देवघर जिला (Deoghar District) : Jharkhand GK
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- उपनाम
- लाइटनिंग सेफ सिटी
- हरितकीवाना
- मंदिरो का शहर
- स्थापना – 1 जून, 1981
- अन्य – 1 जून, 1983 (संथाल परगना से अलग कर )
- मुख्यालय – देवघर
- प्रमंडल – संथाल परगना प्रमण्डल
- अनुमंडल – 2, ब्लॉक- 10
- देवघर अनुमंडल के 5 ब्लॉक
- देवघर
- मोहनपुर
- सारवां
- देवीपुर
- सानारायठाडी
- मधुपुर अनुमंडल के 5 ब्लॉक
- मधुपुर
- सारठ
- पालोजोरी
- मारगो मुंडा
- करों
- देवघर अनुमंडल के 5 ब्लॉक
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- विधानसभा क्षेत्र – 3
- देवघर विधानसभा क्षेत्र ()
- मधुपुर विधानसभा क्षेत्र ()
- सारठ विधानसभा क्षेत्र ()
- लोक सभा क्षेत्र – 2
- शहरी निकाय
- देवघर नगर निगम
- मधुपुर नगर परिषद्
- प्रमुख नदी – अजय, पथरो , जयंती, मयूराक्षी, ब्राह्मणी
- मयूराक्षी का उद्गम त्रिकूट पहाड़ी से
- प्रमुख जलप्रपात/झील /गर्मजलकुण्ड
- बकुलिया जलप्रपात
- शैक्षणिक संस्थान
- हिन्दी विद्यापीठ
- वन्य जीव अभ्यारण
- प्रमुख मंदिर – “©www.sarkarilibrary.in”
- वैद्यनाथ मंदिर – निर्माणकर्ता पूरणमल
- युगल मंदिर
- नौलखा मंदिर
- तपोवन मंदिर
- लीला मंदिर
- कुण्डेश्वरी मंदिर
- पगला बाबा मंदिर
- हरला जोड़ी मंदिर
- पथरोल मंदिर
- सत्संग नगर
- कर्णोस्वर मंदिर
- कर्णेश्वर धाम
- रिखिया धाम
- जामा शिवधाम
- फागो धाम
- गोसुवा धाम
- धर्मराज धाम
- लालगढ़ मजार
- सारठ मजार
- पनाहकोला मजार
- प्रमुख किले
- अन्य प्रमुख पर्यटन स्थल –
- त्रिकुट पहाड़ी
- नंदन पहाड़
- बुद्धा पहाड़
- टीको पहाड़
- बूढ़ई पहाड़
- तपोवन
- बकुलिया प्रपात
- करौं गाँव
- उद्योग
- डॉबर दवा कंपनी (जसीडीह)
- हैदराबाद इण्डस्ट्रीज
- प्रमुख व्यक्ति
- सखाराम गणेश देउस्कर
- बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री विनोदानंद झा का संबंध इसी जिले से है
- बॉर्डर “©www.sarkarilibrary.in”
देवघर का जनांकिकीय विशेषता (जनगणना 2011 के अनुसार )
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- क्षेत्रफल – 2,477 वर्ग किमी
- जनसंख्या – 14,92,073
- जनसंख्या घनत्व – 602
- दशकीय जनसंख्या वृद्धि दर – 28.03%
- लिंगानुपात – 925
- साक्षरता दर – 64.85%
अन्य तथ्य
- 1201 में बख्तियार खिलजी ने देवघर को अपनी राजधानी बनाया था
- झारखंड में 1857 की क्रांति की शुरुआत देवघर के रोहिणी गांव से 12 जून 1857 में शुरू हुई थी
- मधुपुर टाउन हॉल का उद्घाटन महात्मा गांधी ने किया था
त्रिकुट पहाड़ी, देवघर
- देवघर से लगभग 16 किमी दूर दुमका रोड़ पर है।
- इस पहाड़ी पर 840 फीट की ऊँचाई पर रोपवे बना हुआ है।
- रावण ,माता सीता का हरण करके जाते समय इस पर्वत पर रूका था ।
- इसे ‘रावण का हेलिपैड’ कहा जाता है।
करौं गाँव
- करौं अशोककालीन गाँव है ।
- इस गाँव को अशोक के पुत्र राजा महेन्द्र ने बौद्ध विहार के रूप में बसाया था।
- इस गाँव का नाम महाभारतकालीन कर्ण के नाम पर किया गया था, बाद में इसका नाम करौं हो गया।
- यहाँ कर्ण द्वारा स्थापित कर्णोस्वर मंदिर भी है।
- इस गाँव के अंतिम राजा काली प्रसाद सिंह थे, जो झरिया स्टेट के भी राजा थे।
सत्संग नगर
- 1946 में बांग्लादेश के पवना से आकर श्रीश्री ठाकुर अनुकूलचंद्र जी ने देवघर में सत्संग आश्रम की स्थापना की थी।