4.सर्वधर्म समभाव आर राष्ट्रीय एकता खोरठा निबन्ध डॉ. बी. एन. ओहदार

 4.सर्वधर्म समभाव आर राष्ट्रीय एकता खोरठा निबन्ध डॉ. बी. एन. ओहदार

निबंध संख्या- 4 : सर्वधर्म सम्भाव और राष्ट्रीय एकता 

  • यह एक वैचारिक निबंध है। 

भावार्थ – 

  • इस निबंध में सर्वप्रथम लेखक के द्वारा धर्म का अर्थ बताया गया है कि धर्म का मतलब नियम – कानून-कर्तव्य  होता है जिससे कि देश दुनिया समाज ठीक से चले.

  • हमारे देश में हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई आदि विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं। सभी धर्मो का सारतत्व एक ही है, मानव कल्याण। 

  • इसके बावजूद कभी-कभी अलग-अलग धर्मो के बीच श्रेष्ठता को लेकर टकराहट हो ही जाती है, जो राष्ट्रीय एकता के लिए उचित नहीं है। 

  • यदि यह बात लोगों के दिमाग में उतार दिया जाय कि कोई भी धर्म न तो श्रेष्ठ है न हीन। सभी धर्मो का सार तत्व एक है। सभी धर्म बराबर है। यदि यह भावना स्थापित हो जाय तो राष्ट्रीय एकता को बनाये रखने में कोई बाधा नहीं हो सकती इस निबंध में विभिन्न धर्मो के पंथी, साधु, संतों, प्रवर्तकों, पैगम्बरों, पीर, कवियों का उल्लेख कर एकता को स्थापित करने का प्रयास किया गया है।

परहित सरिस धरम नहीं भाई परपीड़ा सम नहीं अधमाई – तुलसीदास

अष्टादश पुराणेसु व्यसाय वचन द्वयम परोपकारः पुण्याय पापाय पर पीडनम्’  – व्यासमुनि

अल्हा, राम, करीम, केशव, हरि, हजरत नाम धराया – कबीर दास

ला इलह इल्लिसाह मुहम्मद रसूलिल्साह –  इस्लाम धरम

Q.धर्म का मतलब क्या है ? 

  • धर्म का मतलब वैसा नियम या कानून जिससे पूरी दुनिया का कार्य व्यापार ठीक से चलता है

  •  धर्म का मतलब अच्छा नियम है 

  • धर्म समाज को बेहतर तरीके से चलाने के लिए नियमों का पालन करना है 

  • धर्म का मतलब कर्तव्य भी होता है

Q.धर्म के कितने रूप है  ?

  1. व्यक्ति – व्यक्ति का धर्म (बेगइत-बेगइत का धर्म  )

  2. समाज का धर्म 

  3. गांव का धर्म

  4. देश का धर्म 

  • जिनमें से व्यक्ति व्यक्ति का धर्म और समाज का धर्ममुख्य धर्म है इन्हीं से फिर गांव का धर्म और देश का धर्म बना है

Q.पढ़ने लिखने के बाद कैसा होना चाहिए ?  

  • गुणवान 

  • बड़ा छोटा का हिसाब रखना चाहिए

  • बोलचाल पर भी  एक हिसाब रखना चाहिए

  • अच्छा बुरा में फर्क समझना चाहिए

Q.समाजे  सोब  कोई   इज्जत से रहथ  तकर व्यवस्था समाज करें “ ये व्यवस्था क्या कहलाता है ? यम(जम )

Q.प्रत्येक व्यक्ति का धर्म (नियम) तथा समाज का धर्म (यम) मिलकर क्या बनता है ? संयम

  • संयम होगा तभी समाज या दुनिया में लोग सुख चैन से रहेंगे

  • इसी भाव में एक श्लोक मनुस्मृति में कहा गया है

यमान् सेवेत सततं न नियमन् केवलान बुधः ।

यमान् पतत्यकुर्वाणो नियमान् केवलान भजन

Q.महाभारत एवं अठारह पुराणों के रचयिता कौन है ? वेदव्यास 

  • वेदव्यास जी कहते हैं

अस्टादश पुराणेसु व्यसाय वचन द्वयम। 

परोपकारः पुण्याय पापाय पर पीडनम् ।।

  • अठारह पुराणों में व्यासजी  मात्र दो बात कहते हैं कि “दूसरों का भलाई करने के जैसा पुण्य कोई नहीं” और “दूसरों के सताने के जैसा पाप कोई नहीं” है 

    • सबका भलाई करने का सोचो, करो, 

    • किसी को सताओ नहीं किसी के बारे में बुरा सोचो नहीं 

  • यही असली धर्म है

  • तुलसीदास भी कह गए है। 

परहित सरिस धरम नहीं भाई

 परपीड़ा सम नहीं अधमाई 

मतलब दूसरों का भला करना ही धर्म है और दूसरों को सताना ही पाप

  • सभी धर्मों का एक ही मूल उद्देश्य है कर्म वैसे करो जिससे पूरी दुनिया अच्छे से चले सब सुखी रहें

