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- समावेशी वृद्धि (Inclusive Growth) का अर्थ है, एक ऐसा आर्थिक विकास मॉडल जो केवल कुछ विशेष समूहों या वर्गों तक सीमित न रहे, बल्कि यह सुनिश्चित करें कि विकास का लाभ समाज के सभी वर्गों, विशेष रूप से गरीब और वंचित समूहों तक पहुंचे। इसमें समाज के प्रत्येक सदस्य को आर्थिक अवसर प्राप्त हो, जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार हो और सामाजिक-आर्थिक असमानताएँ कम हो।
- समावेशी वृद्धि की विशेषताएँ:
- समान अवसर:
- समाज के प्रत्येक सदस्य को रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएँ, और अन्य बुनियादी सुविधाओं तक समान पहुँच हो।
- इसमें विशेष ध्यान गरीब, पिछड़े, और हाशिए पर रहने वाले समूहों (जैसे, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिलाओं, विकलांग व्यक्तियों, आदि) को दिया जाता है।
- आर्थिक असमानताओं में कमी:
- समावेशी वृद्धि का उद्देश्य आर्थिक असमानताओं को कम करना है। यह सुनिश्चित करना कि विकास का लाभ सबसे अधिक वंचित वर्ग तक पहुंचे, ताकि देश में आर्थिक समृद्धि का विभाजन समान रूप से हो सके।
- शामिल करना, न कि बाहर करना:
- समावेशी वृद्धि का मतलब है कि समाज के सभी वर्गों को विकास की प्रक्रिया में शामिल किया जाए, न कि कुछ वर्गों को बाहर रखा जाए। यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी व्यक्ति विकास से वंचित न रहे।
- सामाजिक सुरक्षा:
- यह विकास न केवल आर्थिक वृद्धि के रूप में होता है, बल्कि इसमें सामाजिक सुरक्षा का भी ध्यान रखा जाता है। जैसे, गरीबी उन्मूलन योजनाएँ, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, और आवास जैसे पहलुओं को प्रोत्साहित किया जाता है।
- स्थायी विकास:
- समावेशी वृद्धि एक सतत और समर्पित विकास होता है, जिसमें प्राकृतिक संसाधनों का अनावश्यक दोहन न हो और पर्यावरणीय स्थिरता भी सुनिश्चित की जाती है।
- समावेशी वृद्धि की नीतियाँ:
- शिक्षा और कौशल विकास:
- शिक्षा और कौशल के क्षेत्र में निवेश किया जाता है ताकि हर व्यक्ति को बेहतर जीवन जीने का अवसर मिल सके।
- विशेष रूप से महिलाओं, आदिवासियों, और गरीबों के लिए शिक्षा के अवसर बढ़ाए जाते हैं।
- स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार:
- बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना ताकि हर वर्ग को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें।
- न्यायपूर्ण वितरण:
- सरकारी योजनाएँ और कार्यक्रम जैसे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA), स्वास्थ्य बीमा योजना, कृषि ऋण आदि, जो गरीब और वंचित वर्गों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं, उनका प्रभावी क्रियान्वयन।
- सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ:
- गरीबों, विकलांगों और बुजुर्गों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ जैसे वृद्धावस्था पेंशन, गरीबों के लिए खाद्य सुरक्षा योजनाएँ, आदि।
- सभी वर्गों के लिए रोजगार:
- समावेशी वृद्धि में यह सुनिश्चित करना कि रोजगार सृजन और औद्योगिक विकास केवल उच्च वर्गों तक सीमित न हो, बल्कि वंचित और गरीब वर्गों को भी इसका फायदा हो।
- समावेशी वृद्धि का महत्व:
- गरीबी उन्मूलन: यह विकास की प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाता है क्योंकि यह गरीबों को सशक्त करता है और उनकी जीवन स्थितियों में सुधार लाता है।
- सामाजिक समानता: समावेशी वृद्धि से समाज में समानता का निर्माण होता है, जहां कोई भी वर्ग पीछे नहीं रह जाता।
- देश की समग्र समृद्धि: जब हर वर्ग को विकास का लाभ मिलता है, तो यह देश के समग्र विकास को बढ़ावा देता है।
- निष्कर्ष: समावेशी वृद्धि सिर्फ आर्थिक विकास नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक दृष्टिकोण है जिसमें सामाजिक न्याय, समानता और समृद्धि को प्राथमिकता दी जाती है। इस दृष्टिकोण के माध्यम से, एक राष्ट्र न केवल विकास की ओर बढ़ता है, बल्कि सभी नागरिकों के लिए समान अवसरों का निर्माण भी करता है।
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