भारत की इंडो-इस्लामिक वास्तुकला Indo Islamic Architecture of India

 भारत की इंडो-इस्लामिक वास्तुकला (Indo Islamic Architecture of India)

  • इस्लाम का उद्भवईसा की सातवीं शताब्दी में अरब के रेगिस्तान क्षेत्र में हुआ था।
  • उत्तरी भारत में इस्लाम का आगमन 12वीं शताब्दी में हुआ। 

 

इंडो-इस्लामिक स्थापत्य की विशेषताएँ

  • इस स्थापत्य काल में भारतीय एवं ईरानी शैलियों के मिश्रण के प्रमाण मिलते हैं। 
  • सुल्तानों, अमीरों एवं सूफियों के मकबरे की निर्माण परंपरा इसी काल में शुरू हुई। 
  • शहतीरी शिल्पकला 
  • मेहराबी गुंबद कला 
  • गुंबद और मेहराब इस्लाम की देन नहीं है, इसकी आरंभिक संरचना रोम में मिलती है और इसे भारत लाने का श्रेय कुषाण शासकों को दिया जाता है। 
    • भारत में इसे लोकप्रिय बनाने का श्रेय तुर्की शासकों को जाता है। 
  • भवन निर्माण सामग्री में पत्थरों का प्रयोग किया गया 
    • पत्थरों को आपस में जोड़ने के लिये चूना पत्थर, गारा, जिप्सम का प्रयोग किया गया था। 
    • इमारतों की साज-सज्जा में अरबस्क शैली’ उभरकर सामने आई। 

 

आधार

शहतीरी शिल्प शैली

मेहराब-गुंबद शैली

पहचान 

लिंटल और स्तम्भ का प्रयोग 

मेहराब और गुंबद का प्रयोग 

शीर्ष भाग 

कोणीय या वक्रीय सिखर 

अर्धगोलाकार गुंबद

मीनार 

अनुपस्थित 

चारो कोनो में मीनार निर्माण 

सामग्री 

पत्थर 

पत्थर,चूना पत्थर, गारा, जिप्सम

 

मामलुक वंश (गुलाम वंश) के शासकों का वास्तुकला 

 

कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद 

  • कुतुबुद्दीन ऐबक ने 
  • दिल्ली विजय के उपलक्ष्य में 
  • 1192 में दिल्ली में इसका निर्माण करवाया।
  • 27 हिंदू एवं जैन मंदिरों के ध्वस्त किये गए स्थापत्य खंडों पर बनाया गया है 
  • इसे ‘अनंग पाल की किल्ली’ भी कहते हैं। 
  • इल्तुतमिश ने इस मस्जिद के प्रांगण को दोगुना करवाया
  • अलाउद्दीन खिलजी ने इस पर कुरान की आयतें लिखवाईं।

 

कुतुबमीनार

  • कुतुबुद्दीन ऐबक ने ,1199 में 
    • सूफी संत ‘ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी‘ की स्मृति में
  • कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद के परिसर में, इसका निर्माण शुरू करवाया
  • इल्तुतमिश ने चार मंज़िला तक पहुँचा दिया। 
  • लाल बलुआ पत्थर से निर्मित 
  • यह भारत की सबसे ऊँची मीनार (238 फीट)
  • वर्तमान में यह पाँच मंजिला है। 
  • मरम्मत करवाने वाले 
    •  फिरोजशाह तुगलक, सिकंदर लोदी व मेजर आर.स्मिथ 

 

अढ़ाई दिन का झोंपड़ा 

  • कुतुबुद्दीन ऐबक ने , अजमेर में 
  • यहाँ चलने वाले ढाई दिन के उर्स के कारण यह नाम पड़ा। 
  • इसे हिंदू  इमारत के ध्वंस पर बनी मस्जिद कहा जाता है।

 

सुल्तानगढ़ी का मकबरा 

  • किसने बनवाया इल्तुतमिश ने ,1231 में ,कुतुबमीनार के निकट
    • अपने बड़े पुत्र नासिरूद्दीन महमूद की याद में 
  • यह सल्तनत काल का पहला मकबरा है।

 

 इल्तुतमिश का मकबरा 

  • इस मकबरे का निर्माण–  1235 में, इल्तुतमिश ने, कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद के समीप करवाया। 
  • इल्तुतमिश की अन्य देन 