  • जब जब व्यक्ति अपना कर्तव्य को भूल जाता है तब-तब मुनि महात्मा साधु फकीर गुरु का जन्म होता है जो फिर से ध धर्म को स्थापित करते हैं

  • यह सभी जिन्होंने धर्म को पुनः स्थापित  किया यह सभी अपने समाज के समाजशास्त्री समाज वैज्ञानिक रहे होंगे

  • सभी धर्मों में बताया गया है ईश्वर एक है भले ही ईश्वर के रूप अनेक है 

  • यहां पर बिजली का उदाहरण देकर समझाया गया है कि बिजली के करंट से कई सारे बत्ती जलते हैं लेकिन बत्ती जलने का जो कारण है वह एक ही है बिजली का करंट या पावर 

  • जिस तरह हम बिजली को नहीं देख सकते हैं इसी तरह ईश्वर को भी नहीं देख सकते हैं

संस्कृत में एक श्लोक है

‘एक सद्विप्रा बहुधा बदं ति ।

  • ईश्वर एक है लेकिन प्रत्येक व्यक्ति अलग-अलग बात करते हैं

इसलामो धर्म में भी कहा गया है

ला इलाह इल्लिलाह मुहम्मद रसूलिल्लाह” । 

कबीरदास भी कह गए हैं

दुई जगदीश कहाँ ते आए, कहूं कौन भरमाया 

अल्ला, राम, करीम, केशव, हरि, हजरत नाम धराया । 

गहना एक कनकं ते गहना तो में नाव न दूजा

काहन सुनन को दुई फरथापे एक नेवाज एक पूजा: 

वही महादेव, वही मोहम्मद, ब्रह्मा, आदम कहिए 

कोई हिन्दु कोई तूरक कहावं एक जमीं पर रहिए :

वेद किताब पढे ये पुरवा, वै मौलाना, वे पांडे 

विगत-विगत के नाम धरायो एक माटी के भांटे।

 

  • एक ही ईश्वर  के अलग-अलग नाम है – अल्लाह, राम, रहीम, केशव हरी और हजरत

  • जिस तरह एक ही सोना से कई प्रकार के गहने बनाए जाते हैं उसी तरह महादेवी, मोहम्मद हैं 

  • चाहे मौलवी कुतबा पढ़े  या पांडे वेद पढ़े सब एक हैं

  • सभी लोग अपने धर्म को श्रेष्ठ मानते हैं और दूसरे की धर्म को बेकार

  •  धर्म का मुख्य भाव को समझना चाहिए 

    • इसी को लेकर इकबाल साहब ने कहा है मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना

  • भारत में संविधान या कानून किसी धर्म को अलग से सुविधा नहीं देता है सभी धर्म को बराबर दर्जा का अधिकार है

हम सभी भारतवासी का यह कर्तव्य है 

कि हम अपने देश की रक्षा करें 

इसकी समृद्धि एवं  तरक्की का प्रयास करे  

पूरी दुनिया में इसका नाम रोशन करें 

यही हमारा कर्तव्य है

Q.’सर्वधर्म समभाव आर राष्ट्रीय एकता’ पाठ केकर लिखल लागे? डॉ. बी. एन. ओहदार

Q.”सर्वधर्म समभाव आर राष्ट्रीय एकता’ पाठ कोंन किताब से लेल गेल हे? खोरठा निबंध

Q.’ ‘सर्व धर्म समभाव आर राष्ट्रीय एकता पाठ कइसन भावेक (रकमेक) रचना लागे? विचार प्रधान (बैचारिक) 

Q.’आपन-आपन धरम की हेव हे? 

Q.”सर्व धर्म समभाव आर राष्ट्रीय एकता’ निबंध कर मूल उदेस हेसोब धरमेक एके उदेस हे-समाजेक भलाइ 

Q.‘दोसर के भलाइ करेक जइसन पुइन नांय दोसर के सतावेक जइसन पाप नाय  “धरम के बारे में के बतवल हथ  ? व्यास जी महाभारत में

Q.’ ‘परहित सरिस धरम नहीं भाई परपीड़ा सम नहीं अधमाई ई कथन केकर लागे ? तुलसीदास कर

Q.’ ‘अष्टादश पुराणेसु व्यसाय वचन द्वयम परोपकारः पुण्याय पापाय पर पीडनम्’ ई

श्लोक कोन कहल हथ ? व्यासमुनि 

Q.’ ‘अल्हा, राम, करीम, केशव, हरि, हजरत नाम धराया’ ई केकर कथन लागे ? कबीर दास

Q.’ ‘ला इलह इल्लिसाह मुहम्मद रसूलिल्साह’ ई कथन कोन धरम में कहल गेल हे ?इस्लाम धरम 

Q.’ “बिजलिक करेन्ट बा पावर’ कइसन रह हे ? अदृश्य 

Q.’ बिजलिक करेन्ट नीयर कोन हे ? ईश्वर

Q.’ ‘मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना’ ई केकर कथन लागे ? इकबाल साहेब कर

Leave a Reply