बिहार की भाषाएं एवं बोलियां

  • बिहार की राजभाषा ‘हिन्दी’ है, जबकि ‘उर्दू‘ इस राज्य की द्वितीय राजभाषा है। वर्तमान बिहार की बोलियों को ग्रियर्सन नामक विद्वान ने ‘बिहारी भाषा‘ से संबोधित किया है । 
  • बिहार में भाषावर्ग की दृष्टि से सामान्यतः दो परिवार की भाषाएँ बोली जाती हैं— 
    • (1) आर्य परिवार की भाषाएँ एवं
    • (2) मुंडा परिवार की भाषाएँ । 
  • आर्य परिवार की भाषाएँ 
  • आर्य परिवार की भाषाओं को ‘बिहारी’ भाषा का नाम दिया गया है, जिसके अन्तर्गत निम्नलिखित तीन भाषाएँ प्रमुख हैं— (i) मगही भाषा, (ii) भोजपुरी भाषा एवं (iii) मैथिली भाषा । 
  • मगही भाषा 
  • मगध जनपद में बोली जाने वाली ‘मगघी’ ही आजकल ‘मगही’ के रूप में प्रसिद्ध है। वर्तमान में पटना, नालंदा व गया जिलों में मगही भाषा अधिक बोली जाती है । 
  • प्राचीन मगध जनपद की यह प्रमुख भाषा थी और इस क्षेत्र में अभी भी यही प्रमुख भाषा है । 
  • इस भाषा के विकास व संवर्द्धन में लक्ष्मी नारायण पाठक, हरिहर पाठक, जयगोविन्द दास, बाल गोविन्द आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा है । सिद्धवंश की प्रारंभिक रचनाएँ भी मगही भाषा में ही हैं । 
  • भोजपुरी भाषा 
  • राजा भोज के वंशजों ने अपने राज्य की स्थापना मल्ल जनपद में की थी और अपनी राजधानी का नाम भोजपुर रखा था । उसी नगर के नाम पर इस भू-भाग का नाम भोजपुर पड़ा तथा उस भू-भाग में बोली जाने वाली बोली भोजपुरी कहलायी । 
  • पश्चिम बिहार के भोजपुर, रोहतास, छपरा, सीवान, गोपालगंज, पूर्वी व पश्चिमी चंपारण, सारण आदि जिलों सहित उत्तर प्रदेश के भी कई हिस्सों में भोजपुरी बोली जाती है । क्षेत्रीयता के कारण भोजपुरी भाषा के अनेक भेद हो गये हैं । भोजपुरी में मध्यम ‘र’ का लोप हो जाता है । इसकी स्त्रीलिंग संज्ञाएँ इकारान्त या ईकारान्त होती हैं । इसके परसर्ग अवधी से प्रायः मिलते हैं । 
  • भोजपुरी भाषा के विकास में भिखारी ठाकुर, रघुवीर नाथ, महेन्द्र मिश्रा, बाबू रघुवीर नारायण, मनोरंजन प्र० सिन्हा आदि का विशेष योगदान रहा है । 
  • भोजपुरी भाषा में अनेक फिल्मों एवं टीवी धारावाहिकों के निर्माण होने तथा महुआ, महुआ 
  • न्यूज, हमार टीवी आदि भोजपुरी चैनलों के आरंभ हो जाने के कारण भोजपुरी के प्रचार- प्रसार एवं लोकप्रियता में काफी वृद्धि हुई है । सम्प्रति भोजपुरी भाषा मॉरीशस, फिजी, नेपाल सहित कई अन्य देशों में भी बोली जाती है । 
  • मैथिली भाषा 
  • मैथिली मुख्यतः दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, अररिया, सीतामढ़ी और पूर्णिया में बोली जाती है। बिहार के अलावा यह जनकपुर धाम एवं नेपाल की तराई क्षेत्रों में भी बोली जाती है। 
  • मैथिली भाषा का वर्तमान स्वरूप दसवीं शताब्दी में उदित हुआ माना जाता है। दसवीं शताब्दी में मैथिली की सबसे पहली रचना ज्योतिरीश्वर द्वारा रचित ‘वर्ण रत्नाकर’ मानी जाती है । मैथिली भाषा के प्रयोग के लिए एक पृथक् लिपि की रचना की गई है, जिसे ‘मिथिलाक्षर’ या ‘तिरहुता लिपि’ कहते हैं । 
  • बिहार की भाषाओं में मैथिली भाषा सबसे उन्नत व विकसित है । इसमें विशिष्ट ललित साहित्य प्राप्त होता है । मैथिली में ईषत् संवृत ‘अ’ का प्रयोग होता है । बलाघात के कारण ही अ, इ, उ, अति ह्रस्व होते हैं । 
  • महाकवि विद्यापति मैथिली भाषा के प्रमुख कवि माने जाते हैं । बाबा नागार्जुन, चंदा झा, मनबोध, हर्षनाथ, लाल दास, हरिमोहन झा, मायानंद मिश्र, मणिपद्म आदि ने इस भाषा को काफी समृद्ध किया है । मैथिली को अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में वर्ष 2003 में भारत के संविधान की अष्टम सूची में शामिल किया गया है । 
  • अंगिका 
  • अंगिका भाषा भागलपुर जिले की मूल भाषा है । इसे भागलपुरी भी कहते हैं। अंगिका भाषा जमुई, लखीसराय, मुंगेर, बेगूसराय, खगड़िया आदि जिलों में भी बोली जाती है । 
  • यह मैथिली का ही परिवर्तित रूप है, अतः इसे मैथिली की उपभाषा माना जाता है । अंगिका भाषा की प्राचीन लिपि में छठी शताब्दी में ‘ललित विस्तार’ नामक बौद्ध ग्रंथ की रचना है । 
  • वज्जिका 
  • वज्जिका मुख्यतः वैशाली एवं मुजफ्फरपुर जिले की भाषा है | तिरहुत क्षेत्र में बोली जाने वाली 
  • इस भाषा को भी मैथिली की एक उपभाषा माना जाता है ।