तुर्कों का आक्रमण
- भारत में मुस्लिम शासन की स्थापना का श्रेय तुर्कों को जाता है।
- तुर्क मुसलमान , चीन की उत्तरी-पश्चिमी सीमाओं पर निवास करने वाली एक लड़ाकू जाति थी।
- तुर्क, उमैय्यावंशी शासकों के संपर्क में आने के बाद इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया।
- तुर्कों का उद्देश्य एक विशाल मुस्लिम साम्राज्य स्थापित करना था।
अलप्तगीन sarkarilibrary.in
- अलप्तगीन बुखारा के सामानी वंश के शासक अब्दुल मलिक (954-961 ई.) का तुर्क दास था।
- 956 ई. में उसे खुरासान का राज्यपाल नियुक्त किया गया।
- 961 ई. में अब्दुल मलिक के देहांत के बाद उत्तराधिकार के संघर्ष –
- (अब्दुल मलिक के भाई मंसूर और चाचा) में
- अलप्तगीन ने अब्दुल मलिक के चाचा की सहायता की,
- परंतु अब्दुल मलिक का भाई मंसूर सिंहासन पाने में सफल रहा।
- अलप्तगीन अफगान प्रदेश के गजनी नगर में बस गया और यहाँ स्वतंत्र गज़नवी वंश की स्थापना की।
- अलप्तगीन की मृत्यु के बाद उसका पुत्र इस्हाक और उसके बाद बलक्तगीन गद्दी पर बैठा।
- बलक्तगीन की मृत्यु के बाद पीराई ने गज़नी पर अधिकार कर लिया ,जिसे हटाकर सुबुक्तगीन गद्दी पर बैठा।
सुबुक्तगीन sarkarilibrary.in
- सुबुक्तगीन , अलप्तगीन का गुलाम था।
- गुलाम की प्रतिभा से प्रभावित होकर उसने उसे अपना दामाद बना लिया और ‘अमीर-उल-उमरा’ की उपाधि से सम्मानित किया।
- सुबुक्तगीन ही प्रथम तुर्की था, जिसने हिंदूशाही शासक जयपाल को पराजित किया।
- भारत पर आक्रमण करने वाला प्रथम तुर्क (मुस्लिम) : सुबुक्तगीन था।
- सुबुक्तगीन के देहांत के बाद उसका पुत्र एवं उत्तराधिकारी महमूद गज़नवी (998-1030 ई.) गज़नी की गद्दी पर बैठा।
महमूद गज़नवी (998-1030 ई.) sarkarilibrary.in
- सुबुक्तगीन का ज्येष्ठ पुत्र – महमूद गज़नवी 998 ई. में 27 वर्ष में शासक बना।
- महमूद गज़नवी ने 1000 ई. से 1027 ई. तक भारत में कुल 17 बार आक्रमण किया।
- आक्रमण का मुख्य उद्देश्य – संपत्ति को लूटना
- महमूद ने 1000 ई. में भारत पर आक्रमण शुरू किये।
- 1001 ई. में हिंदुशाही शासक जयपाल को पेशावर के निकट पराजित किया।
- महमूद ने धन लेकर जयपाल को छोड़ दिया
- अपमानित महसूस करते हुए जयपाल ने अपने पुत्र आनंदपाल को राज्य सौंप कर आत्महत्या कर ली।
- महमूद का महत्त्वपूर्ण आक्रमण मुल्तान पर हुआ
- रास्ते में भेरा के निकट जयपाल के पुत्र आनंदपाल को पराजित किया
- 1006 ई. में मुल्तान पर विजय प्राप्त की।
- 1008 ई. में महमूद ने पुनः मुल्तान पर आक्रमण किया और उसे अपने राज्य में मिला लिया।
- 1009 ई. में हिंदुशाही राजा आनंदपाल से बैहंद के निकट महमूद का युद्ध हुआ
- आनंदपाल पराजित हुआ और सिंध से नगरकोट तक महमूद का आधिपत्य स्थापित हो गया।
- 1014 ई. में महमूद ने थानेश्वर पर आक्रमण किया।
