बालाजी विश्वनाथ(1713-20 ई.).
- शाहू ने एक नये पद ‘सेनाकर्ते’ (सेना को संगठित करने वाला) का सृजन किया और बालाजी को पद सौंपा।
- मुगल शासक फर्रुखसियर के तख्त-पलट में बालाजी ने सैयद बंधुओं का साथ दिया। जिसके तहत एक संधि हुई, जिसमें प्रावधान था कि
- शाहू को शिवाजी का ‘स्वराज’ सौंप दिया जायेगा।
- मराठों द्वारा जीते गये प्रदेशों को भी शाहू को दे दिया जायेगा।
- दक्कन के क्षेत्रों में मराठों को चौथ व सरदेशमुखी का अधिकार होगा, जिसके बदले में 15000 मराठा घुड़सवार मुग़लों की सेवा में रहेंगे।
- कोल्हापुर में शंभु जी द्वितीय को शाहू परेशान नहीं करेंगे।
- मराठा प्रतिवर्ष सम्राट को 10 लाख रुपये खिराज देंगे।
- शाहू की माता एवं रिश्तेदारों को रिहा कर दिया जायेगा।
- तख्त पलट के बाद शासक रफी-उद्द-रजात ने इस संधि को स्वीकार लिया।
- रिचर्ड टेम्पल ने इस संधि को ‘मराठों का मैग्नाकार्टा‘ कहा है।
- 1720 में बालाजी विश्वनाथ की मृत्यु के बाद शाहू ने उनके बड़े पुत्र बाजीराव प्रथम को पेशवा नियुक्त किया।