रज़िया सुल्तान  की कब्र

  • बाबुलीखाना में ( अन्य स्रोत – कैथल – करनाल, हरियाणा में )

 

बलबन का मकबरा

  • दिल्ली में कुतुब परिसर में स्थित
  •  बलबन के मकबरे में सर्वप्रथम वास्तविक मेहराब का रूप देखने को मिलता है। 

 

खिलजी वास्तुकला

  • 1303 में अलाउद्दीन खिलजी ने सीरी में अपनी नई राजधानी नगर की स्थापना की। 
  • सीरी के भीतर उसने तोहफेवाला गुंबद, हौज-ए-अलाई (हौज खास) आदि का निर्माण करवाया। 

अलाई दरवाजा

  • 1310-1311 में निर्मित
  • पहली बार वास्तविक गुंबद का स्वरूप अलाई दरवाजा में ही दिखाई देता है। 
  • निज़ामुद्दीन औलिया की दरगाह(नई दिल्ली ) पर खिज्र खाँ द्वारा जमातखाना मस्जिद बनवाया गया
  • मुबारकशाह खिलजी द्वारा राजस्थान के बयाना में ‘उखा मस्जिद’ बनवाया गया

 

तुगलक वास्तुकला

  • फिरोजशाह तुगलक ने वास्तुकला विभाग (दीवान-ए-इमरतिया) की स्थापना की थी। 

 

तुगलकाबाद का किला

  • गयासुद्दीन तुगलक ने तुगलकाबाद नगर का निर्माण करवाया। 
  • यह दिल्ली का तीसरा नगर था। 

 

जहाँपनाह नगर 

  • मुहम्मद बिन तुगलक ने इसकी स्थापना रायपिथौरा एवं सीरी को मिलाकर की। 

 

गयासुद्दीन का मकबरा 

  • तुगलकाबाद किले के पास  
  • पंचभुज आकार 
  • लाल बलुआ पत्थर से 

 

कोटला फिरोज़शाह 

  • यमुना के पास फिरोजाबाद, फिरोजशाह तुगलक द्वारा निर्मित 
  •  ‘कुश्क-ए-शिकार’ महल 
    • इसके सामने अशोक का दूसरा स्तंभ है। 
    • यह शिकारगाह था। 
  • दिल्ली में अन्य स्मारक 
    • फिरोज़शाह का मकबरा
    • दरगाह हजरत रोशन चिराग
    • निजामुद्दीन औलिया की दरगाह
    • अमीर खुसरो का मकबरा
    • कबीरूद्दीन का मकबरा या लाल गुंबद (रकाबवाला)
    • चिड़ियाघर 
  • फिरोज़शाह तुगलक के वज़ीर ‘खान-ए-जहाँ तेलंगानी’ का उसके पुत्र द्वारा बनवाया गया अष्टकोणीय मकबरा भी बहुत प्रसिद्ध है।
  • कुछ प्रमुख मस्जिद
    • खिड़की मस्जिद
    • काली मस्जिद
    • बेगमपरी मस्जिद
    • कला मस्जिद
    • संचार मस्जिद 
    • फिरोज़शाह के बेटे फतह खाँ का मकबरा 

 

सैयद और लोदीकालीन वास्तुकला

  • खिज्र खाँ ने दिल्ली में ‘खिज्राबाद’ का निर्माण करवाया
  • मुबारक शाह ने ‘मुबारकाबाद’ का निर्माण करवाया। 
  • इस दौर में अमीरों द्वारा निर्मित इमारतें चतुर्भुजी और शासकों द्वारा निर्मित इमारतें अष्टभुजी हैं। 

 

सिकंदर लोदी का मकबरा – लोधी गार्डन, नई दिल्ली

  • इब्राहिम लोदी ने इसे 1517 में बनवाया। 
  • यह अष्टकोणीय मकबरा हैं।

 

मोठ की मस्जिद 

  • 1505 में ,सिकंदर लोदी के वज़ीर मियाँ भोइया (भुयां) ने बनवाया। 
  • यह चतुर्भुजी इमारत है
  • पाँच मेहराब हैं । 

 

मध्यकालीन प्रांतीय शैलियों का स्थापत्य 

जौनपुर  का स्थापत्य

  • जौनपुर  का स्थापत्य की महत्त्वपूर्ण इमारत
    • जौनपुर में झंझरी मस्जिद (1430 )
    • अटाला मस्जिद (1393-1408 ) 
    • जामा मस्जिद (1470 ) 
    • शाही किला, लाल दरवाज़ा मस्जिद, अकबरकालीन शाही पुल 