- 1018 ई. में महमूद ने कन्नौज क्षेत्र पर आक्रमण किया।
- वहाँ गुर्जर-प्रतिहार शासक के प्रतिनिधि राज्यपाल का शासन था।
- मार्ग में बरन (बुलंदशहर) के राजा हरदत्त ने आत्मसमर्पण किया
- मथुरा का शासक कुलचंद युद्धभूमि में मारा गया।
- महमूद ने मथुरा तथा निकटवर्ती क्षेत्रों के लगभग 1000 मंदिरों में लूटपाट करके नष्ट कर दिया।
- 1019 ई. में महमूद ने हिंदुशाही राजा त्रिलोचनपाल को परास्त किया
- 1020-21 ई. में महमूद ने बुंदेलखंड की सीमा पर विद्याधर की सेना के एक भाग को पराजित किया। विद्याधर साहस छोड़कर भाग गया।
- विद्याधर के साथ महमूद ने संधि कर ली
- विद्याधर को 15 किले उपहार स्वरूप दिये।
- 1021-22 में महमूद ने ग्वालियर के राजा कीर्तिराज को संधि के लिये विवश किया एवं कालिंजर के किले पर घेरा डाल दिया लेकिन जीत नहीं पाया।
- भारत में महमूद गज़नवी का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण अभियान – (1025-26 ई.), सोमनाथ का मंदिर (गुजरात) था।
- वहाँ का शासक भीम प्रथम था।
- महमूद इस मंदिर को नष्ट करके इसकी संपत्ति को लेकर सिंध के रेगिस्तान से वापस लौट गया।
- महमूद ने अंतिम आक्रमण – 1027 ई. में जाटों पर किया और उन्हें पराजित किया ।
- महमूद गज़नवी की मृत्यु – 1030 ई. में
महमूद गज़नवी का मूल्यांकन sarkarilibrary.in
- हिंदू धर्म की मूर्तियों को तोड़ने के कारण उसे ‘बुतशिकन’ या ‘मूर्तिभंजक‘ कहा गया।
- महमूद विद्वानों और कलाकारों का संरक्षक था।
- महमूद गज़नवी द्वारा जारी चांदी के सिक्कों के दोनों तरफ दो अलग-अलग भाषाओं में मुद्रालेख अंकित थे.
- यह मुद्रा लेख एक तरफ ‘अरबी‘ तथा दूसरी तरफ ‘संस्कृत‘ भाषा में थे।
- महमूद के दरबार में अलबरूनी, फिरदौसी, उत्बी एवं फर्रुखी आदि विद्वान थे।
- फिरदौसी ने ‘शाहनामा’ की रचना की।
- अलबरूनी, महमूद के समय भारत आया, जिसकी प्रसिद्ध पुस्तक ‘किताब-उल-हिंद’ है।
मुहम्मद गौरी sarkarilibrary.in
- भारत में मुसलमानों के साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक – मुहम्मद गौरी
- मुहम्मद गौरी के अन्य नाम –
- शिहाबुद्दीन उर्फ मुइजुद्दीन
- मुइजुद्दीन मुहम्मद-बिन-साम
- ‘गोर वंश का मुहम्मद‘
- 12वीं शताब्दी के मध्य में गौरी वंश ( गौर वंश) का उदय हुआ।
- गौर ,महमूद गज़नवी के अधीन एक छोटा-सा पहाड़ी राज्य था।
- 1173 ई. में मुहम्मद गौरी यहाँ का शासक बना।
- मुहम्मद गौरी, गज़नी का शासक होने के नाते पंजाब को अपने राज्य का हिस्सा मानता था।
- पंजाब का शासन गज़नी वंश के शासक खुसरव मलिक के अधीन था।
- पंजाब – भारत का ‘सिंहद्वार’ कहा जाता था
- अतः इस पर आक्रमण करना उसके लिये आवश्यक हो गया।
मुहम्मद गौरी के आक्रमण (1175 से 1205 ई. के मध्य)sarkarilibrary.in
