शिवनाथ

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  • शिवनाथ प्रमाणिक जन्म13 जनवरी 1950, (अन्य – 13 जनवरी 1949 )
    • बइदमारा गांव(बाघमारा ), बोकारो जिला
  • पिता का नाम– मुरलीधर प्रमाणिक
  • माता का नाम– तिनकी
  • कृति
    • ‘दामुदेरक कोराञ्’ पहला खंड काव्या- 6 भाग
    • तातल आर हेमाल (कविता संग्रह)
    • रुसल पुटुस का संपादन (खोरठा कविता संग्रह)
    • मइछगंधा (महाकाव्य ) – 11 खंड
      • प्रकाशन – 2012
      • महाभारत के पत्र मत्स्यगंधा पर आधारित
    • बेलंदरी (गीत संगरह)  
    • खोरठा लोक साहित्य
    • पयान गीत (कविता )
    • खोरठा एगो स्वतंत्र – समृद्ध भासा (लेख )
    • डहर बनाई चल रे (कविता )- दु डाहर परास फूल
  • सम्मान
    • झारखण्ड सरकार से सर्वश्रेष्ठ साहित्यकार पुरस्कार 2018
    • चतरा जिला की ओर से परिवर्तन विशेष पुरस्कार
    • जमशेदपुर की तरफ से काव्यभूषण उपाधि 

Questions Based On Shivnath Pramanik 

मत्स्यगंधा के बारे में कुछ रोचक तथ्य (not for cgl just for information)

  • ऋषि पाराशर और सत्यवती के पुत्र थे वेद व्यास, इनकी कृपा से जन्म हुआ था धृतराष्ट्र और पांडु का
  • महाभारत में सत्यवती महत्वपूर्ण पात्रों में से एक है। सत्यवती का नाम मत्स्यगंधा था। इसके शरीर से मछली के जैसी दुर्गंध आती थी। मत्स्यगंधा नाव से लोगों को यमुना पार कराती थी। एक दिन ऋषि पाराशर वहां पहुंचे। ऋषि को यमुना पार जाना था। वे मत्स्यगंधा की नाव में बैठ गए। बीच मार्ग में ऋषि पाराशर ने अपने तपो बल से मत्स्यगंधा की दुर्गंध को दूर कर दिया।
  • कुछ समय बाद सत्यवती ने पाराशर ऋषि के पुत्र को जन्म दिया। जन्म लेते ही वह बड़ा हो गया और एक द्वीप पर तप करने चला गया। द्वीप पर तप करने और इनका रंग काला होने की वजह से वे कृष्णद्वैपायन(वेद व्यास) के नाम से प्रसिद्ध हुए। इन्होंने ही वेदों का संपादन किया और महाभारत ग्रंथ की रचना की थी।
    ऋषि पाराशर के वरदान से मत्स्यगंधा के शरीर से मछली की दुर्गंध खत्म हो गई थी। इसके बाद वह सत्यवती के नाम से प्रसिद्ध हुई। एक दिन शांतनु ने सत्यवती को देखा तो वे मोहित हो गए। बाद में शांतनु के पुत्र देवव्रत ने सत्यवती और शांतनु का विवाह करवाया।
  • इस विवाह के लिए देवव्रत ने आजीवन ब्रह्मचारी रहने की प्रतिज्ञा की थी और सत्यवती को वचन दिया था कि उसकी संतान ही हस्तिनापुर का राजा बनेगी। इस प्रतिज्ञा के कारण ही देवव्रत का एक नाम भीष्म पड़ा।
    सत्यवती और शांतनु की दो संतानें थीं। चित्रांगद और विचित्रवीर्य। शांतनु की मृत्यु के बाद चित्रांगद को राजा बनाया गया था। चित्रांगद की मृत्यु के बाद विचित्रवीर्य राजा बना। भीष्म पितामह ने विचित्रवीर्य का विवाह अंबिका और अंबालिका से करवाया था।
  • विचित्रवीर्य की मृत्यु के बाद सत्यवती ने अपने पुत्र वेदव्यास को बुलाया। विचित्रवीर्य की कोई संतान नहीं थी। तब वेदव्यास की कृपा से अंबिका और अंबालिका ने धृतराष्ट्र और पांडु को जन्म दिया। एक दासी से विदुर का जन्म हुआ।

 

Shivnath Pramanik Biography शिवनाथ प्रमाणिक की जीवनी