 

गुजरात  का स्थापत्य

  • गुजरात शैली की महत्त्वपूर्ण इमारत
    • जामा मस्जिद(गुजरात) –  निर्माण अहमद शाह प्रथम ने करवाया था। 
    • चंपानेर जामा मस्जिद – सुल्तान महमूद बेगड़ा ने बनवाई।
    • सीदी बशीर मस्जिद – अहमदाबाद 
      • अपनी झूलती मीनारों के लिये  प्रसिद्ध है। 
    •  मिर्जापुर की रानी रूपमती मस्जिद 
    • कांकरिया झील 

 

कश्मीर  का स्थापत्य

  • मदनी का मकबरा श्रीनगर
  • मदीन साहिब मस्जिदश्रीनगर 
  • श्रीनगर में ‘जामा मस्जिद’ का निर्माण– सिकंदर शाह मीरी ने कराया
    •  सिकंदर शाह मीरी ‘बुतशिकन’ के नाम से प्रसिद्ध शासक
    • श्रीनगर ‘जामा मस्जिदका विकास कश्मीर के महान शासक जैनुल आबिदीन ने कराया। 

 

बहमनी (दक्कनी शैली)  स्थापत्य

  • दक्कन में भारतीय, तुर्की, मिस्र और ईरानी शैलियों का समन्वय था। इसे दक्कनी शैली या बीजापुर शैली कहते हैं। 
  • इस शैली में गुलबर्ग, बीजापुर, हैदराबाद में निर्मित किए गए भवन हैं। 
  • बहमनी (दक्कनी शैली)  स्थापत्य में निर्मित 
    • गुलबर्ग और बीदर की मस्जिदें
    • मोहम्मद आदिलशाह का मकबरा
    • बीजापुर का गोल गुंबद
    • दौलताबाद की मीनार
    • बीदर का महमूद गवाँ का मदरसा 
  • गोलकुंडा का किला –  हैदराबाद 
    • इसे काकतीय राजाओं ने बनवाया था। 
    • यह कोलेरू झील के पास है। 
  • चारमीनार – हैदराबाद
    • 1591में मुहम्मद कुली कुतुबशाह द्वारा निर्मित 
  • 1750 में निज़ाम सलावत जंग ने तेहरान के शाह पैलेस की तर्ज पर ‘चौमहला महल’ बनवाना शुरू किया
    • यह अफजल-उद्-दौला बहादुर (आसफजाह पंचम 1857-1869) के शासनकाल में पूर्णतः निर्मित हुआ। 

 

बंगाल  का स्थापत्य

  • बंगाल की प्रमुख इमारत
    • ज़फर खाँ गाज़ी का मकबरा
    • पंडुआ में बनी विशाल ‘अदीना’मस्जिद (सिकंदर शाह द्वारा निर्मित) 
    • एकलाखी का मकबरा
    • लोटन मस्जिद
    • बड़ा सोना मस्जिद
    • छोटा सोना मस्जिद
    • कदम रसूल मस्जिद 

 

ग्वालियर का स्थापत्य

  • राजा मानसिंह तोमर ने ग्वालियर के किले को 15वीं शताब्दी में बनवाया था। 
    • किले के उत्तरी सिरे पर जहाँगीरी महल, शाहजहाँ महल, कर्ण महल, विक्रम महल और जल जौहर कुंड हैं। 
  • जहाँगीरी महल को चित्र मंदिर या चित्रकारी के महल के नाम से भी जाना जाता है। 
  • किले में इसके अलावा सास-बहू का मंदिर, तेली का मंदिर, जयविलास महल आदि इमारतें हैं। 
  • ग्वालियर किले में तानसेन और सूफी संतु गौस मोहम्मद का मकबरा है। 
  • किले में बना गुजरी महल विशिष्ट है। 
  • इसे 15वीं सदी में राजा मानसिंह ने अपनी पत्नी मृगनयनी के प्रेम में बनवाया था। 

 

