- शिवाजी (Shivaji) ( मराठा साम्राज्य का संस्थापक) ; जन्म- 1627 ई. में शिवनेर के पहाड़ी दुर्ग, महाराष्ट्र में ; पिता- शाहजी भोंसले (बीजापुर के सुल्तान के यहाँ प्रथम श्रेणी के सरदार) ; माता- जीजाबाई ; संरक्षक- दादोजी कोंडदेव ; गुरु- रामदास
- राज्याभिषेक- 1674 ई.(रायगढ़ के किले, महाराष्ट्र में) ; राजधानी- रायगढ़,महाराष्ट्र ; मृत्यु- 1680 ई.
- शिवाजी ने सर्वप्रथम पूना की जागीर का कार्यभार स्वयं संभाला।
- 1646 ई. में शिवाजी ने स्थित तोरण के किले को जीता।
- 1648 ई. में पुरंदर के किले को जीता।
- 1656 ई. में मराठा सरदार चंद्रराव मोर से जावली का किला जीता।
- शिवाजी ने बीजापुर के सेनापति अफज़ल खाँ की हत्या कर दी और बीजापुर के कई क्षेत्रों को भी जीत लिया जैसे- ‘पन्हाला का किला’, ‘कोल्हापुर’ और ‘उत्तरी कोंकण‘।
- औरंगजेब ने मुगल गवर्नर शाइस्ता खाँ को भेजा ।
- शाइस्ता खाँ ने पूना, कल्याण और चाकन इत्यादि के किले पर अधिकार कर लिया।
- शिवाजी ने शाइस्ता खाँ के शिविर पर छापामार हमला किया तथा शाइस्ता खाँ को घायल कर दिया।
- फिर औरंगज़ेब ने शाइस्ता खाँ को वापस बुला लिया और आमेर के जयसिंह को भेजा ।
- 1665 में शिवाजी को पुरंदर में घेर लिया गया।
- शिवाजी को 1665 में पुरंदर की संधि करनी पड़ी।
पुरंदर की संधि
- शिवाजी को अपने 23 किले, मुगलों को सौंपने थे।
- 12 किले, शिवाजी को अपने पास रखने थे।
- शिवाजी के पुत्र शंभाजी को मुगल दरबार में रहना होगा । उसे 5 हज़ार का मनसब प्रदान किया गया।
- जयसिंह ने शिवाजी को औरंगजेब से मिलने के लिये आगरा भेजा, किंतु वहाँ शिवाजी को कैद कर लिया गया।
- 1666 में वे औरंगज़ेब की कैद से फरार हो गए।
- शिवाजी ने सूरत को तीन बार लूटा-1664,1670,1672
- शिवाजी ने 1674 में अपना राज्याभिषेक रायगढ़ के किले में किया।
- राज्याभिषेक की प्रक्रिया काशी के पंडित गंगा भट्ट द्वारा संपन्न की गई। इस अवसर पर शिवाजी ने ‘छत्रपति’, ‘हैंदव धर्मोद्धारक’, गौ-बाह्मण प्रतिपालक की उपाधि धारण की तथा अपने को ‘सूर्यवंशी क्षत्रिय‘ घोषित किया।
- 1677 में गोलकुंडा की सहायता से शिवाजी ने अपना अंतिम अभियान कर्नाटक में किया तथा जिंजी, वैल्लोर इत्यादि के क्षेत्र को जीता।
- 1680 में शिवाजी की मृत्यु हो गई।
शिवाजीकालीन प्रशासनिक व्यवस्था
केंद्रीय शासन
- शिवाजी के केंद्रीय प्रशासन में ‘अष्टप्रधान’ आठ मंत्रियों का समूह था
- ये सभी मंत्री केवल व्यक्तिगत रूप से शिवाजी के प्रति उत्तरदायी थे तथा उनकी भूमिका सलाहकारी थी।
नोट : पंडित राव एवं न्यायाधीश के अतिरिक्त सभी को सैन्य-सेवा देनी होती थी।
प्रांतीय प्रशासन
शिवाजी ने साम्राज्य को 3 भागों में बाँटा था।
