- संथाल विद्रोह (1855-1856)
- अन्य नाम
- विद्रोह का नेतृत्व – सिद्ध-कान्हू , चांद-भैरव तथा फूलो-झानो ने
- ये सभी आपस में भाई-बहन थे।
- राजा नियुक्त – सिद्धू को
- मंत्री नियुक्त- कान्हू को
- प्रशासक नियुक्त – चांद को
- सेनापति नियुक्त- भैरव
- संथाल परगना क्षेत्र में 1790 ई. तक संथालों का निवास नहीं था।
- विद्रोह का प्रारंभ –30 जून, 1855 , भोगनाडीह गाँव से
- नारा
- सिद्धू-कान्हू ने भविष्यवाणी की थी
- अब विदेशी शासन का अंत होने वाला है तथा अंग्रेज व उनके समर्थक गंगा पार लौटकर आपस में लड़ मरेंगे
- विद्रोह का विस्तार
- विद्रोह का दमन करने हेतु 7 जुलाई, 1855 को जनरल लॉयड के नेतृत्व में सेना की एक टुकड़ी भेजी गयी
- 16-17 सितंबर, 1855 को कई थानों व गांवों पर कब्जा
- नेतृत्व – सुंदरा व रामा माँझी तथा मुचिया कोमनाजेला
- करहरिया थाने के दरोगा – प्रताप नारायण की हत्या
- 13 नवंबर, 1855 को उपद्रव वाले इलाकों में मार्शल लॉ लागू कर दिया तथा
- विद्रोही नेताओ को पकड़ने पर 10,000 रूपये का इनाम घोषित
- सिद्ध मुर्मू को गिरफ्तार कर फाँसी
- चाँद व भैरव को गोली मार दी
- बड़हैत में अंग्रेजों ने
- कान्हू को गिरफ्तार कर फाँसी
- 23 फरवरी, 1856 को भोगनाडीह गाँव के ठाकुरबाड़ी परिसर में
- दमनकर्ता – कैप्टन अलेक्जेंडर, लफ्टिनेंट थॉमसन एवं लफ्टिनेंट रीड
- इस विद्रोह के दौरान पाकुड़ में मार्टिलो टावर का निर्माण कराया था।
- पाकुड़ की रानी क्षेमा सुंदरी
- संथाल विद्रोहियों ने इस विद्रोह के दौरान क्षेमा सुंदरी से सहायता मांगी थी।
- 30 नवंबर, 1856 को संथाल क्षेत्र को नान-रेगुलेशन जिला बना दिया गया
- इसमें किसी भी बाहरी को प्रवेश की इजाजत नहीं (यूरोपीय मिशनरियों के अलावा)
- संथाल परगना जिला का प्रथम जिलाधीश – एशली एडेन
- ‘दामिन-ए-कोह’ का नाम परिवर्तन
- 1856 ई. में संथाल परगना में नया पुलिस कानून ‘यूल रूल‘ लागु
- भागलपुर के कमिश्नर जार्ज यूल की सहायता से
- ग्राम प्रमुख को पुलिस की शक्तियाँ प्रदान की गयी।