मालवा  का स्थापत्य

  • मांडू और धार की इमारत 
  • वास्तुकला की पठान शैली के रूप में मालवा शैली जानी जाती है 
  • 1400 में मालवा में पहली इमारत कमाल मौला मस्जिद बनाई गई
  •  धार में लाट मस्जिद, दिलावर खाँ मस्जिद बनाई गईं। 
  • मांडू में जहाज़ महल, तवेली महल, हिंडोला महल, अशर्फी महल,होशंगशाह का मकबरा आदि 

 

जयपुर  का स्थापत्य

  • जयपुर की स्थापना कछवाहा राजा जयसिंह द्वितीय ने 1727 में की। 
  • जयपुर को  ‘गुलाबी शहर’ कहते हैं। 
  • जयपुर के प्रमुख ईमारत 
    • चंद्रमहल – राजा जयसिंह द्वितीय का राजकीय आवास
    • मुबारक महल – चतुष्कोणीय भवन
    • जंतर-मंतर वेधशाला  
      • 1734 में सवाई राजा जयसिंह ने निर्माण करवाया। 
      • जयपुर के महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने नई दिल्ली, जयपुर, उज्जैन, मथुरा और वाराणसी में कुल  पांच जंतर मंतर का निर्माण किया
      • जंतर मंतर को उज्बेकिस्तान में समरकंद 1339-1449 के राजा उलुग बेग शासक की वेधशाला का नवीनीकरण संस्करण भी कहा जाता है।
      • जयपुर के महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने 1724 में दिल्ली में पहली खगोलीय वेधशाला का निर्माण किया।
      • जयपुर खगोलीय वेधशाला, जंतर मंतर- को 1729 में बनाया गया माना जाता है
      • इनका मूल नाम विजय सिंह था और उनके छोटे भाई का नाम जय सिंह था
      • लेकिन औरंगजेब ने  विजय सिंह का नाम परिवर्तित करके  जयसिंह कर दिया और उनके छोटे भाई का नाम जय सिंह से विजय सिंह रखा
      • औरंगजेब ने ही इनको सवाई की उपाधि दी थी जिसके बाद यह सवाई जय सिंह के नाम से प्रसिद्ध हुए हैं
      • इनके द्वारा 1727 में सवाई जयनगर की नींव  रखा गया जो कि आगे चलकर जयपुर बना
      • जयपुर को पिंक सिटी अथवा गुलाबी नगरी भी कहते है।
      • जयपुर की स्थापना आमेर के महाराजा सवाई जयसिंह (द्वितीय) ने की थी।
      • यूनेस्को द्वारा जुलाई 2019 में जयपुर को वर्ल्ड हेरिटेज सिटी का दर्जा दिया गया है
    • सम्राट यंत्रविश्व की सबसे बड़ी सौर-घड़ी 
      • इसे यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया है। 
    • हवा महल’ – (निर्माण – सवाई प्रताप सिंह ने ,1799 में )
      • इसमें 953 खिड़कियाँ व जालीदार छज्जे हैं
  • जयपुर में स्थित 
    • ईसरलाट (स्वर्गसुली) टावर, आमेर का किला, गोविंद देवजी का मंदिर, सांगानेर, जयगढ़ किला, नाहरगढ़ किला, दरगाह हजरत मौलाना जियाउद्दीन साहब तथा पन्ना मीणा की बावरी 
  • अलवर में स्थित 
    • नीमराना फोर्ट पैलेस ,भर्तृहरि का मंदिर 
  • बीकानेर में स्थित 
    • जूनागढ़ किला, करणीमाता का मंदिर, बीकानेर का किला, सूरज पोल या सूर्य द्वार, लालगढ महल तथा जोधपुर में मेहरानगढ़ किला, उम्मेद महल 
  • चित्तौड़गढ़ में स्थित 
    • चित्तौडगढ़ किला, रत्न सिंह महल, जैन फतेह प्रकाश महल, कलिका माता का मंदिर, कुंभस्वामी मंदिर, कुंभा महल, रानी पद्मिनी का महल तथा कीर्ति स्तंभ 

 

