- बिस्वनाथ प्रसाद ‘नागर’ जन्म – 7 जनवरी 1939 ,मुदा गांव , बारामसिया ,धनबाद
- उपनाम – ‘नागर’
- अन्य नाम – विश्वनाथ रवानी
- पिता – जादू रवानी
- माता – फुलमनी देवी
- पत्नी- इंद्रावती देवी
- शिक्षा – इंटर पास
- रचना सैली – छायावादी प्रवृति के कवि
प्रमुख कृतियां
- 1957 – श्रीनिवास पानुरी जी के साथ मिलकर लोक सेवा संघ और खोरठा साहित्य समिति की स्थापना की थी
- लेखन की शुरुवात मुख्य रूप से 1961 में की।
- सुलकसाय (खंड काव्य ) – प्रकाशन वर्ष – 2005, पूजा प्रकाशन
- सुलकसाय का शाब्दिक अर्थ है अग्निपुत्र/गुदड़ी के लाल या वह ज्योतिपुंज जो किसी परिवार समाज राष्ट्रीय राष्ट्रीयता को प्रकाशित करें
- यह रचना महाभारत के पात्र कर्ण पर आधारित है
- यह काव्य 11 खंड अथवा परब में विभाजित है
- 1.सन्ति परब ,2.आसीस ,3.महेन्द्रगिरि ,4.सिकार ,5.रंगभूमि ,6.सापित करन ,7.दान ,8.वरदान ,9.पांच फूल ,10.सांधार ,11अंत
- कुंती ने कर्ण को अश्वरथी नदी में मंजूषा में बंद करके वह आया था
- रांगालाठी/ रांगा पारे (खोरठा कविता संग्रह )- 50 कविता
- 1961- 69 तक की लिखित कविता शामिल है।
- प्रकाशन वर्ष – 2005,
- पूजा प्रकाशन
- मधुमाला प्रिंटिंग प्रेस, धनबाद
- खइयाम तोर मधुर गीत – 2004 में रचित
- उर्दू अरबी फारसी कवि ख्याम की रुबाइयों का खोरठा अनुवाद
- खोरठा रूपांतरण वर्ष – 1998
प्रकाशक – पूजा प्रकाशन, धनबाद
- दिंड़ल पाता (छीड़ल पातर ) : अप्रकाशित कविता संग्रह
- 1970 के बाद की कविताओं का संग्रह
- झींगा फूल : गीत संग्रह (अप्रकाशित )
हिंदी भाषा की कृतियां
- शेष पर्व – हिंदी कविताओं का संग्रह
- खोरठा लोक साहित्य – एक विवेचन
- झारखण्ड आंदोलन सकारात्मक पहलुओं की पृष्ठभूमि और मुक्ति आंदोलन
- झारखंड के विकास का चरित्र और भूमि पुत्रों की आकांक्षा
सम्मान
- जाऊ जिनगी सम्मान – 2010 (खोरठा साहित्य संस्कृति परिषद)
Questions Related to Biswanath Prasad ‘Nagar’
Q.खंड काइब ‘सुकलसाय’ के रचनाकार के हय? विश्वनाथ नागर
Q.दिंड़ल पाता कविता संग्रह के रचनाकार के हय? विश्वनाथ नागर