संथाल विद्रोह
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      • संथाल विद्रोह (1855-1856)
      • अन्य नाम 
        • हूल विद्रोह 
        • संथाल हूल ( हूल का अर्थ क्रांति/बगावत)
        • सिद्धू-कान्हू  का विद्रोह 
        • संथाल परगना की प्रथम जनक्रांति
        • भारत की प्रथम जनक्रांतिकार्ल मार्क्स ने कहा
        • मुक्ति आंदोलन 
        • ‘खूनी विद्रोह’ 
      • विद्रोह का नेतृत्व –  सिद्ध-कान्हू , चांद-भैरव तथा फूलो-झानो ने 
        • ये सभी आपस में भाई-बहन थे। 
        • राजा नियुक्त – सिद्धू को
        • मंत्री  नियुक्त- कान्हू को
        • प्रशासक नियुक्त  – चांद को
        • सेनापति  नियुक्त- भैरव
      • संथाल परगना क्षेत्र में 1790 ई. तक संथालों का निवास नहीं था। 
        • विभिन्न क्षेत्रों आकर से बाद में संथालों नें संथाल परगना के क्षेत्र को अपना निवास स्थान बनाया। 
      • विद्रोह का प्रारंभ  –30 जून, 1855 , भोगनाडीह गाँव से 
        • विद्रोह के प्रारंभ से पहले एक साहूकार ने अपने घर में चोरी के आरोप में दिधी थाने के दरोगा महेश लाल दत्त की सहायता से संथालों को गिरफ्तार करवा दिया 
        • जेल में विजय माँझी की मौत हो गयी। 
        • संथालो ने दारोगा की हत्या कर दी 
      • नारा 
        • ‘अपना देश, अपना राज’ 
        • ‘जमींदार, महाजन, पुलिस एवं सरकारी कर्मचारी का नाश’
        • 30 जनवरीहूल दिवस’ (झारखंड में )
      • सिद्धू-कान्हू ने भविष्यवाणी की थी 
        • अब विदेशी शासन का अंत होने वाला है तथा अंग्रेज व उनके समर्थक गंगा पार लौटकर आपस में लड़ मरेंगे
      • विद्रोह का विस्तार 

      नेतृत्व

      हजारीबाग

      लुबाई/जुबाई माँझी एवं अर्जुन माँझी

      वीरभूम

      गोरा माँझी

       

      • विद्रोह का दमन करने हेतु 7 जुलाई, 1855 को जनरल लॉयड के नेतृत्व में सेना की एक टुकड़ी भेजी गयी 
        • मेजर बार संथालों के साथ युद्ध में पराजित हो गया।
      • 16-17 सितंबर, 1855 को कई थानों व गांवों पर कब्जा 
      • नेतृत्व सुंदरा व रामा माँझी तथा मुचिया कोमनाजेला 
      • करहरिया थाने के दरोगा  – प्रताप नारायण की हत्या 
      • 13 नवंबर, 1855 को उपद्रव वाले इलाकों में मार्शल लॉ लागू कर दिया तथा 
      • विद्रोही नेताओ  को पकड़ने पर 10,000 रूपये का इनाम घोषित 
      • सिद्ध मुर्मू को गिरफ्तार कर फाँसी
        • दिसंबर, 1855 में 
        • भागलपुर न्यायालय में मुकदमा चलाने के बाद 5 दिसंबर, 1855 को फाँसी की सजा दे दी गयी। 
      • चाँद व भैरव को गोली मार दी
        • बड़हैत में अंग्रेजों ने 
      • कान्हू को गिरफ्तार कर फाँसी
        • 23 फरवरी, 1856 को भोगनाडीह गाँव के ठाकुरबाड़ी परिसर में 
      • दमनकर्ता – कैप्टन अलेक्जेंडर, लफ्टिनेंट थॉमसन एवं लफ्टिनेंट रीड 
      • इस विद्रोह के दौरान पाकुड़ में मार्टिलो टावर का निर्माण कराया था। 
      • पाकुड़ की रानी क्षेमा सुंदरी
        • संथाल विद्रोहियों ने इस विद्रोह के दौरान क्षेमा सुंदरी से सहायता मांगी थी। 
      •  30 नवंबर, 1856 को संथाल क्षेत्र को  नान-रेगुलेशन जिला बना दिया गया
        • इसमें किसी भी बाहरी को प्रवेश की इजाजत नहीं (यूरोपीय मिशनरियों के अलावा)
      • संथाल परगना जिला का प्रथम जिलाधीश –  एशली एडेन 
      • ‘दामिन-ए-कोह’ का नाम परिवर्तन 
        • एलिस एडम्स की रिपोर्ट के आधार पर 1855 के एक्ट-37 के अनुसार 
        • ‘दामिन-ए-कोह’ — संथाल परगना 
        • चार उपजिलो का गठनदुमका,देवघर ,गोड्डा  व राजमहल 
      • 1856 ई. में संथाल परगना में नया  पुलिस कानून ‘यूल रूल‘ लागु 
        • भागलपुर के कमिश्नर जार्ज यूल की सहायता से 
        • ग्राम प्रमुख को पुलिस की शक्तियाँ प्रदान की गयी।