मानव गरीबी सूचकांक

मानव गरीबी सूचकांक (Human Poverty Index – HPI)) एक संयुक्त राष्ट्र विकास संकेतक है. यह किसी देश में समुदाय की गरीबी का संकेत देता है. इसे पहली बार 1997 में मानव विकास रिपोर्ट के हिस्से के रूप में रिपोर्ट किया गया था. एचपीआई में अकेले आय से परे गरीबी को मापने के लिए जीवन प्रत्याशा, शिक्षा, और बुनियादी जीवन स्तर जैसे कारकों पर विचार किया गया है.

एचपीआई का उद्देश्य मानव कल्याण के बारे में अधिक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करना था. एचपीआई, तीन आयामों में अभाव को मापता है: शिक्षा, स्वास्थ्य, और जीवन स्तर. एचपीआई गरीबी की घटना और गहराई दोनों को देखता है.

भारत का स्थान ग्लोबल एमपीआई 2021 के अनुसार, 109 देशों में से 66वां है. 2023 के राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) के मुताबिक, साल 2021 में अनुमानित जनसंख्या के स्तर पर साल 2015-16 और 2019-21 के बीच लगभग 135.5 मिलियन लोग गरीबी से बाहर निकले हैं. साल 2023 के एमपीआई के मुताबिक, बच्चों में गरीबी दर 27.7% है, जबकि वयस्कों में यह 13.4% है. साल 2005-2006 में बहुआयामी रूप से गरीब और पोषण से वंचित लोगों का प्रतिशत 44.3% था, जो साल 2019-2021 में घटकर 11.8% हो गया है.