नील – इथियोपिया, उत्तरी सूडान
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यह नदी ‘श्वेत नील’ एवं ‘ब्लू नील’ के मिलने से बनी है।
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श्वेत नील का उद्गम – विक्टोरिया झील से,
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ब्लू नील का उद्गम – इथियोपियाई उच्चभूमि से
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ब्लू नील उत्तरी सूडान की राजधानी खार्तूम के समीप श्वेत नील से मिलने के बाद ‘नील नदी’ कहलाती है।
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नील नदी का मुहाना – भूमध्यसागर में
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‘नील नदी की देन’– मिस्र को कहा जाता है।
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यह विश्व की सबसे लंबी नदी (6,695 किमी.) है।
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नील नदी भूमध्य रेखा एवं कर्क रेखा दोनों को काटती है।
Q.कौन सी नदी कर्क रेखा को दो बार काटती है ?
ANS – माही नदी
देश – कॉन्गो गणराज्य,कॉन्गो, अंगोला
यह अफ्रीका की दूसरी सबसे लंबी नदी है।
इसके तट पर कॉन्गो गणराज्य की राजधानी ‘किंशासा‘ व कॉन्गो की राजधानी ‘ब्राजाविले’ अवस्थित है।
यह नदी विषुवत् रेखा को दो बार काटती हुई अटलांटिक महासागर में गिरती है।
इस नदी बेसिन के विषुवत्रेखीय क्षेत्र में विश्व की सबसे छोटे कद वाली प्रजाति ‘पिग्मी’ रहती है।
कसई, उबांगी इसकी महत्त्वपूर्ण सहायक नदियाँ हैं।
कसई नदी बेसिनडायमंड रिज़र्व के लिये प्रसिद्ध है।
देश – दक्षिण अफ्रीका,बोत्सवाना, जिंबाब्वे व मोजांबिक
यह नदी दक्षिण अफ्रीका- बोत्सवाना तथा दक्षिण अफ्रीका-जिंबाब्वे की सीमा बनाते हुए मापूतो (डेलागुआ) की खाड़ी में गिरती है।
यह नदी मकर रेखा को दो बार काटती है।
दक्षिण अमेरिका की बरमेजो नदी मकर रेखा को तीन बार काटती है।
नील नदी – उत्तरी सूडान, मिस्र
श्वेत नील – युगांडा, द. सूडान,उत्तरी सूडान
ब्लू नील – इथियोपिया, उत्तरी सूडान
यह नदी ‘श्वेत नील’ एवं ‘ब्लू नील’ के मिलने से बनी है।
श्वेत नील का उद्गम – विक्टोरिया झील से,
ब्लू नील का उद्गम – इथियोपियाई उच्चभूमि से
ब्लू नील उत्तरी सूडान की राजधानी खार्तूम के समीप श्वेत नील से मिलने के बाद ‘नील नदी’ कहलाती है।
नील नदी का मुहाना – भूमध्यसागर में
‘नील नदी की देन’– मिस्र को कहा जाता है।
यह विश्व की सबसे लंबी नदी (6,695 किमी.) है।
नील नदी भूमध्य रेखा एवं कर्क रेखा दोनों को काटती है।
माही नदी
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उद्गम – मेहद झील (मध्य प्रदेश के धार जिले में सरदारपुरा के मिन्डा गांव के निकट ,विंध्याचल पर्वत के पश्चिम में )
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प्रमुख सहायक नदियाँ –जाखम, सोम, चाप, अनस
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मुहाना – खंभात की खाड़ी
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अन्य प्रमुख विशेषताएँ-
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माही बजाज सागर परियोजना अवस्थित है।
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यह नदी कर्क रेखा को दो बार काटती है।
उद्गम – मेहद झील (मध्य प्रदेश के धार जिले में सरदारपुरा के मिन्डा गांव के निकट ,विंध्याचल पर्वत के पश्चिम में )
प्रमुख सहायक नदियाँ –जाखम, सोम, चाप, अनस
मुहाना – खंभात की खाड़ी
अन्य प्रमुख विशेषताएँ-
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माही बजाज सागर परियोजना अवस्थित है।
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यह नदी कर्क रेखा को दो बार काटती है।