बिहार के वन्यजीव अभयारण्य
- भीम बाँध वन्य जीव अभयारण्य
- मुंगेर जिले में स्थित इस अभयारण्य की स्थापना सन् 1976 में की गई थी।
- यह 631.99 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है ।
- गौतम बुद्ध वन्य जीव अभयारण्य
- इस अभयारण्य की स्थापना सन् 1976 में गया में की गई थी । यह 25.83 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला है।
- विक्रमशिला गंगा डॉल्फिन अभयारण्य
- बाल्मीकिनगर वन्यजीव अभयारण्य
- पश्चिम चम्पारण के वाल्मीकिनगर में स्थित ‘वाल्मीकि राष्ट्रीय उद्यान’ नामक अभयारण्य को दूसरी बाघ परियोजना के नाम से जाना जाता है। 840 वर्ग किमी में फैले इस अभयारण्य में 2008 में हुई गणना के मुताबिक बाघों की संख्या केवल 7 है।
- 2002 में इस राज्य में कुल 54 बाघ थे, जिनमें 33 इसी राष्ट्रीय उद्यान में थे। 2005 में यहाँ 35 बाघ होने की सूचना थी ।
- संजय गाँधी जैविक उद्यान
- गैंडा प्रजनन की दृष्टि से यह उद्यान देश में प्रथम स्थान रखता है । यह पटना में स्थित है और इसमें विभिन्न प्रकार के पशु-पक्षियों तथा वनस्पतियों को संरक्षित करके रखा गया है । इसमें 11 कमरों का एक साँप घर भी है, जो आकर्षण का केन्द्र माना जाता है ।
- परमान डॉल्फिन अभयारण्य
- अररिया में स्थित इस अभयारण्य की खोज सन् 1995 में सूदन सहाय नामक व्यक्ति ने की थी । परमान नदी के ऊपरी भाग में 15 डॉल्फिन मछलियाँ पायी गई थीं ।
बिहार के पक्षी विहार
- कांवर पक्षी विहार : बेगूसराय में कांवर झील में स्थित इस विहार को सन् 1989 में पक्षी विहार के रूप में मान्यता मिली थी । 63.11 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले इस पक्षी विहार में रूस, मंगोलिया और साइबेरिया से हजारों किमी की दूरी तय कर लाखों की संख्या में पक्षी पहुँचते हैं । कांवर पक्षी विहार की गणना विश्व में वेटलैण्ड के रूप में होती है । यहाँ कुछ दुर्लभ किस्म के पक्षी चीन हिमालय के ऊपरी भागों और श्रीलंका से भी आते हैं।
- नागी पक्षी विहार : जमुई जिले में स्थित इस पक्षी विहार को 1987 में पक्षी विहार के रूप हुआ में मान्यता मिली थी । यह 7.91 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला
- बक्सर पक्षी विहार : 25 वर्ग किमी में फैले इस पक्षी विहार में अक्टूबर महीने में लालशर नामक पक्षी कश्मीर से यहाँ प्रवास पर आते हैं और मार्च में पुनः कश्मीर की वादियों में लौट जाते हैं । यह पक्षी विहार बक्सर जिले में स्थित है ।
- गोगाबिल पक्षी विहार: 217.99 एकड़ में फैला यह पक्षी विहार कटिहार जिले में है । 1990 ई० में इसे पक्षी विहार के रूप में मान्यता मिली। इसमें धनुषाकार झील है, जिसका नाम गोगाबिल है।
- कुशेश्वर पक्षी विहार : दरभंगा जिला के कुशेश्वर स्थान के पास 29.23 वर्ग किमी में फैले इस पक्षी विहार को उत्तर भारत का सबसे बड़ा पक्षी विहार माना जाता है । यहाँ साइबेरियाई पक्षी अक्टूबर के महीने में आते हैं।
- नक्टी पक्षी बिहार : जमुई जिले में स्थापित इस पक्षी विहार का क्षेत्रफल 3.32 वर्ग किमी है। इसे एक पक्षी विहार के रूप में 1987 ई० में मान्यता मिली ।