- उत्तरी प्रांत- सूरत से पूना तक। इसके प्रमुख मोरोपंत पिंगले थे
- दक्षिणी प्रांत– इसमें समुद्र तटीय क्षेत्र एवं दक्षिणी कोंकण शामिल था। इसके प्रमुख अन्नाजी दत्तो थे
- दक्षिणी-पूर्वी प्रांत- इसमें सतारा, कोल्हापुर, इत्यादि आते थे। इसके प्रमुख दत्ताजी पंत थे।
नोट : शिवाजी के क्षेत्र को ‘स्वराज‘ भी कहा जाता था।
प्रांत का प्रशासनिक विभाजन
- महाल – राज्य
- परगना – प्रांत
- तरफ – ज़िला (गोलकुंडा और बीजापुर में)
- मौजा – गाँवों को समूह
नोट: ग्रामीण स्तर पर पटेल, कुलकर्णी के अतिरिक्त 12 अलूटे (सेवक), 12 बलूटे (शिल्पी) होते थे।
सैन्य व्यवस्था
- शिवाजी की सेना के प्रमुख अंग- पैदल सेना(‘पायक/पाइक’),अश्व सेना एवं नौसेना थे।
- अश्व (घुड़सवार) सेना
- पागा (शाही घुड़सवार सेना)/बारगीर- नियमित घुड़सवार
- सिलहदार-अनियमित सैनिक
पागा (शाही घुड़सवार सेना)/बारगीर- नियमित घुड़सवार
- 25 घुड़सवार को 1 हवलदार नियंत्रित करता था।
- 5 हवलदार को 1 जुमलादार नियंत्रित करता था।
- 10 जुमलादार को एकहज़ारी नियंत्रित करता था।
- 5 एकहज़ारी को पंचहज़ारी नियंत्रित करता था।
- ‘सर-ए-नौबत’ सेना का सर्वोच्च अधिकारी होता है।
- हवलदार < जुमलादार < एकहज़ारी< पंचहजारी< सर-ए-नौबत
- ‘हवलदार’ और ‘सर-ए-नौबत’ पद मराठों को दिया जाता था।
- ‘सबनिस’ का पद ब्राह्मणों को दिया जाता था।
सिलहदार– ये अनियमित सैनिक थे। ।
नौसेना
- 1658 में कल्याण विजय के बाद नौसैनिक अड्डा स्थापित किया गया।
- कोलाबा शिवाजी की नौसेना का मुख्य केंद्र बन गया।
- उनकी नौसेना में सबसे प्रमुख भूमिका आंग्रियों की थी।
- उस समय उस क्षेत्र में सबसे प्रमुख नौसैनिक शक्ति जंजीरा के सीदियों की थी।
भू-राजस्व व्यवस्था
- शिवाजी ने अन्नाजी दत्तो से भूमि सर्वेक्षण कराया तथा भू-राजस्व व्यवस्था को अहमदनगर के मलिक अंबर की व्यवस्था पर आधारित मापन प्रणाली को अपनाया।
- मापन की इकाई काठी/मूठा थी।
- 20 काठी = 1 बीघा
- 120 बीघा = 1 चावर
- भू-राजस्व की दर 33 प्रतिशत थी, जिसे बाद में बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दिया गया।
- राजस्व अनाज एवं नकद दोनों ही रूपों में लिया जाता था।
- शिवाजी ने लगान वसूली के लिये रैय्यतवाड़ी व्यवस्था को अपनाया। इसमें किसानों के साथ सीधी लगान वसूली की ।
- शिवाजी के समय देशमुखों (जमींदारों) के अधिकारों को समाप्त कर दिया।
- ग्रामीण स्तर पर भू राजस्व वसूली में पाटिल (पटेल) एवं कुलकर्णी थे ।
- पटेल का कार्य भू राजस्व की वसूली था।
- कुलकर्णीभूमि की माप एवं लेखे जोखे से संबंधित था।
मोकासा ( सरंजाम)
- ये जागीरें थीं, जो कि प्रमुख मराठा सरदारों को दिया जाता था। कुछ मराठा सरदारों को नकद में भी वेतन दिया जाता था।