अवध/लखनऊ का स्थापत्य 

  • अवध प्रांत की राजधानीलखनऊ
  • बड़ा इमामबाड़ालखनऊ 
    • निर्माण – नवाब आसिफउद्दौला (शासनकाल 1775-97) ने करवाया। 
    • रूमी दरवाज़ा इमामबाड़ा के पश्चिमी में है। 
  • छोटा इमामबाड़ा-लखनऊ  (हुसैनाबाद इमामबाड़ा)
    • इसे मुहम्मद अली शाह ने बनवाया। 
  • क्लाउड मार्टिन (1735-1800) ने ‘कांस्टैंटिया’ या ‘ला मार्टीनियर’ इमारत बनवाई। 
  • छत्तर मंजिल–  नसीरूद्दीन हैदर ने बनवाया। 
  • कैसर बाग का निर्माणबाब वाजिद अली शाह ने
  • अवध की इमारतों की प्रमुख विशेषता उनके दरवाजों में सजावट हेतु मछली के चित्रों का इस्तेमाल करना है।
  • अन्य ईमारत 
    • सफेद बारादारी, सिकंदर बाग, बनारसी बाग (चिड़ियाघर), भूलभुलैया

 

सूरी स्थापत्य/अफगान वास्तुकला 

  • शेरशाह सूरी
    • उसके पुत्रइस्लाम शाह या सलीम शाह 
  • शेरशाह सूरी युग का सबसे बेहतरीन स्थापत्य का नमूना उसका स्वयं का 
  • शेरशाह सूरी मकबरा – सासाराम (रोहतास,बिहार) में 
    • यह झील के बीच एक ऊँचे टीले पर निर्मित है।
    • उसने रोहतास में एक किला भी बनवाया। 
  • शेरशाह ने दिल्ली पर कब्जा कर ‘शेरगढ़’ या ‘दिल्ली शेरशाही’ की नींव डाली।
  • शेरशाह ने ‘दीनपनाह’ को तुड़वाकर उसके मलबे पर ‘पुराने किले’ का निर्माण करवाया। 
    • 1541 में शेरशाह ने इस किले के अंदर ‘किला-ए-कुहना’ मस्जिद का निर्माण करवाया। 
  • शेरशाह ने रोहतासगढ़ के दुर्ग एवं कन्नौज के स्थान पर ‘शेरसूर’ नगर बसाया 
  • 1541 में पाटलिपुत्र को पटना नाम से पुनः स्थापित किया।
  • सलीम शाह सूरी ने दिल्ली में यमुना किनारे एक नए नगर सलीमगढ़ या नूरगढ़ बसाने का प्रयास किया। 

 

मध्यकालीन स्थापत्य में क्षेत्रीय राज्यों के योगदान 

 

मुगलकालीन स्थापत्य 

  • इंडो-इस्लामिक स्थापत्य का अंतिम पड़ाव 
  • खुरदरे पत्थर, लाल बलुआ पत्थर तथा संगमरमर तीनों का इस्तेमाल 
  • पित्रादूरा तकनीक (संगमरमर पत्थर पर जवाहरात का जड़ाऊ काम

 

बाबर काल 

  • बाबर काल की देन
    • पानीपत की काबुली बाग मस्जिद
    • संभल की जामी मास्जिद
    • मीर बाकी द्वारा तैयार अयोध्या की बाबरी मस्जिद 
    • आगरा का रामबाग 
  • हुमायूँ ने दिल्ली में ‘दीनपनाह’ नामक भवन की नींव डाली थी। 

 

अकबर काल – अकबर के शासनकाल में में निर्मित 

 

हुमायूँ का मकबरा – Delhi

  • निर्माणकर्ता – हमीदा बानो बेगम , 1570 में 
  • डिज़ाइन – फारसी शिल्पकार मलिक मिर्जा ग्यास बेग ने तैयार की थी। 
  • लाल बलुआ पत्थरों से निर्मित 
  • चारबाग शैली पर आधारित 
  • इस इमारत के दोहरे गुंबद में संगमरमर का इस्तेमाल हुआ है। 
  • इसी इमारत की डिज़ाइन पर आगे चलकर ताजमहल का निर्माण किया गया। 

 

आगरा का किला 

  • आगरा शहर की स्थापनासिकंदर लोदी ने 1504 में की थी
  • आगरा किला  का निर्माणकर्ता – अकबर ने, 1565 में
  • आगरा फोर्ट में दो दरवाजे हैं – दिल्ली गेट और अमर सिंह गेट। 
    • इन गेटों पर अकबर ने मेवाड़ की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति देने वाले जयमल और फत्ता की मूर्तियाँ लगवाईं। 
  • आगरा फोर्ट में अकबरी महल और जहाँगीरी महल है । 
    • जहाँगीरी महल (शहजादा सलीम का आवास) पर ग्वालियर किले का प्रभाव है। 
    • अकबरी महल ( अकबर का आवास) पर बंगाल स्थापत्य का प्रभाव रहा। 

