झारखण्ड में बहुद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएँ

बहुद्देशीय नदी घाटी परियोजना

  • एक से अधिक उद्देश्य
  • बहुद्देशीय नदी घाटी परियोजना का उद्देश्य
    • सिंचाई
    • विद्युत् उत्पादन
    • बाढ़ नियंत्रण
    • मतस्य पालन
    • पेय जल
    • पशुओं के लिए चारा उत्पादन

झारखण्ड में बहुद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएँ

1. दामोदर नदी घाटी परियोजना

  • भारत की प्रथम बहुद्देशीय परियोजना
  • निर्माण – 1948 ई. में , टेनेसी नदी परियोजना (अमेरिका) के आधार पर
  • झारखण्ड एवं पश्चिम बंगाल की संयुक्त परियोजना
  • इस परियोजना के अंतर्गत
    • 8 बड़े बाँध
    • 1 अवरोधक बाँध
      • दुर्गापुर बाँध
    • 6 जल-विद्युत गृह
      • तिलैया, मैथन, पंचेत, बेरमो ,बाल पहाड़ी, एवं कोनार
    • 3 तापीय विद्युत गृह

दामोदर घाटी निगम (DVC)

दामोदर नदी घाटी परियोजना के 8 बाँध

बराकर नदी

(दामोदर की सहायक)

  1. तिलैया
  2. मैथन
  3. बाल पहाड़ी

दामोदर नदी

  1. पंचेत
  2. अय्यर
  3. बेरमो

बोकारो नदी

(दामोदर की सहायक)

  1. बोकारो

कोनार नदी

(दामोदर की सहायक)

  1. कोनार

दामोदर घाटी परियोजना के 4 प्रमुख बाँध (TKMP)

तिलैया

  • प्रारंभ की तिथि-21-02-1953
  • संबंधित नदी – बराकर
  • संबंधित जिला- कोडरमा
  • जलग्रहण क्षेत्र- 984 Sq Km

कोनार

  • प्रारंभ की तिथि-15-10-1955
  • संबंधित नदी – कोनार
  • संबंधित जिला- हजारीबाग
  • जलग्रहण क्षेत्र- 997 Sq Km

मैथन

  • प्रारंभ की तिथि-27-09-1957
  • संबंधित नदी – बराकर
  • संबंधित जिला- धनबाद
  • जलग्रहण क्षेत्र- 6293 Sq Km

पंचेत

  • प्रारंभ की तिथि- 06-12-1959
  • संबंधित नदी -दामोदर
  • संबंधित जिला- धनबाद
  • जलग्रहण क्षेत्र- 10966 Sq Km

2. स्वर्णरेखा नदी परियोजना

  • प्रारंभ – 1982-83 ई. में
  • झारखण्ड, पश्चिम बंगाल तथा उड़ीसा की संयुक्त परियोजना
  • विश्व बैंक के सहयोग से शुरू
  • परियोजना के तहत निर्मित डैम

स्वर्णरेखा नदी

खरकई नदी

  1. चांडिल बाँध (सरायकेला-खरसावां)
  2. गोलूडीह बाँध (पूर्वी सिंहभूम)
  3. पालना बाँध (सरायकेला-खरसावां)
  1. ईचा बाँध (पश्चिमी सिंहभूम)
  2. गजिया बाँध (पूर्वी सिंहभूम)

3. मयूराक्षी परियोजना

  • यह झारखण्ड एवं पश्चिम बंगाल की संयुक्त परियोजना है।
  • बाँध – मसानजोर बाँध/कनाडा बाँध (कनाडा के सहयोग से,1955 में)
    • स्थान – मसानजोर , दुमका
    • नदी – मयूराक्षी पर

4. उत्तरी कोयल परियोजना

  • अवस्थित – उत्तरी कोयल नदी पर
    • शुरू 1972 मे
    • मंडल डेम, 1993 मे रोक, 2019 मे पुन शुरू
    • एक बाँध एवं विद्युत गृह निर्मित – कुटकू ,गढ़वा
    • सिंचाई की सुविधा – गढ़वा तथा पलामू जिले को

5. कोयल-कारो परियोजना

  • अवस्थित – दक्षिणी कोयल नदी एवं उसकी सहायक कारो नदी पर
    • 1973-74 मे शुरू
    • 2 डैम (दक्षिणी कोयल नदी बसिया मे),
      • कारो नदी पर torpa मे)
    • 2003 में परियोजना बंद कर दिया गया।

Central Water Commission (CWC)

  • CWC monitors a total of 128 major water reservoirs in the country and out of these, six are in Jharkhand. (ES 2020-21 )
    1. Tenughat
    2. Maithon
    3. Panchet hill
    4. Konar
    5. Tilaiya
    6. Getalsud

The Composite Water Management Index (CWMI)- 2019

  • developed By : (NITI) Aayog
  • in the category of low performing states
    • Jharkhand Uttar Pradesh,Odisha, Bihar, Nagaland and Meghalaya
  • Jharkhand is the only Non-Himalayan state’ with zero treatment capacity.
  • In a group of Non-Himalayan states (17 states)
    • Jharkhand’s Rank – 17th

