2.बखेरा में बखेरा -लिंग बखरा
निबंध संख्या -2 : बखेडा में बखेड़ा, लिंग बखेड़ा है
शीर्षक का अर्थ – झगड़ों में झगड़ा, लिंग का झगड़ा/ झंझटों में झंझट, लिंग का झंझट
भावार्थ –
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यह भी एक व्यंग्नात्मक निबंध है।
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इस निबंध में हिन्दी भाषा में निर्जीव तत्वों के लिंग बोध की व्यवस्था पर व्यग्य किया गया है। संदेश यह है कि निर्जीव पदार्थ में प्राण नही होता है अतः उसमें लिंग का प्रश्न ही नहीं है। उसे नपुंसक लिंग में रखा जाना चाहिए, परंतु उन्हें भी जीवधारियों की भांति स्त्रीलिंग, पुलिंग में बांट दिया गया है।
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निबंध में क्षेत्रीय भाषाओं को लिंग विधान के मद्देनजर ज्यादा प्रगतिशील बताया गया है क्योंकि प्राकृतिक लिंग छोड़कर कोई विंगदिधान नहीं है। कर्ता या कर्म के लिंग वाक्य को प्रभावित नहीं करते। जबकि हिन्दी लिंग विधान में काफी परेशानियां होती हैं।
बृहन्नला(चउकरा)
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महाभारत में पांडवों के वनवास में एक वर्ष का अज्ञात वास भी था जो उन्होंने विराट नगर में बिताया। विराट नगर में पांडव अपना नाम और पहचान छुपाकर रहे। इन्होंने राजा विराट के यहाँ सेवक बनकर एक वर्ष बिताया।
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इस प्रसंग में अर्जुन को षण्ढक और बृहन्नला कहा है।
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षण्ढक शब्द का अर्थ है नपुंसक। अर्जुन इस समय उर्वशी के शाप से नपुंसक हो गये थे।
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बृहन्नला का मूल शब्द बृहन्नल है। विद्वानों ने ‘र’ और ‘ल’ को एक सा माना है; अत: बृहन्नल का अर्थ बृहन्नर अर्थात श्रेष्ठ या महान मानव है। भगवान नारायण के सखा होने के कारण अर्जुन नरश्रेष्ठ हैं ही।
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इन्द्रपुरी में अप्सरा उर्वशी इन पर मोहित हो गई थी। पर उसकी इच्छा पूर्ति न करने के कारण इन्हें एक वर्ष तक नपुंसक रहकर बृहन्नला के रूप में विराट की कन्या उत्तरा को नृत्य की शिक्षा देनी पड़ी थी।
इस निबंध में कई प्रकार के झंझट व बखेड़ा का वर्णन है
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रोजी रोटी का बखेड़ा
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कम और ज्यादा का बखेड़ा
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ऊंच-नीच का बखेड़ा
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जात पात का बखेड़ा
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छोटा बड़ा का बखेड़ा
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गोरा काला का बखेड़ा
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अमीर गरीब का बखेड़ा
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पुरुष नारी का बखेड़ा
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देश प्रदेश का बखेड़ा
Q.समाज वखेड़ा का प्रतिफल है(society is crossed by conflict) “यह वाक्य किस निबंध में प्रयोग किया गया है ? बखेड़ाव में बखेड़ा – लिंग बखेड़ा
Q.इस निबंध में एक नए प्रकार का बखेड़ा का वर्णन किया गया है यह क्या है ? लिंग का बखेड़ा
Q.अप्राणीवाचक शब्द का गलत लिंग प्रयोग को लेकर लेखक का किसके साथ बहस क्यों हो जाता है ? अपने दोस्त के साथ
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दोस्त कहता है हवा बहता है लेकिन लेखक के अनुसार हवा स्त्रीलिंग है.
Q.उसका दोस्त लेखक से पूछने लगता है बताओ तो लिंग का मतलब क्या है ?
हिंदी शब्द सागर के अनुसार
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चिन्ह या निशान
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गुपेन्द्रिय
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व्याकरण के अनुसार वह तत्व जैसे पुरुष और स्त्री का भेद पता चलता है
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जिससे किसी वस्तु का अनुमान हो
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सांख्य के अनुसार मूल प्रकृति
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मीमांसा के अनुसार 6 लक्षण जिनके अनुसार लिंग का निर्णय किया जाता है वह सब है उपक्रम ,उपसंहार , अभ्यास, अपूर्वता , अर्थबता और उपयति
हवा के पर्यायवाची : पवन, मारुत, वायु, समीर
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पुलिंग के भीतर स्त्रीलिंग और स्त्रीलिंग के भीतर पुलिंग शब्द पाए जाते हैं
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किसी देश की भाषा उस देश की संस्कृति का वाहक है और संस्कृति का छापभाषा में पाई जाती है
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गिरिडीह जिला के बृहन्नला(चउकरा) लोगों का वोटर लिस्ट में नाम तक नहीं है क्योंकि राष्ट्रीय भाषा हिंदी में उनके लिए लिंग की व्यवस्था नहीं है.