 

फतेहपुर सीकरी का किला 

  • फतेहपुर सीकरी आगरा में स्थित है 
    • यह जगह प्राचीन काल में साकरी रूपबल’ था
    • साकरी रूपबल में पत्थर पर संगतराशी का काम चलता था। 
  • फतेहपुर सीकरी  किला का निर्माणकर्ता –  अकबर 
    • लाल बलुआ पत्थर से 
    • इसे अपनी प्रशासनिक राजधानी बनाया।
    • इस किले में एक कृत्रिम झील (अनूप तालाब)  
  • बुलंद दरवाज़ा को अकबर ने गुजरात विजय के उपलक्ष्य में बनवाया था।
  • फतेहपुर सीकरी की डिज़ाइन –  बहाउद्दीन ने तैयार की थी। 
  • फतेहपुर सीकरी में अन्य इमारत
    • दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, जामा मस्जिद, इबादत-खाना, सलीम चिश्ती का मकबरा, बुलंद दरवाजा, हिरण मीनार, मीना बाजार, ज्योतिषी की बैठक, हवा महल, पंच महल, बीरबल महल, जोधा का महल, मरियम का महल तथा तुर्की सुल्ताना की कोठी आदि 
  •  मरियम का महल पेंटिंग और मीनाकारी के कारण प्रसिद्ध है। 

 

जहाँगीर काल 

  • स्थापत्य का विश्राम काल 
  • जहाँगीर काल में निर्मित 
    • अकबर का मकबरा ( सिकंदरा – आगरा)
    • एत्मादुद्दौला का मकबरा (आगरा)
    • अब्दुर्रहीम खानखाना का मकबरा (दिल्ली)
    • अनारकली का मकबरा (लाहौर)
    • जहाँगीर का मकबरा (लाहौर)
    • दिलकुशा बाग (लाहौर)
    • शालीमार बाग (कश्मीर)
  • सिकंदरा स्थित अकबर के मकबरे पर हिंदू, मुस्लिम, बौद्ध और ईसाई कलाओं का प्रभाव है। 

 

एत्मादुद्दौला का मकबरा 

  • निर्माणकर्ता –   नूरजहाँ ,1626-28 में 
    • नूरजहाँ मिर्जा ग्यास बेग उर्फ एत्मादुद्दौला की पुत्री थी। 
  • आगरा में 
  • यमुना किनारे 
  • सफेद संगमरमर से निर्मित 

 

मरियम-उज-जमानी का मकबरा 

  • सिकंदरा मेंजहाँगीर ने इसे बनवाया
  • अकबर के मकबरे के निकट एक बाग में स्थित है । 
  • अकबर की पत्नी और जहाँगीर की माँ हरखाबाई का माना है। 
  • जहाँगीर ने मरियम-उज-जमानी की याद में लाहौर में भी मस्जिद बनवाई थी। 

 

शाहजहाँ काल 

  • मुगल स्थापत्य कला का स्वर्णयुग  
    • संगमरमर पत्थरों का अत्यधिक इस्तेमाल 
    • पित्रादूरा तकनीक का अत्यधिक इस्तेमाल। 
  • शाहजहाँ की स्थापत्य संबंधी विशिष्ट देन
    • आगरा के किले का पुनरुद्धार
    • शाहजहाँनाबाद शहर की स्थापना
    • दिल्ली में लाल किला व जामा मस्जिद का निर्माण 
    • आगरा में ताजमहल का निर्माण 

 

लाल किला 

  • दिल्ली को बसाने का श्रेय – शाहजहाँ को है। 
  • ‘शाहजहाँनाबाद’ नगर की स्थापना
    • शाहजहाँ ने, 1638 में, यमुना नदी के तट पर
    • इस नगर में चांदनी चौक बाज़ार बनाया गया 
    • बाज़ार के बीच से ‘नहर-ए-बिहिस्त’  नहर निकाली गई । 
  • शाहजहाँनाबाद नगर में अष्टभुजाकार ‘लाल किला’ का निर्माण करवाया गया। 
    • 1648 में लाल बलुआ पत्थर से निर्मित 
    • इस किले में रंग महल, हीरा महल, नौबतखाना, दीवान-ए-आम, दीवान-ए- खास आदि इमारतें हैं। 
    • दीवान-ए-आम छत के नीचे तख्त-ए-ताऊस’ से लगे हुए रंगमहल का निर्माण शाही परिवार के लोगों के लिये किया गया था। 
    • किले में बने रंगमहल इमारत को ‘शीश महल’ भी कहते हैं। 
    • किले में मुसम्मन बुर्ज है, जहाँ बादशाह आम जनता को दर्शन दिया करते थे।

