कारखाना अधिनियम

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  • साल 1881 में पहला कारखाना अधिनियम पारित किया गया था. इस अधिनियम को लॉर्ड रिपन ने लागू किया था.
  • इस अधिनियम के तहत, सात साल से कम उम्र के बच्चों को काम करने की अनुमति नहीं थी और 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए काम करने के घंटे सीमित थे.
  • साथ ही, इस अधिनियम के तहत, कार्य अवधि के दौरान एक घंटे का विराम और रोज़गार के लिए चार महीने का अवकाश भी दिया गया था.
  • इस अधिनियम के बाद, साल 1885 में एक कारखाना आयोग बनाया गया और साल 1891 में एक और कारखाना अधिनियम पारित किया गया.
  • साल 1892 में एक रॉयल श्रम आयोग की स्थापना भी हुई थी. इन सभी अधिनियमों का मुख्य मकसद कारखानों में काम करने वाले कर्मचारियों के घंटों को सीमित करना था.
  • इसके बाद, साल 1948 में भारत की संसद ने कारखाना अधिनियम पारित किया.

1881 में पहला कारखाना अधिनियम

  • यह अधिनियम, यांत्रिक शक्तियों का इस्तेमाल करने वाले कारखानों पर लागू होता था, जिनमें कम से कम 100 कर्मचारी काम करते थे. 
  • इस अधिनियम में, कामकाजी बच्चों के कल्याण पर ध्यान दिया गया था. इसके कुछ प्रमुख प्रावधान ये रहे: 
  • सात साल से कम उम्र के बच्चों को काम पर नहीं रखा जा सकता.
  • सात से 12 साल के बच्चों को रोज़ाना नौ घंटे से ज़्यादा काम नहीं कराया जा सकता.
  • इन बच्चों को रोज़ाना एक घंटे का आराम और हर महीने चार दिन की छुट्टी मिलनी चाहिए.
  • खतरनाक मशीनों पर सुरक्षा घेरा लगाना ज़रूरी है.
  • पुरुषों और महिलाओं को समान काम करने के लिए समान वेतन देना होगा.
  • कार्य अवधि के दौरान एक घंटे का आराम दिया जाएगा.