- कावेरी (800 किमी.) – इसका उद्गम कर्नाटक के कोड़ागु (कोगाडु) जिले की ‘ब्रह्मगिरी पहाड़ियों से होता है।
- ऊपरी घाट में ‘दक्षिण-पश्चिम मानसून’ तथा निचले घाट में ‘उत्तर-पूर्वी मानसून’ द्वारा वर्षा जल की उपलब्धता के कारण ही यह हिमालयी नदियों की तरह एक सदानीरा नदी है, जो कि प्रायद्वीपीय नदियों में एक अपवाद भी है।
- यह भारत में दूसरा सबसे बड़ा जलप्रपात बनाती है, जिसे ‘शिवसमुद्रम’ के नाम से जाना जाता है।
- इसकी द्रोणी तमिलनाडु तथा पुदुच्चेरी में 56 प्रतिशत, केरल में 3 प्रतिशत तथा कर्नाटक में 41 प्रतिशत है।
- हेमावती, लोकापावनी, हेरांगी, शिमसा और अर्कावती बायें तट से तथा लक्ष्मणतीर्थ, काबीनी, सुवर्णवती, भवानी और अमरावती, कावेरी के दायें तट से मिलने वाली प्रमुख सहायक नदियाँ हैं।
- यह नदी तीन बार दो धाराओं में विभक्त हो जाती है और कुछ मील आगे जाकर पुनः मिल जाती है। अपने प्रवाह क्रम में यह श्रीरंगपट्टनम्, शिवसमुद्रम् एवं श्रीरंगम् द्वीपों का निर्माण करती है।