मध्यकाल में विभिन्न राजधानी के रूप में दिल्ली

नाम

शासक

किला-ए-राय पिथौरा

तोमर वंश 

चौहान वंश 

मामलूक सुल्तान के दौर तक 

सीरी किला

अलाउद्दीन खिलजी द्वारा

तुगलकाबाद

गियासुद्दीन तुगलक द्वारा 

अदिलाबाद

मुहम्मद बिन तुगलक द्वारा

कोटला फिरोज़शाह

फिरोजशाह तुगलक द्वारा

पुराना किला/दीनपनाह

शेरशाह/हुमायूँ द्वारा

शाहजहाँनाबाद दिल्ली/लालकिला

शाहजहाँ द्वारा

 

  • लाल किले के भीतर मोती मस्जिद का निर्माण  – औरंगजेब ने 
  • मोती मस्जिदके बाएँ हयात बख्श बाग बनाया गया है। 
  • हयात बख्श बाग के पास दो मंडप  है। 
    • ‘सावन मंडप’ 
    • भादो मंडप’ 
  • महलों की पंक्तियों के दक्षिणी छोर पर ‘मुमताज महल’ है, जिसे अब पुरातत्त्व संग्रहालय बना दिया गया है।

 

ताजमहल

  • किसने बनवायाशाहजहाँ ने, आगरा में, यमुना नदी के तट पर, 
  • बेगम ‘मुमताज़ महल’ (अर्जुमंद बानो बेगम) की याद में 
  • 1631-53 के बीच बनवाया था।
    •  यूनेस्को के अनुसार ताजमहल 1631-1648 के मध्य निर्मित हुआ। 
  • उस्ताद अहमद लाहौरी ने इसकी डिज़ाइन तैयार की । (उस्ताद ईशा खान )
  • श्वेत संगमरमर से निर्मित 
  • पित्रादूरा शैली में सजावट का काम 
  • ताजमहल कई इमारतों से प्रेरित रहा
    • डिज़ाइन और चारबाग शैली मेंहुमायूँ के मकबरे से प्रेरित 
    • इस्लामिक सादगी के मामले मेंअकबर के मकबरे से प्रेरित
    • कब्र डिज़ाइन के मामले में  – मांडू के होशंगशाह के मकबरे से प्रेरित 
    • संगमरमर एवं पित्रादूरा तकनीक के इस्तेमाल मेंएत्मादुद्दौला के मकबरे से प्रेरित 
    • झील में भवन के प्रतिबिंब बनने के मामले में –  शेरशाह के मकबरे, सासाराम  से प्रेरित
  • यह यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल होने वाला भारत का प्रथम स्मारक है। 
    • 1983 में 

पित्रादूरा तकनीक 

  • पित्रादूरा का शाब्दिक अर्थ है :  हार्ड-स्टोन या कठोर पत्थर। 
  • यह पत्थरों पर जड़ाऊ काम है, जिसका इस्तेमाल मुगल स्थापत्य कला में किया गया है। 

औरंगजेब काल 

 

रबिया-उद्-दौरानी का मकबरा 

  • औरंगजेब ने बेगम दिलरास बानो बेगम( रबिया-उद्-दौरानी) की याद में बनवाया।
  • इसे ‘दक्कनी ताज’ या ‘बीबी का मकबरा’ भी कहते हैं। 
  • वास्तुकारअताउल्लाह (उस्ताद अहमद लाहौरी का पुत्र) और हंसपत राय थे।
  • इसके निर्माण में भी संगमरमर का इस्तेमाल हुआ है 

सफदरजंग का मकबरा – दिल्ली 

  • मुगल बादशाह मुहम्मद शाह (1719-1748) के  प्रधानमंत्री सफदरजंग की स्मृति में नवाब शुजादुल्लाह ने 1754 में बनवाया था। 

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