बहलोल लोदी

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  • बहलोल लोदी (1451-89 ई.)  : बहलोल लोदी सुल्तान बनने से पहले सरहिंद का सूबेदार था। 
  • बहलोल लोदी,जनजाति ‘शाहखेल से संबंधित था ।
  •  बहलोल ने संभल में दरिया खाँ, कोल (अलीगढ़) में ईसा खाँ, साकेत में मुबारक खाँ, मैनपुरी एवं भोगाँव के राजा प्रताप सिंह के विरुद्ध सफल सैनिक अभियान किये। 
  • बहलोल लोदी की सबसे बड़ी सफलता जौनपुर के शर्की शासक हुसैनशाह को हराकर जौनपुर राज्य को अपने साम्राज्य में फिर से अपने अधीन कर लिया था।
  • बहलोल लोदी ने जौनपुर के शासक के रूप में अपने बेटे बारबक लोदी को नियुक्त किया। 
  • बहलोल लोदी ने बहलोली नामक चांदी का सिक्का चलाया।
  • तारीख-ए-दाऊदी के लेखक अब्दुल्लाह के अनुसार- “सामाजिक सम्मेलनों के अवसर पर वह कभी सिंहासन पर नहीं बैठा और न ही उसने अपने सरदारों को खड़ा रहने दिया।  आम दरबार तक में वह सिंहासन पर न बैठकर एक गलीचे में बैठता था।” 
  • 1486-87 ई. में उसने ग्वालियर के शासक राय कर्ण (कीर्तिदेव) को पराजित कर 80 लाख टंका नज़राना प्राप्त किया, ग्वालियर अभियान ही उसका अंतिम अभियान था। 
  • ग्वालियर से वापस लौटते समय वह बीमार हो गया और जुलाई 1489 में दिल्ली आते समय रास्ते में ही उसकी मृत्यु हो गई।