- मुहम्मद गौरी ने 1175 ई. में भारत पर आक्रमण करने की शुरुआत की
- मुल्तान पर आक्रमण कर अधिकार कर लिया।
- 1178 ई. में उसने पाटन (गुजरात) पर आक्रमण की,
- गुजरात के शासक भीम द्वितीय द्वारा उसे पराजित होना पड़ा।
- यह भारत में मुहम्मद गौरी की पहली पराजय थी।
- 1179 ई. में उसने पेशावर पर अपना नियंत्रण स्थापित किया।
- 1181 ई. में लाहौर (पंजाब) पर आक्रमण किया।
- खुसरव मलिक ने बहुमूल्य भेंट देकर अपनी रक्षा की।
- 1186 ई. में उसने पुनः लाहौर को जीत कर वहाँ के शासक खुसरव को बंदी बना लिया।
- 1185 ई. में गौरी ने स्यालकोट को जीता ।
- 1189 ई. में मुहम्मद गौरी ने भटिंडा के दुर्ग को जीता।
- उस समय भटिंडा का शासन पथ्वीराज चौहान के पास था।
- भटिंडा के दुर्ग पर कब्ज़ा तराईन के युद्ध का तात्कालिक कारण बना।
- 1191 – तराईन के प्रथम युद्ध
- मुहम्मद गौरी एवं पृथ्वीराज चौहान के बिच
- मुहम्मद गौरी पराजित हो गया।
- मुहम्मद गौरी की भारत में यह दूसरी पराजय थी|
- 1192 – तराईन के द्वितीय युद्ध
- मुहम्मद गौरी एवं पृथ्वीराज चौहान के बिच
- पृथ्वीराज चौहान को पराजित किया।
- विजय के उपरांत दिल्ली में गौर साम्राज्य की स्थापना हुई।
- तराईन के युद्ध के बाद गौरी ने हाँसी, समाना, मेरठ, अलीगढ़ पर अधिकार कर दिल्ली को अपनी राजधानी बनाया।
- 1194 – चंदावर की लड़ाई
- मुहम्मद गौरी एवं कन्नौज के शासक जयचंद के बिच
- गौरी ने में कन्नौज के शासक जयचंद को हराया।
- इस विजय के पश्चात् तुर्कों का नियंत्रण पूर्वी उत्तर प्रदेश में बनारस तक स्थापित हो गया।
- मुहम्मद गौरी का अंतिम अभियान – 1205 ई.
- पंजाब के खोक्खर जातियों के विरुद्ध था।
- मुहम्मद गौरी का मृत्यु – 1206 ई. में
- मुहम्मद गौरी भारत से वापस जाते हुए सिंध नदी के पास दमयक नामक स्थान पर कुछ लड़ाकू जातियों के हमले में मारा गया।
- गौरी की मृत्यु के बाद भारत में तुर्की साम्राज्य का शासन उसके तीन गुलामों ने संभाला
- यलदोज
- कुबाचा
- कुतुबुद्दीन ऐबक– दिल्ली में ममलूक वंश की नींव रखी।
मुहम्मद गौरी का मूल्यांकन sarkarilibrary.in
- महम्मद गौरी के साथ प्रसिद्ध संत शेख मोइनुद्दीन चिश्ती भारत आए।
- भारत में चिश्ती संप्रदाय की स्थापना – संत मोइनुद्दीन चिश्ती ने
- मुहम्मद गौरी के सिक्कों पर एक ओर ‘कलमा‘ खुदा रहता था तथा दूसरी ओर देवी लक्ष्मी’ की आकृति रहती थी।
भारत पर तुर्कों की विजय का प्रभाव
- तुर्कों की विजय से अब प्रशासन की भाषा ‘फारसी‘ हो गई।
- तुर्कों की विजय से भारत के लोगों में प्रचलित जाति-व्यवस्था को ज़बरदस्त धक्का लगा।
- इसका परिणाम यह हुआ कि वे लोग जो जाति व्यवस्था के अंतर्गत पीड़ित थे, नए सुल्तानों के समर्थक हो गए।
- नगरों के पुनरुद्धार के कारण ही मोहम्मद हबीब ने तुर्कों के आगमन को शहरी या नगरीय क्रांति की संज्ञा दी।