मुहावरे
- अंक भरना – स्नेह से लिपटा लेना।
- अंकश देना – नियंत्रण।
- अंकुर जमना – मन में नया विचार उत्पन्न होना।
- अंग टूटना – थकान का दर्द ।
- अंग घरना – पहनना।
- अंग-अंग ढीला हो जाना– थक जाना।
- अंग में अंग चुराना– शरमाकर सिकुड़ना।
- अंग मोड़ना – पीछे हटना।
- अंगार बनना – लाल होना, क्रुद्ध होना।
- अंगार सिर पर धरना – कठिन दुःख सहना।
- अंगारों पर पैर रखना– जान-बूझकर हानिकारक कार्य करना।
- अंगारों पर लोटना – डाह होना, दुःख सहना ।
- अंगारे बरसना – भीषण गर्मी पड़ना।
- अंगुली पकड़कर पहुंचा पकड़ना – थोड़े आश्रय से व्यापक अधिकार प्राप्त करना।
- अंगूठा चूमना – चापलूसी करना।
- अँगूठा दिखाना – समय पर धोखा देना।
- अंगूठा छाप – अनपढ़ व्यक्ति।
- अँगूठा नचाना – चिढ़ाना।
- अंगूठी का नगीना – जोड़ा मिलना।
- अंगूठे पर मारना – पारवाह न करना।
- अॅचरा पसारना – माँगना, याचना करना।
- अंजर-पंजर ढीले होना- सही स्थिति में न रह पाना।
- अंटाचित होना – हतप्रभ या भौंचक होना, बेहोश होना।
- अंट शंट बकना – व्यर्थ की बातें करना।
- अंटी मारना – चाल चलना।
- अंड-बंड कहना – भला-बुराया अंट संट कहना।
- अंडा सेना – व्यर्थ ममत्व, बेकार पड़े रहना।
- अंडे का शहजादा – अनुभवहीन ।
- अंत बिगाड़ना – कार्य का अन्तिम फल खराब कर देना।
- अंतड़ी गले में पड़ना- आपत्ति में पड़ जाना।
- अंतिम घड़ियां गिनना- मौत के निकट पहुंचना।
- अंधे बनकर चलना- किसी का अतिविश्वास करना।
- अंधा आईना – व्यर्थ।
- अंधाधुंध लुटाना – बिना विचारे व्यय ।
- अंधे के हाथ बटेर लगना – संयोग वश किसी अपात्र को अच्छी वस्तु मिल जाना।
- अंधा बनना – आगे-पीछे कुछ न देखना।
- अंधा बनाना – धोखा देना।
- अंधे को अंधे द्वारा ही राह दिखाना- गलत दिशा में जाने की संभावना बढ़ना।
- अंधा होना – विवेक भ्रष्ट होना।
- अंधे को आंख मिलना- मन की इच्छा पूर्ण होना।
- अंधे को लकड़ी – एक ही सहारा।
- अंधेरखाता – अन्याय ।
- अंधेरे में तीन चलाना- बिना लक्ष्य के आगे बढ़ना।
- अंधेर छाना – गड़बड़ी होना।
- अंधों में काना राजा- असमर्थों में थोड़ा समर्थ भी श्रेष्ठ।
- अंधेरनगरी – जहाँ धाँधली का बोलबाला हो।
- अंध के आगे रोए अपने नयन खोए – अत्याचारी को अपना दुःख सुनाना।
- अँधेरे मुँह – प्रातःकाल, तड़के।
- अँकवार भरना – लिपटकर मिलना।
- अक्ल का अंधा होना- मूर्ख।
- अकेला दम – अकेला।
- अक्ल का पुतला – बहुत बुद्धिमान ।
- अक्ल का दुश्मन – बेवकूफ ।
- अक्ल के घोड़े – अच्छी-अच्छी कल्पनाएँ दौड़ाना करना।
- अक्ल पर पत्थर पड़ना- बुद्धिभ्रष्ट होना।
- अक्ल चरने जाना- बुद्धि का काम न करना।
- अक्ल की दुम – अपने को बढ़ा होशियार लगाने वाला।
- अक्ल ठिकाने लगना- बलपूर्वक सीधे रास्ते पर लाना।
- अक्ल पर परदा पड़ना- बुद्धि नष्ट हो जाना है।
- अक्ल सठियाना – बुढ़ापे में बुद्धि का हास हो जाना।
- अगले जमाने का – सीधा-सादा, ईमानदार आदमी।
- अगर-मगर करना – टालमटोल, बहाना।
- अच्छा-खासा – भला, अच्छी तरह।
- अच्छा-विच्छा – भला चंगा।
- अच्छा बोओ अच्छा काटो- अच्छे कार्य का अच्छा फल मिलना।
- अच्छी बीतना या कटना- आनन्द से दिन कटना।
- अच्छे थान का घोड़ा- स्वस्थ जाति या स्थान
- अच्छों-अच्छों से पाला पड़ना- ऊंचे लोगों से संघर्ष होना।
- अठखेलियाँ सूझना – व्यर्थ दिल्लगी।
- अड़ियल टटू – अटक-अटक कर या मुहँ जोहकर काम करने वाला।
- अड्डा जमाना – किसी वर्ग विशेष का किसी स्थान पर एकत्रित होना।
- अढ़ाई दिन की हुकूमत- कुछ दिनों की शानोशौकत।
- अता-पता मिलना – किसी के संबंध की जानकारी मिल जाना।
- अथ और इति – प्रारंभ और अंत।
- अधर में लटकना – लक्ष्य तक न पहुंचना।
- अन्न अंग न लगना- शरीर पुष्ट न होना।
- अन्न का कन्न करना- बने को बिगाड़ना।
- अनर्थ होना – गलत या हानिप्रद कार्य हो जाना।
- अन्न जल उठना – रहने का संयोग न होना, मरना।
- अन्न लगना – स्वस्थ रहना।
- अनाप-शनाप बकना- व्यर्थ की बातें करना।
- अपना उल्लू सीधा करना- अपना काम निकालना।
- अपना-अपना राग अलापना – किसी की न सुनकर केवल अपनी बातें कहते जाना।
- अपना बोझ आप उठाना- किसी का सहारा न तकना।
- अपना किया पाना – कर्म का फल भोगना।
- अपना भला-बुरा – वयस्क जैसी समझ आ पहचानना जाना।
- अपना घर समझाना- निस्संकोच निबाह ।
- अपना रास्ता नापना – चले जाना
- अपना-सा मुँह लेकर रह जाना- शर्मिन्दा होना।
- अपना हाथ जगन्नाथ – आत्म निर्भर होना।
- अपनी-अपनी पड़ना – स्वार्थी होना।
- अपनी कब्र खुद खोदना – अपनी हानि स्वयं करना।
- अपनी खिचड़ी पकाना- स्वार्थी होना, अलग अलग रहना।
- अपनी नाक कटवाना- अपमानित होना।
- अपना सिक्का जमाना- अपना प्रभुत्व स्थापित करना।
- अपने पाँव आप कुल्हाड़ी मारना- संकट मोल लेना।
- अपनी करनी पार उतरनी- स्वयं करने पर ही सफलता मिलती है।
- अपना सिर ओखली में देना- जानते-बूझते संकट में फंसना।
- अपने पैरों खड़ा होना- स्वावलंबी होना।