बिरजिया

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  • बिरजिया शब्द का अर्थ –  ‘जंगल की मछली‘ 
  • बिरजिया जनजाति (Birjiya Tribe) सदान समुदाय की आदिम जनजाति है 
  • प्रजातीय संबंध –  प्रोटो ऑस्ट्रेलायड समूह 
  • बिरजिया जनजाति स्वयं को पुंडरिक नाग के वंशज मानते हैं। 
  • इन्हे असुर जनजाति का ही हिस्सा माना जाता है।
  • झारखण्ड में निवास स्थल – लातेहार, गुमलालोहरदगा जिले में 
  • पितृसत्तात्मक परिवार होता है।
  • बहुविवाह की प्रथा पायी जाती है।
  • यह जनजाति सिंदुरिया तथा तेलिया नामक वर्गों में विभाजित है। 
    • ‘सिंदुरिया’   बिरजिया – विवाह के दौरान सिंदुर का प्रयोग
    • ‘तेलिया’  बिरजिया – विवाह के दौरान तेल का प्रयोग 
      • तेलिया वर्ग पुनः दूध बिरजिया तथा रस बिरजिया नामक उपवर्गों में विभाजित हैं। 
      • दूध बिरजिया  – दूध व मांस का सेवन नहीं 
      • रस बिरजिया – दूध व मांस का सेवन
  • इस जनजाति में 
    • सुबह का  खाना – ‘लुकमा‘, कहा जाता है।
    • दोपहर का भोजन-  ‘बियारी‘ कहा जाता है।
    • रात का खाने – ‘कलेबा‘ कहा जाता है।
  • प्रमुख त्योहार  – सरहुल, सोहराई, आषाढी पूजा, करम, फगुआ आदि 
  • पंचायत का प्रमुख –  बैगा 
  • प्रमुख पेशा  – कृषि 
    • पाट क्षेत्र में रहने वाले बिरजिया स्थानांतरणशील कृषि करते हैं।
  • प्रमुख देवता –  सिंगबोंगा, मरांङ बुरू आदि