झारखण्ड में दो प्रकार की विद्युत परियोजनाएँ हैं 

  • ताप विद्युत परियोजना
  • जल विद्युत परियोजना

 

झारखण्ड में ताप विद्युत परियोजनाएँ 

 

ताप विद्युत परियोजना

क्षमता

जिला 

ताप विद्युत गृह

पतरातू 

840 

रामगढ़

  • रूस के सहयोग से चौथी पंचवर्षीय योजना के दौरान 1973 में स्थापित

बोकारो 

830 

बोकारो

  • कोयला आधारित प्रथम ताप विद्युत गृह 
  • दामोदर घाटी परियोजना के तहत स्थापित
  • बिजली उत्पादन प्रारंभ – 1953 में
  • बोकारो नदी पर स्थापित

चंद्रपुरा 

780 

चंद्रपुरा

बोकारो

  • स्थापना – 1965 ई. में
  • दामोदर घाटी निगम द्वारा स्थापित

तेनुघाट 

420 

तेनुघाट

बोकारो

  • स्थापना – 1990 के दशक में

झारखण्ड में जल विद्युत परियोजनाएँ 

1. तिलैया जल विद्युत केन्द्र

  • झारखण्ड की प्रथम जल विद्युत परियोजना 
  • स्थापना –  1953 ई. में दामोदर घाटी निगम द्वारा 
  • स्थित – कोडरमा जिले में बराकर नदी पर 

 

मैथन जल विद्युत केन्द्र 

  • स्थापना  – दामोदर घाटी निगम के अधीन 1957 में 
  • स्थित – धनबाद जिले में बराकर नदी पर 
  • गैस टरबाइन पर आधारित झारखण्ड का एकमात्र विद्युत उत्पादन केन्द्र 
  • यह दक्षिण-पूर्व एशिया में अपनी तरह का प्रथम विद्युत केन्द्र है।

 

स्वर्णरेखा जल विद्युत परियोजना

  • स्थापना1989 में ,
    • विश्व बैंक की सहायता से झारखण्ड, पश्चिम बंगाल तथा उड़ीसा सरकार द्वारा
  • अवस्थित –  राँची जिले में स्वर्णरेखा नदी पर 
  •  इस परियोजना का निर्माण किया गया है।

 

 कोनार जल विद्युत केन्द्र 

  • बोकारो जिले में कोनार नदी पर स्थित है। 
  • यहाँ भूमिगत जल विद्युत केन्द्र का निर्माण किया गया है। 

अय्यर जल विद्युत केन्द्र 

  • दामोदर नदी पर स्थित है। 

पंचेत जल विद्युत केन्द्र 

  • अवस्थित – धनबाद एवं पुरुलिया (प० बंगाल) की सीमा पर 

कोयलकारो परियोजना (प्रस्तावित)

  • यह परियोजना कोयल तथा कारो नदी पर राष्ट्रीय पनबिजली निगम (NHPC) द्वारा निर्मित किया जाना है।
  • परियोजना से संबंधित जिले –  राँची, गुमला और पश्चिमी सिंहभूम 
  • परियोजना के तहत विद्युत उत्पादन का लक्ष्य – 732 मेगावाट 
    • प्रथम चरण –  710 मेगावाट का उत्पादन 
    • द्वितीय चरण – 22 मेगावाट का उत्पादन 

 

राज्य की प्रमुख जल विद्युत परियोजना

परियोजना का नाम

जिला 

नदी 

स्थापना 

उत्पादन क्षमता ( किलोवाट)

तिलैया

कोडरमा

बराकर

1953 

60K kw

मैथन

धनबाद

बराकर

1957 

60K kw

कोनार

बोकारो 

कोनार

40K kw

पंचेत

धनबाद

दामोदर

40K kw

बाल पहाडी

गिरिडीह

बराकर

20K kw

अय्यर 

दामोदर

45K kw

स्वर्णरेखा

राची

स्वर्णरेखा

1989 

130 MW

 

राज्य की कुल विद्युत क्षमता का वर्गीकरण ( मेगावाट में)

(आर्थिक समीक्षा) 

स्वामित्व

राज्य सरकार 

केन्द्र सरकार 

निजी क्षेत्र

कुल

ताप विद्युत 

1190

314.93

900

2404.93

जल विद्युत

130

70.93

0

200.93 

नवीकरणीय ऊर्जा

4.05

0

16.19

20.24 

कुल

1324.05

(51%)

385.86

(35%)

916.19

(14%)

2626.10

 

  • झारखण्ड राज्य की कुल स्थापित विद्युत क्षमता2626 मेगावाट 
    • राज्य सरकार – 51% 
    • निजी क्षेत्र – 35%
    • केन्द्र सरकार – 14%
    • कोयला आधारित – 91%
    • जल आधारित– 08% 
    • नवीकरणीय– 01%

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