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जबकि अंग्रेजी में 4 जेंडर हैं
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masculine, feminine, common, and neuter
Q.नाट्य शास्त्र के रचनाकार कौन है ? आचार्य भरत
Q.जनीबेटी या बेटीछुआ को संस्कृत बोलने का अधिकार किस शास्त्र के नियम के अनुसार नहीं है? नाट्यशास्त्र
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उन्हें प्राकृत बोलने के लिए विवश किया गया था
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फिर भी हिंदी की तुलना में संस्कृत में ज्यादा समतावादी भावना, बराबर की भावना है
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लेकिन क्षेत्रीय भाषा में इस तरह का लिंग को लेकर विवाद नहीं है ,ना कोई स्त्रीलिंग ना कोई पुल्लिंग कोई लिंग भेदभाव नहीं है सब एकलिंग
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हमारी संस्कृति के तीन बातें बहुत अच्छी है श्रम, समता और सह अस्तित्व
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रजरप्पा में जो दामोदर नदी है दामोदर को पुर्लिंग और भेड़ा (भैरवी नदी) को स्त्रीलिंग कहा गया है जबकि दोनों तो नदिया ही है
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पंडित लोग इन दोनों नदियों के संगम को नद – नदी का दुर्लभ संगम मानते हैं नद पुरुष होता है नदी स्त्रीलिंग है,इस तरह से दामोदर को पुरुष बना दिया गया और भेड़ा नदी को स्त्रीलिंग बना दिया गया
निष्कर्ष –
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लिंग भेद को हटा देने से दुनिया की बहुत सारी समस्याएं अपने आप ठीक हो जाएगा
2. बखेड़ाव में बखेड़ा – लिंग बखेड़ा
Q. ‘बखेड़ाव में बखेड़ा – लिंग बखेड़ा’ केकर लिखल लागे ? डॉ. बी.एन. ओहदार
Q. ‘बखेड़ाव में बखेड़ा – लिंग बखेड़ा’ पाठे कोन किताबे सामिल हे ? खोरठा निबंध
Q. ‘बखेड़ाव में बखेड़ा – लिंग बखेड़ा’ कोन भावेक (रकमेक) निबंध लागे ? फिंगाठी (व्यंग्य)
Q. ‘बखेड़ाव में बखेड़ा – लिंग बखेड़ा में केकर ऊपर फिंगाठी (व्यांग्य) करल गेल हे ?हिन्दी भासाक लिंग निर्धारण पर
Q.हिन्दी भासा में कइगो लिंग पावा हे ? दुगो पुलिंग-इस्तीलिंग
Q.ई पाठे क की नीयर राखल गेल हे ?‘लेखक आर ओकर दोस्त’ के मांझे बात-चीत रूपे
Q.कौन जिलाक चउकरा’बृहन्नला’ गुलिन के भोटर लिस्टे की ले नाम नाञ चढ़ल रहे ? गिरिडीह
Q.वृहन्नला सबकर सुध कोने लेल रहय ? संस्कृतसाहितें (पाणिनी, पतंजलि)
Q. संस्कृतभाषा में लिंग कइगो हे ? तीन-पुंलिंग-इस्तीलिंग,नपुंसक लिंग
Q.वृहन्नला सब खातिर संस्कृते कोन लिंग राखल गेल हे ? नपुंसक लिंग
Q.’नाट्यशास्त्र’ कर लेखक लागय ? भरत मुनि
Q.भरत मुनि जी संस्कृतेक नाट्यशास्त्रे जनी बेटी बा बेटी छउवा खातिर की नियम
बनवल हला ? जनी बेटी प्राकृत बोलता
Q.. लेखकेक दोस्तेक अनुसारे कोन भासाञ लिंग बंखेडा नी पावा हे? छेतरीप भाषा में
Q.. ‘भासा संस्कृति के वाहक लागे ‘संस्कृति के छाप भाखात्र देखाई पड़ है। ई बात, कोन पाठे कहल गेल हे? खोरठा निबंध
Q.राष्ट्रीय एकताक जइर मोवाइर कोन भासाञ पावा हे ?छेतरीय भाषा
Q. कोन कोन नदी के पुलिंग (नद) मानल गेल हे? दामोदर
Q.. रजरप्पात्र कोन-कोन नदीक संगम के दुर्लम संगम मानल गेल हे ?दामोदर आर भेड़ा (भैरवी)
Q. “उल्टी गंगा बोहाइ ढेलाय’ कर लेताइरे लेखकेक दोस्त लेखक के की कहला
प्रतिक्रिया वादी, यथास्थितिवादी , प्रतिगामी तत्त्व हेकाय
Q. दामोदर आर भेडा (भैरवी) कोन-कोन लिंगेक नदी लागथ? नद-नदी
Q. प्रकृतिक आयां नियम की हके?हर चीज के बोह (बहाव) कठिन से सरल-सोझ बाठे होव हे
Q. ‘राष्ट्रीय भाखांय लिंग भेद करेक एतना नियम-उपनियम बनाइ राखले हाय कि कोई लिंगेक भेदाभेद करायी मोइर खइप जाइ तभू फरफेक्ट नाय हवे पारे’। ई कथन टा पाठे केकर कहल लागइ ? लेखकेक दोस्त कर